देवेंद्र फडणवीस और भाजपा के लिए ‘किसको कौनसा मंत्रालय मिले’ और महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल का गठन अगली बड़ी चुनौती हो सकती है.
एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने पिछले हफ्ते महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जिसके बाद करीब दो हफ्तों से चल रहा सस्पेंस खत्म हो गया. शपथ ग्रहण से पहले यह सवाल पूछा जा रहा था कि क्या शिवसेना नेता सौहार्दपूर्ण ढंग से भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस के लिए कुर्सी छोड़ देंगे? शिंदे ने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी और देवेंद्र फडणवीस सरकार में डिप्टी सीएम बनना चुन लिया है. हालांकि एकनाथ शिंदे महायुति के लिए तनाव का एक नया दौर शुरू कर सकते हैं.
सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि जब देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार विभागों पर चर्चा के लिए गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे तो हो सकता है कि शिंदे मौजूद नहीं हो.
दोनों सहयोगी मांग रहे बड़े विभाग
भाजपा और देवेंद्र फडणवीस के लिए ‘किसको कौनसा मंत्रालय मिले’ और महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल का गठन अगली बड़ी चुनौती हो सकती है. खासकर तब जब दोनों सहयोगियों ने समर्थन के बदले बड़े विभागों की मांग की है.
उदाहरण के लिए माना जाता है कि शिंदे का सेना गुट हाई-प्रोफाइल गृह मंत्रालय चाहता है, जो पिछली सरकार में देवेंद्र फड़णवीस के पास था.
तर्क दिया जा रहा है कि यह मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के लिए बड़ा पुरस्कार होगा. हालांकि इस बात की संभावना नहीं है कि भाजपा गृह विभाग छोड़ना चाहेगी. तर्क यह है कि पार्टी को लगता है कि उसके पास ऐसे कई उम्मीदवार हैं जो विभाग को प्रभावी ढंग से चला सकते हैं.
शिवसेना को शहरी विकास, लोक निर्माण विभाग और रेवेन्यू की पेशकश की जा सकती है.
एनसीपी चाहती है बराबर की हिस्सेदारी!
साथ ही यह कहा जा रहा है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी भी बराबरी की हिस्सेदारी चाहती है, भले ही उसने कम सीटों पर जीत दर्ज की हो, लेकिन पार्टी ने अपने दावे को साबित करने के लिए बेहतर ‘स्ट्राइक रेट’ यानी लड़ी गई और जीती गई सीटों के प्रतिशत की ओर इशारा किया है. विशेष रूप से एनसीपी चाहती है कि पिछली सरकार में जो वित्त विभाग उनके पास था, उसे वापस किया जाए.
हालांकि यह मामला भाजपा के लिए परेशान करने वाला बन गया है क्योंकि शिवसेना भी वित्त चाहती है. हालांकि यह शिंदे की ऐसी इच्छा है, जिसका पूरा होना बेहद मुश्किल नजर आता है क्योंकि वित्त, योजना और सिंचाई विभाग एनसीपी के पास जा सकता है.
विभागों के आवंटन को लेकर पिछले महीने रूपरेखा बनी थी. इस समझौते के तहत बीजेपी को 22 सीटें, सेना को करीब 12 सीटें और एनसीपी को करीब नौ मंत्री पद मिलेंगे.
विभागों का बंटवारा 16 दिसंबर तक लागू करना होगा क्योंकि उस वक्त नई विधानसभा की पहली बैठक होगी. इसका अर्थ है कि महायुति 2.0 सरकार के गठन के इस दूसरे अध्याय में अब वक्त बहुत कम है.
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