राजश्री ठाकुर, जिन्होंने ‘सलोनी’ के किरदार में अपनी पहचान बनाई थी, इन दिनों टीवी शो ‘बस इतना सा ख्वाब’ में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। हाल ही में दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान, एक्ट्रेस ने अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ के बारे में कुछ दिलचस्प बातें शेयर कीं। उन्होंने दिवंगत एक्ट्रेस स्मिता पाटिल की बायोग्राफी में काम करने की इच्छा भी जताई। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश: शुरुआत में जब आपने घर पर कहा कि आप एक्ट्रेस बनना चाहती हैं, तो घर वालों का क्या रिएक्शन था? मैं मराठी परिवार से हूं, जहां पढ़ाई और एक अच्छी नौकरी हमेशा प्राथमिकता दी जाती थी। उस समय बैंक की नौकरी को सबसे सुरक्षित और सम्मानजनक माना जाता था। लेकिन मुझे यह सब नहीं करना था। जब मैंने घर पर कहा कि मुझे एक्ट्रेस बनना है, तो पापा कई दिनों तक मुझसे बात ही नहीं कर रहे थे। हालांकि, जब उन्होंने मेरा काम देखा और लोगों से मुझे मिलता प्यार देखा, तो उनकी सोच बदल गई। फिर वही पापा बोले, ‘यही तुम्हारा सही ख्वाब है, और तुम जो कर रही हो, वो बहुत अच्छा कर रही हो।’ यह मेरे लिए एक बड़ा पल था, जिसने मेरे ख्वाब को और भी खास बना दिया। क्या आपको कभी ऐसा डर नहीं हुआ कि सिर्फ अपने परिवार पर ध्यान दें और अपनी खुशियों को किनारे कर दें? मैं एक बहुत प्यारी बेटी की मां भी हूं। अपनी बेटी को देखते हुए एक डर जरूर रहता है कि वह किस तरह की सोच और थॉट्स से प्रभावित हो सकती है। आज की जेनरेशन बहुत अवेयर है, उन्हें यूट्यूब और सोशल मीडिया पर एक्सपोजर मिला है। बच्चों को कंट्रोल करना बहुत कठिन है क्योंकि आजकल पढ़ाई भी मोबाइल पर होती है। मुझे कभी नहीं लगा कि मुझे सब कुछ छोड़कर सिर्फ अपनी बेटी पर ध्यान देना चाहिए। मेरा पैशन, मेरा काम, मेरी ड्रीम भी महत्वपूर्ण हैं। अगर मैं खुद खुश नहीं हूं, तो मैं परिवार को खुश नहीं रख सकती। मेरी खुशी मेरे काम में है, और मैं उसे क्यों नहीं करूंगी? ‘बस इतना सा ख्वाब’ में अवनी की कहानी में भी यही है -वह अपने घर के लिए कर रही है, अपने लिए नहीं। उसकी खुशी उसके परिवार की खुशी में है। किस बॉलीवुड एक्ट्रेस से आप सबसे ज्यादा इंस्पायर होती हैं? मुझे स्मिता पाटिल का काम बहुत पसंद है। उनकी एक्टिंग में कोई बनावट नहीं थी, वह हर किरदार को बहुत ईमानदारी से निभाती थीं। उनकी बायोग्राफी अगर बनती है और मुझे इसमें हिस्सा लेने का प्रस्ताव आता है, तो मैं जरूर करूंगी। उनके काम और जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। फिल्मों में भी आपने किस्मत आजमाई है? उसके बाद, क्या आपने और फिल्मों ट्राई की करने की सोची? जी हां, मैंने मराठी फ़िल्म ‘हिरकण’ में गेस्ट अपियरन्स किया था, जहां मैंने महारानी जी सुयरा बाई का किरदार निभाया था। उस समय, मुझे विशेष रूप से इस रोल के लिए संपर्क किया गया था क्योंकि डायरेक्टर प्रसाद ने ‘महाराणा प्रताप’ में मेरे काम को देखा था। हालांकि, मैंने जानबूझकर किसी और फिल्म के लिए कोशिश नहीं की थी। मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण था किरदार। अगर कोई पावरफुल रोल मिलता है, तो मैं उसे जरूर करूंगी। लेकिन मेरा क्राइटीरिया यही रहेगा कि किरदार क्या है। किसी भी मीडियम में काम करने में कोई रेस्ट्रिक्शन नहीं है – टीवी, थिएटर, या फिल्में। मेरे लिए जो मायने रखता है, वह है इम्पोर्टेन्ट किरदार।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर
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