भारत पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है, क्योंकि वह 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में वांछित है.
मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा के वकील ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से उसे भारत प्रत्यर्पित करने के निचली अदालत के फैसले की समीक्षा करने का आग्रह किया है. उन्होंने ‘दोहरे खतरे के सिद्धांत’ का हवाला दिया है, जो किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा चलाने या दंडित करने से रोकता है.
भारत पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है, क्योंकि वह 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में वांछित है.
निचली अदालतों और सैन फ्रांसिस्को में उत्तरी सर्किट के लिए अमेरिकी अपील न्यायालय सहित कई संघीय अदालतों में कानूनी लड़ाई हारने के बाद, राणा ने 13 नवंबर को अमेरिकी उच्चतम न्यायालय के समक्ष “अभिलेख के लिए याचिका” दायर की थी.
अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी प्रीलोगर ने 16 दिसंबर को उच्चतम न्यायालय से याचिका खारिज करने का आग्रह किया. राणा के वकील जोशुआ एल ड्रेटल ने 23 दिसंबर को अपने जवाब में अमेरिकी सरकार की सिफारिश को चुनौती दी और न्यायालय से अनुरोध किया कि उनकी याचिका स्वीकार की जाए.
एक लंबी कानूनी लड़ाई में, यह राणा के लिए भारत प्रत्यर्पित न किए जाने का आखिरी वैधानिक मौका है. अदालत ने इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के लिए 17 जनवरी के लिये एक वार्ता निर्धारित की है.
वर्तमान में लॉस एंजिल्स की जेल में बंद राणा पर मुंबई हमलों की साजिश से जुड़े होने के आरोप हैं. उसे पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली से जुड़ा माना जाता है जो 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है.
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