Parliament Mansoon session 2023: आम आदमी पार्टी के सीनियर लीडर संजय सिंह के राज्यसभा से निलंबन के बाद अब पार्टी के प्रवक्ता व सांसद राघव चड्ढा को भी सस्पेंड कर दिया गया है। राघव चड्ढा को विशेषाधिकार के उल्लंघन के लिए राज्यसभा से निलंबित किया गया है। आरोप है कि चार सांसदों ने शिकायत की थी कि राघव ने नियमों का उल्लंघन करते हुए उनकी सहमति के बिना उन्हें हाउस पैनल में नामित किया था। राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने राघव चड्ढा के निलंबन का प्रस्ताव रखा कि जबतक विशेषाधिकार समिति विशेषाधिकार हनन के मामले में अपनी रिपोर्ट नहीं देती, चड्ढा को निलंबित किया जाए। इसे राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने स्वीकार कर लिया। उधर, एक दिन पहले ही लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को निलंबित कर दिया गया। विपक्षी सांसदों के निलंबन के खिलाफ विपक्ष ने शुक्रवार को विरोध मार्च भी किया।
राज्यसभा बुलेटिन में राघव चड्ढा पर कार्रवाई की जानकारी
बुधवार को राज्यसभा के एक बुलेटिन में कहा गया कि सभापति को सांसद सस्मित पात्रा, एस फांगनोन कोन्याक, एम थंबीदुरई और नरहरि अमीन से शिकायतें मिली हैं। सांसदों ने राघव चड्ढा पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया है। बुलेटिन में कहा गया है कि सांसदों ने राघव चड्ढा पर अन्य बातों के अलावा उनकी सहमति के बिना उनके नाम शामिल करने का आरोप लगाया है। पीयूष गोयल ने कहा कि सभी छह सदस्य परेशान और आहत हैं। न्याय के लिए आसन की ओर देख रहे हैं।
दरअसल, चड्ढा ने ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023’ पर विचार करने के लिए एक चयन समिति के गठन का प्रस्ताव रखा था और इसमें चार सांसदों के नाम शामिल थे।
चड्डा ने कहा-झूठे आरोप गढ़े गए
राघव चड्ढा ने कल आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी ने उन्हें निशाना बनाया क्योंकि वह यह स्वीकार नहीं कर सकती कि एक 34 वर्षीय सांसद ने उसके सबसे बड़े नेताओं पर हमला किया। उन्होंने भाजपा नेताओं को चुनौती दी कि वे कोई भी कागज का टुकड़ा दिखाएं जहां उन्होंने किसी के जाली हस्ताक्षर किए हों। उन्होंने कहा कि भाजपा का मंत्र है ‘एक झूठ को हजार बार दोहराओ और वह सच हो जाता है।’
राज्यसभा के नियमों को सूचीबद्ध करने वाली एक लाल किताब लहराते हुए चड्ढा ने कहा था कि चयन समिति के लिए अपना नाम प्रस्तावित करने के लिए किसी के हस्ताक्षर या लिखित सहमति की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई विवादास्पद विधेयक सदन में आता है और कोई सदस्य चाहता है कि मतदान से पहले इस विधेयक पर विस्तार से चर्चा की जाए तो वह इसे एक चयन समिति को भेजने की सिफारिश करता है। इस पैनल के लिए उन सांसदों के नाम प्रस्तावित किए जाते हैं। जो इसका हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं समिति उनके नाम वापस ले सकती है। जब कोई हस्ताक्षर शामिल नहीं है तो यह फर्जी कैसे हो सकता है?
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संजय सिंह की भी निलंबन अवधि बढ़ाई गई
आप के एक अन्य सांसद संजय सिंह के निलंबन की अवधि भी तब तक बढ़ा दी गई जब तक कि विशेषाधिकार समिति उनके खिलाफ शिकायतों पर फैसला नहीं कर लेती। गोयल ने कहा कि संजय सिंह ने अवज्ञा दिखाई और सदन नहीं छोड़ा। परिणामस्वरूप सदन नहीं चल सका। उन्होंने कोई पश्चाताप नहीं दिखाया, इसके बजाय वह अपने व्यवहार को उचित ठहराते रहे।
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