ये सिर्फ एक झंडे की कहानी नहीं है. ये उस समाज की कहानी है, जहां भावना के नाम पर हिंसा को जायज ठहराया जा रहा है. क्या हम वाकई कानून में विश्वास रखते हैं, या अब फैसले सड़कों पर भीड़ सुनाती है? ये सिर्फ एक झंडे की कहानी नहीं है. ये उस समाज की कहानी है, जहां भावना के नाम पर हिंसा को जायज ठहराया जा रहा है. क्या हम वाकई कानून में विश्वास रखते हैं, या अब फैसले सड़कों पर भीड़ सुनाती है? NDTV India – Latest
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