- क्या केजरीवाल जेल से चलाएंगे दिल्ली सरकार?
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 क्या है ?
- क्या जेल से कोई मुख्यमंत्री सरकार चला सकता?
- मुख्यमंत्री को किस कानून के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है?
- सत्र पहले या बाद में क्यों नहीं होगी गिरफ्तारी?
Arvind Kejriwal arrest laws and rules: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अरेस्ट किया जा चुका है। ईडी उनको अरेस्ट कर देर रात करीब साढ़े ग्यारह बजे उनको हेडक्वार्टर लेकर पहुंची। पूरे दिल्ली से हजारों की संख्या में कार्यकर्ता सीएम हाउस और ईडी हेडक्वार्टर पहुंचकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उधर, केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद सीनियर मिनिस्टर आतिशी ने कहा कि केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और दिल्ली सरकार को जेल से चलाएंगे। मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अरविंद केजरीवाल इस्तीफा नहीं देंगे।
केजरीवाल के इस्तीफा को लेकर क्या कहा आप ने?
दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अभी तक पीएम मोदी ने दो मुख्यमंत्रियों को अरेस्ट कराया, हो सकता है औरों को भी कर लें। उनके पास सत्ता है जो चाहें कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल के घर ईडी ने तलाशी ली महज 70 हजार रुपये नकदी मिले। उसे ईडी ने वापस कर दिया है। उनके फोन व गैजेट्स जब्त कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे। जनता ने केजरीवाल को मैनडेट दिया है। सभी लोगों का मानना है कि वह मुख्यमंत्री बनें रहे। आतिशी ने कहा कि जरूरत पड़ी तो सारे अधिकारी जेल में होंगे और वहीं से कैबिनेट मीटिंग भी होगी।
क्या है लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि जेल जाने के बाद किसी भी जनप्रतिनिधि को इस्तीफा देना पड़ेगा। सिर्फ किसी जनप्रतिनिधि के कम से कम दो साल की सजा होने पर वह अयोग्य घोषित किया जा सकता है। हालांकि, ऐसे तमाम मामले सामने आए हैं जिनमें जेल जाने की स्थिति को मुख्यमंत्री ने इस्तीफा देकर अपना पद किसी दूसरे को सौंप दिया हो। लालू प्रसाद यादव भी जेल जाने के पहले राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था। जयललिता भी जेल जाने के पहले पद से इस्तीफा दे दिया था। झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन ने भी ईडी की गिरफ्तारी के पहले पद से इस्तीफा देकर अपने पिता के खास रहे चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई।
क्या जेल से कोई मुख्यमंत्री सरकार चला सकता?
किसी भी मुख्यमंत्री के जेल से सरकार चलाने का कोई मामला अभी तक सामने नहीं आया है। इसको लेकर कोई क्लियर कानून भी नहीं है। कानून विद् बताते हैं कि किसी भी सरकारी अधिकारी, नौकरशाह के मामले में यह नियम है कि अगर उसे जेल जाना पड़ा तो उस स्थिति में उसे कानूनी तौर पर सस्पेंड कर दिया जाता है। लेकिन राजनेताओं पर जेल जाने के बाद पद पर बने रहने संबंधी कोई रोक नहीं है। लेकिन कुछ कानून के जानकारों का मानना है कि दिल्ली चूंकि पूर्ण राज्य नहीं है और यहां केंद्र सरकार का नया कानून लागू हैं, ऐसी स्थिति में यहां उप राज्यपाल, सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं।
क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है? जानिए कानून
देश के कानून के मुताबिक, किसी भी मुख्यमंत्री को सिविल मामलों में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 (A) के अनुसार, किसी भी प्रधानमंत्री, सांसद, मुख्यमंत्री, विधानसभा या विधान परिषद सदस्य को गिरफ्तारी में छूट है। लेकिन यह छूट केवल सिविल मामलों में ही है। संपत्ति, लोन, धार्मिक मामले, वाद-विवाद आदि को सिविल मामला माना जाता है। आपराधिक मामलों में उसे यह छूट नहीं मिलेगी।
कानून कहता है कि यदि कोई मुख्यमंत्री या किसी सदन का सदस्य किसी प्रकार का कोई क्रिमिनल केस में आरोपी है तो उसे कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 (A) की छूट नहीं मिलेगी। ऐसे मामलों में उसकी गिरफ्तारी हो सकती है।
लेकिन मुख्यमंत्री या किसी भी जनप्रतिनिधि की क्रिमिनल केस में भी गिरफ्तारी के पहले उसे विधानसभा या विधान परिषद अध्यक्ष से मंजूरी लेनी होगी। मंजूरी के बिना यह गिरफ्तारी नहीं होगी।
सत्र के 40 दिन पहले या बाद में नहीं होगी गिरफ्तारी
धारा 135 (A) कहता है कि पीएम, सांसद, मुख्यमंत्री या विधानसभा सदस्य की गिरफ्तारी को सत्र के 40 दिन पहले नहीं की जा सकती है। यही नहीं उसे सत्र खत्म होने के 40 दिनों बाद तक अरेस्ट नहीं किया जा सकेगा। पीएम या मुख्यमंत्री को सदन में भी नहीं गिरफ्तार किया जा सकता है। अनुच्छेद 361 कहता है कि भारत के राष्ट्रपति ओर राज्यपाल को उनके पर रहते किसी भी मामले में अरेस्ट नहीं किया जा सकता है।
More Stories
बिटकॉइन पोंजी घोटाला मामले में सीबीआई ने ऑडिट कंपनी के कर्मचारी को किया तलब
झारखंड में ‘INDIA’ को 53 से ज्यादा और NDA को 25 सीटें क्यों? एक्सिस माय इंडिया के चीफ ने बताई वजह
महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव नतीजों के एग्जिट पोल NDA के पक्ष में क्यों? यह हैं कारण