November 24, 2024
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JPC for Waqf Board amendment: वक्फ़ बोर्ड के लिए जेपीसी के चेयरमैन होंगे BJP सांसद जगदंबिका पाल

रिकॉर्ड को देखें तो भारत में सेना और रेलवे के बाद अगर किसी संस्था के पास जमीनें हैं तो वह वक्फ़ बोर्ड के पास ही है।

Waqf Amendment bill: वक्फ़ बोर्ड संशोधन विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पास नहीं कराया जा सका। सरकार ने संशोधन विधेयक को पास कराने के पहले जेपीसी में भेज दिया है। 31 सदस्यीय जेपीसी की अध्यक्षता सांसद जगदंबिका पाल करेंगे। पाल, यूपी के डुमरियागंज से बीजेपी सांसद हैं। जेपीसी, वक्फ़ बोर्ड संशोधन विधेयक से रिलेटेड सभी पक्षों की सुनवाई कर अपना रिपोर्ट संसद को सौंपेगी। माना जा रहा है कि अगले संसदीय सत्र के दौरान रिपोर्ट पेश किया जाएगा।

कौन-कौन हैं जेपीसी में शामिल?

जेपीसी में लोकसभा के 21 सांसदों और राज्यसभा के 10 सांसदों को शामिल किया गया है। जगदंबिका पाल जेपीसी के चेयरपर्सन होंगे। लोकसभा सदस्य निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जायसवाल, दिलीप सैकिया, अभिजीत गंगोपाध्याय, डीके अरुणा, गौरव गोगोई, इमरान मसूद, मोहम्मद जावेद, मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी, कल्याण बनर्जी, ए.राजा, लावू श्रीकृष्णा देवरायालू, दिलेश्वर कमायत, अरविंद सावंत, सुरेश गोपीनाथ, नरेश गनपत म्हाक्षे, अरुण भारती और असदुद्दीन ओवैसी के अलावा राज्यसभा सांसद बृजलाल, मेधा विश्राम कुलकर्णी, गुलाम अली, राधा मोहन दास अग्रवाल, सैयद नासीर हुसैन, मोहम्मद नदीम-उल-हक, वी विजयसाई रेड्डी, मोहम्मद अब्दुल्ला, संजय सिंह और धर्मस्थला वीरेंद्र हेगड़े जेपीसी में शामिल किए गए हैं।

पहली बार मोदी सरकार कोई कानून पास कराने में विफल

केंद्र सरकार ने मानसून सत्र में वक्फ़ बोर्ड संशोधन विधेयक पेश किया था। लेकिन मोदी सरकार के तीन बार के अबतक के कार्यकाल में पहली बार ऐसा हुआ कि सरकार कोई कानून पास कराने में असफल रही। विपक्ष के विरोध के चलते सरकार ने वक्फ़ संशोधन बिल को जेपीसी को सौंपने का ऐलान किया। जेपीसी, लोकसभा और राज्यसभा के सभी दलों के प्रतिनिधित्व वाली कमेटी होती है जो किसी भी विषय पर सभी पक्षों को सुनने और परीक्षण के बाद रिपोर्ट संसद को देती है।

अब समझते हैं वक्फ़ बोर्ड विवाद?

दरअसल, वक्फ़ का मतलब दान या किसी अन्य तरीके से मिली संपत्ति को कहते हैं। इन वक्फ़ की संपत्तियों की देखरेख के लिए वक्फ़ बोर्ड का गठन किया गया था। सरकार ने साल 1954 में वक्फ़ कानून बनाया था। इस बोर्ड को बंटवारे में पाकिस्तान चले गए लोगों की जमीनों को भी दे दिया गया था। रिकॉर्ड को देखें तो भारत में सेना और रेलवे के बाद अगर किसी संस्था के पास जमीनें हैं तो वह वक्फ़ बोर्ड के पास ही है। इन जमीनों से सालाना 200 करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी बोर्ड को होती है।

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