November 10, 2024
अकाल तख्त ने धार्मिक कदाचार के लिए सुखबीर बादल को 'तनखैया' घोषित किया

अकाल तख्त ने धार्मिक कदाचार के लिए सुखबीर बादल को ‘तनखैया’ घोषित किया​

जत्थेदार ने कहा कि जब तक बादल श्री गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में अकाल तख्त के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलतियों के लिए माफी नहीं मांगते, तब तक उन्हें ‘तनखैया’ घोषित किया जाता है.

जत्थेदार ने कहा कि जब तक बादल श्री गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में अकाल तख्त के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलतियों के लिए माफी नहीं मांगते, तब तक उन्हें ‘तनखैया’ घोषित किया जाता है.

सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त ने शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) को 2007 से 2017 तक उनकी पार्टी की सरकार द्वारा की गई ‘‘गलतियों” के लिए धार्मिक कदाचार का दोषी- ‘तनखैया’ करार दिया. पांच तख्तों के सिंह साहिबान की बैठक के बाद अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि बादल जब उपमुख्यमंत्री और शिअद अध्यक्ष थे, तब उन्होंने ऐसे फैसले किए, जिनसे पार्टी प्रभावित हुई और सिखों के हितों को नुकसान पहुंचा.

जत्थेदार ने कहा कि जब तक बादल श्री गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में अकाल तख्त के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलतियों के लिए माफी नहीं मांगते, तब तक उन्हें ‘तनखैया’ घोषित किया जाता है.

जत्थेदार ने यहां अकाल तख्त सचिवालय में बैठक के बाद कहा कि 2007-2017 तक अकाली मंत्रिमंडल का हिस्सा रहे सिख समुदाय के मंत्रियों को भी 15 दिनों के भीतर अकाल तख्त के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना लिखित स्पष्टीकरण देना चाहिए.

बादल ने पंजाब में अकाली दल के सत्ता में रहने के दौरान की गई ‘‘सभी गलतियों” के लिए ‘‘बिना शर्त माफी” मांगी है. इससे पहले अपने पत्र में बादल ने कहा था कि वह गुरु के ‘‘विनम्र सेवक” हैं और गुरु ग्रंथ साहिब एवं अकाल तख्त के प्रति समर्पित हैं. पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने 24 जुलाई को अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया था.

क्‍या है पूरा मामला

ये मामला लगभग 25 साल पुराना है. जब खालसा पंथ के 300 साल पूरे होने का जश्‍न मनाया जा रहा था, तब जत्‍थेदार गुरचरण सिंह टोहड़ा ने तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री व पार्टी प्रधान प्रकाश सिंह बादल को एक सुझाव दिया था. लेकिन बादल ने न सिर्फ तब इस सुझाव को खारिज कर दिया था, बल्कि उन्‍हें पार्टी से निष्‍कासित भी कर दिया था. इसके बाद अकाली दल में काफी उथल-पुथल मच गई थी. टोहड़ा ने इसके बाद अपनी पार्टी बना ली थी.

(भाषा इनपुट के साथ… )

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