November 23, 2024
इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकती हैं डायबिटीज, हार्ट और मोटापा जैसी बीमरियां

इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकती हैं डायबिटीज, हार्ट और मोटापा जैसी बीमरियां​

Inflammation Diseases: डॉ. तनेजा का कहना है कि पुराना तनाव भी इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकता है. उन्होंने इससे बचने के लिए ध्यान और रिलैक्सेशन जैसे उपाय अपनाने की सलाह दी.

Inflammation Diseases: डॉ. तनेजा का कहना है कि पुराना तनाव भी इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकता है. उन्होंने इससे बचने के लिए ध्यान और रिलैक्सेशन जैसे उपाय अपनाने की सलाह दी.

डायबिटीज आज के समय की एक गंभीर समस्या में से एक है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, डायबिटीज, हृदय रोग और मोटापा जैसी बीमारियां शरीर में इन्फ्लेमेशन का लेवल बढ़ा सकती हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, इन्फ्लेमेशन चोट, रोग, जलन या ऑक्सीडेटिव तनाव शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है. यह चेतना में कमी या दिमाग के कम काम करने का महत्वपूर्ण कारक बन सकते हैं. इन्फ्लेमेशन के दौरान शरीर की कोशिकाएं आपस में लड़ती हैं और संक्रमण का घर बनती हैं. इससे कुछ रसायन निकलते हैं, जो आसपास की कोशिकाओं में प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं. इससे इन्फ्लेमेशन पैदा होती है, जो अक्सर दर्द या सूजन का कारण बनते हैं.

सर गंगा राम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के कंसल्टेंट डॉ. विनस तनेजा ने आईएएनएस को बताया, “शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली के ज्यादा सक्रिय होने या लंबे समय तक संक्रमण के कारण दिमाग की कोशिकाओं में इन्फ्लेमेशन होता है. इससे तंत्रिका तंत्र कमजोर होती है और चेतना में कमी आती है. डॉक्टर ने कहा, “बुजुर्गों में इसका जोखिम अधिक होता है. इसके अलावा डायबिटीज, हृदय रोग और मोटापा जैसी बीमारियों के शिकार लोगों में भी चेतना की कमी का जोखिम ज्यादा होता है.

डॉ. तनेजा का कहना है कि पुराना तनाव भी इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकता है. उन्होंने इससे बचने के लिए ध्यान और रिलैक्सेशन जैसे उपाय अपनाने की सलाह दी.

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इन्फ्लेमेशन के लिए लाइफस्टाइल और डाइट भी जिम्मेदार-

गुरुग्राम के न्यूरोइंटरवेंशन पारस हॉस्पिटल के समूह निदेशक डॉ. विपुल गुप्ता ने कहा, “लाइफ्स्टाइल के कारण भी इन्फ्लेमेशन में योगदान दे सकते हैं. इसमें कम शारीरिक गतिविधि, तनाव, मोटापा, अनहेल्दी डाइट जैसे- ऑयल, जंक फूड का सेवन, नींद की गड़बड़ी, वायु प्रदूषण धूम्रपान और शराब का सेवन शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है. उन्होंने कहा, “इनफ्लेमेशन तब होता है जब किसी को बुखार या संक्रमण होता है, जो बार-बार आता-जाता रहता है. हालांकि, कुछ स्थितियों में लंबे समय तक बना रहने वाला इन्फ्लेमेशन भी हो सकता है. अध्ययनों से पता चला है कि गठिया से पीड़ित रोगियों में, खासकर जो मोटे होते हैं, चेतना में कमी या दिमाग के कम काम करने का जोखिम अधिक होता है. डॉक्टर ने कहा, इसे रोकने के लिए रोजाना शारीरिक गतिविधि और व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए. धूम्रपान और शराब से बचने और फल तथा सब्जियां खाने से लाभ मिलता है.

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