हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) पर 90 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है और राज्य आर्थिक संकट (Economic Crisis) से जूझ रहा है. 3 तारीख बीतने के बावजूद कर्मचारियों की सैलरी नहीं आई है, जिसके बाद विपक्ष भी हमलावर है. (वीडी शर्मा की रिपोर्ट)
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में आर्थिक संकट (Economic Crisis) पर बवाल मचा है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने सदन में आर्थिक संकट की बात कर खुद, मंत्रियों, सीपीएस और विधायकों के दो महीने तक सैलरी नहीं लेने का ऐलान किया और अब मुख्यमंत्री कह रहे कि हैं कि कोई वितीय संकट नहीं है. हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि 3 तारीख तक कर्मचारियों की सैलरी नहीं मिली है. विपक्ष हिमाचल में वित्तीय आपातकाल बता रहा है. वहीं सैलरी और पेंशन नहीं आने से प्रदेश के लाखों कर्मचारियों व पेंशनरों में खासा रोष हैं.
हिमाचल में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि आज 3 तारीख होने के बावजूद कर्मचारियों के खाते में सैलरी और पेंशनरों के खाते में पेंशन नहीं आई है. हिमाचल में गहरा वित्तीय आपातकाल है. हिमाचल प्रदेश दिवालिया होने की स्थिति में है, जबकि मुख्यमंत्री कभी कह रहे हैं कि आर्थिक संकट है और कभी कह रहे हैं कि आर्थिक संकट नहीं है. उन्होंने सवाल किया कि अगर आर्थिक संकट नहीं है तो कर्मचारियों को सैलरी क्यों नहीं मिली.
ठाकुर ने कहा कि विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सदन में चर्चा की मांग की थी, लेकिन सरकार गंभीर नहीं है. हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट पैदा हो गया है और विपक्ष इसको लेकर गंभीर है. विपक्षी विधायक दल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंप कर दखल की मांग की है. भाजपा, कांग्रेस की खटाखट गारंटियों की चुनावी राज्यों में भी पोल खोलेगी.
सुक्खू ने पूर्ववर्ती जयराम सरकार पर लगाए आरोप
वहीं हिमाचल में अब वितीय संकट को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कह रहे हैं कि वितीय अनुशासन के चलते कर्मचारियों की सैलरी रोकी गई है. वित्तीय सुधार चल रहे हैं, थोड़ा समय तो लगता है, जल्दी सैलेरी दे देंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हम वितीय संकट से उभर रहे हैं. पिछले साल हमने 2200 करोड़ का राजस्व कमाया है और भी आय के संसाधनों पर जोरों से कदम उठाए जा रहे हैं और लगातार वितीय संकट में सुधार हो रहा है. थोड़ा सा वित्तीय अनुशासन और आर्थिक सुधार पर जोर दिया गया है. मुख्यमंत्री का कहना है कि हिमाचल में इस वित्तीय संकट और वित्तीय कुप्रबंधन के लिए पूर्व की जयराम सरकार जिमेदार हैं.
सैलरी नहीं आने से कर्मचारियों में नाराजगी
सैलरी न मिलने से कर्मचारियों में खासा रोष है. कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सैलरी कब आएगी, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है और न ही सरकार ने इसकी कोई आधिकारिक सूचना दी है. कर्मचारियों को इधर-उधर से उधार लेकर खर्चा चलाना पड़ रहा है. कर्मचारियों को बिजली, पानी, राशन इत्यादि के बिल देने होते हैं, जो वे नहीं दे पा रहे हैं. कर्मचारियों के ईएमआई पर भी असर हो रहा है. बैंक से कर्मचारियों को फोन आ रहे हैं और कुछ को तो पेनल्टी भी लग गई है. उन्होंने कहा कि जो कर्मचारी सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहा है उनके तबादले किए जा रहे हैं.
राज्य पर 90 हजार करोड़ रुपये का कर्ज
गौरतलब हैं कि हिमाचल में वित्तीय संकट हैं इस बात में कोई दो राय नही है. प्रदेश पर 90 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है. 10 हजार करोड़ की कर्मचारियों व पेंशनरों की देनदारियां हैं. अब स्थिति यह हो गई है कि हिमाचल में चुनाव के वक्त दी गई गारंटियों के चलते करीब 5 लाख कर्मचारियों और पेंशनरो को सैलरी और पेंशन देना भी मुश्किल हो गया है.
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