राज्य सरकार ने यह फैसला लेते हुए कर्ज पर दिया जाने वाला ब्याज बचाने की कोशिश की है.
हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को 5 सितंबर को वेतन और 10 सितंबर को पेंशन दी जाएगी. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में यह घोषणा की. राज्य सरकार ने यह फैसला लेते हुए कर्ज पर दिया जाने वाला ब्याज बचाने की कोशिश की है. ऐसा करने से एक साल में 36 करोड़ रुपये बचेंगे क्योंकि कर्मचारियों को वेतन और पेंशन कर्ज लेकर दिया जाता है.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ये कर्ज पर ब्याज बचाने की उनकी कोशिश है. दरअसल, भारत सरकार की ओर से 6 तारीख को रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट 520 करोड़ रुपये आती है. ऐसे में पहली तारीख को वेतन देने के लिए सरकार को बाजार से लोन लेने की जरूरत पड़ती है और इस पर 7.5% का ब्याज लगता है. इस वजह से ब्याज के बोझ को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है. ऐसा करने से हर महीने ब्याज के 3 करोड़ रुपये बचेंगे.
ऐसा करने से सालाना 36 करोड़ रुपये बचेंगे. जानकारी के मुताबिक हिमाचल में सरकारी कर्मचारियों के वतन पर हर महीने 1200 करोड़ रुपये और पेंशन में 800 करोड़ रुपये यानि कुल मिलाकर 2000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. राज्य को हर महीने की 6 तारीख को RDG के 520 करोड़ रुपये मिलते हैं और केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के 740 करोड़ रुपये आते हैं.
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