September 23, 2024
'राजनीतिक भड़काऊ बहस संविधान और संस्थानों के लिए हानिकारक' : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

‘राजनीतिक भड़काऊ बहस संविधान और संस्थानों के लिए हानिकारक’ : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़​

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि देश अब तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसकी तरक्की को रोका नहीं जा सकता.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि देश अब तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसकी तरक्की को रोका नहीं जा सकता.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नागपुर के एक कार्यक्रम में संविधान की मूल भावना को बनाए रखने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि हमारी संस्थाएं कठिन परिस्थितियों में अपना कर्तव्य निभाती हैं और हानिकारक बयान उन्हें निराश कर सकती हैं. धनखड़ ने कहा कि राजनीतिक भड़काऊ बहस को बढ़ावा नहीं देना चाहिए जो स्थापित संस्थानों के लिए हानिकारक है.

उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा, “राज्य के सभी अंगों का एक ही उद्देश्य है: संविधान की मूल भावना सफल हो, आम आदमी को सब अधिकार मिले, भारत फले और फूले. उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों और आगे के संवैधानिक आदर्शों को पोषित करने और फलने-फूलने के लिए मिलकर और एकजुट होकर काम करने की जरूरत है. इन मंचों को राजनीतिक भड़काऊ बहस को बढ़ावा नहीं देना चाहिए जो स्थापित संस्थानों के लिए हानिकारक है, जो चुनौतीपूर्ण और कठिन माहौल में देश की अच्छी तरह से सेवा करते हैं. हमारी संस्थाएं कठिन परिस्थितियों में अपना कर्तव्य निभाती हैं और हानिकारक बयान उन्हें निराश कर सकती हैं. ये एक राजनीतिक बहस को जन्म दे सकता है और एक कहानी को गति दे सकता है. हमें अपने संस्थानों को लेकर बेहद सचेत रहना होगा. वे मजबूत हैं, वे कानून के शासन के तहत स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं और संतुलित हैं.”

All organs of state have one common objective: संविधान की मूल भावना सफल हो, आम आदमी को सब अधिकार मिलें, भारत फले और फूले।

They need to work in tandem and togetherness to nurture and blossom democratic values and further Constitutional ideals.

Let these sacred platforms not… pic.twitter.com/lBUMlVfWFK

— Vice-President of India (@VPIndia) September 15, 2024

उन्होंने साथ ही कहा कि भारत अब सोए अवस्था में नहीं रहा, बल्कि देश अब तरक्की की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा सेवा है, व्यापार नहीं.

धनखड़ ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लोकतंत्र को परिभाषित करती है और आपको जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है वो विकास को परिभाषित करती है और ये 2047 तक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनने संबंधी हमारे लक्ष्य को तेजी से आगे बढ़ाएगी.

अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता सुशासन का एक साधन है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, “देश अब तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसकी तरक्की को रोका नहीं जा सकता. भारत की आर्थिक उन्नति तेजी से हुई है और वैश्विक संस्थाओं के अनुसार, देश निवेश और अवसरों के लिए एक पसंदीदा स्थान है.”

उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार हमारे समाज को खा रहा था. भ्रष्टाचार के बिना कोई नौकरी नहीं मिलती थी, कोई ठेका नहीं मिलता था और कोई अवसर नहीं मिलता था. सत्ता के गलियारे भ्रष्टाचार से ग्रस्त थे और यह युवा लड़कों और लड़कियों के लिए बहुत निराशाजनक था.”

धनखड़ ने कहा कि सत्ता के गलियारों से बिचौलियों को हमेशा के लिए हटा दिया गया है. उन्होंने कहा, “अब सत्ता के गलियारों को इन भ्रष्ट तत्वों से मुक्त कर दिया गया है.”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा सेवा है, व्यापार नहीं. उन्होंने विश्वविद्यालय में छात्रों से कहा कि एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है जहां युवा अपनी क्षमता और प्रतिभा का इस्तेमाल कर सकते हैं.

उन्होंने ये भी कहा कि प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपार अवसर हैं. उन्होंने समुद्र विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अवसरों को तलाशने पर जोर दिया.

NDTV India – Latest

Copyright © asianownews.com | Newsever by AF themes.