Lok Sabha Election 2024: चुनाव में आचार संहिता का औचित्य क्या है ?

अशोक कुमार
भारतीय चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित ‘जनरल इलेक्शंस 2019: एन एटलस’, के मुताबिक, भारत के पहले आम चुनाव की प्रक्रिया 25 अक्टूबर, 1951 को शुरू हुई और यह चार महीने तक चलकर 21 फ़रवरी, 1952 को पूरी हुई थी ! इसके बाद 17 अप्रैल 1952 को पहली लोकसभा का गठन हुआ था. साल 1962 से 1989 के बीच आम चुनाव चार से 10 दिनों के बीच पूरे हो जाते थे. 1980 में चार दिवसीय चुनाव देश के अब तक के सबसे छोटे चुनाव थे. देश में पहले और दूसरे आम चुनाव में लगने वाले महीनों तक के वक्त के मुकाबले सातवां लोकसभा चुनाव 1980 महज चार दिन में पूरा हो गया था. तीन जनवरी को शुरू होकर छह जनवरी 1980 को यह आम चुनाव संपन्न हो गया था.

18वीं लोकसभा की रणभेरी बजी

देश में लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बज गई है. 18वीं लोकसभा के लिए देश के लगभग 97 करोड़ मतदाता अपने सांसद चुनने वाले हैं. भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने शनिवार को लोकसभा चुनाव 2024 का कार्यक्रम जारी कर दिया है. देश की 543 लोकसभा सीटों पर सात चरणों में वोट डाले जाएंगे. लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल 2024 से शुरू होगा और चुनाव के परिणाम 04 जून 2024 को घोषित किए जाएंगे.

चुनाव आचार संहिता लागू

जिस दिन से चुनाव आयोग चुनाव की तिथि घोषित कर देता है उस दिन से पूरे देश में आचार संहिता लागू हो जाती है ! इस आचार संहिता में विभिन्न प्रशासनिक, सामाजिक गतिविधियों पर रोक लग जाती है ! वर्तमान समय में ऐसा देखा गया है की जब आचार संहिता लागू हो जाती है और नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के पहले और होने के बाद अधिक संख्या में राजनीतिक दल बदल की प्रक्रिया शुरू हो जाती है! राजनीतिक टिकट वितरण के साथ ही ,जब किसी नेता को टिकिट नहीं मिलता तब वह दूसरी पार्टी मे दल बदल लेता है!

आजकल क्योंकि चुनाव की एक लंबी प्रतिक्रिया होती है , चुनाव कई चरणों में होता है, इस प्रक्रिया के दौरान बहुत सारे चुनाव की ओपिनियन पोल आती रहती हैं या एक चुनाव का माहौल बन जाता है जिसमें समय-समय पर यह मालूम चलता है की अब एक पार्टी का जोर चल रहा है या किसी अन्य पार्टी का जोर चल रहा है और उसको देखते हुए नेता अपना दल बदलने की कोशिश करते हैं!

चुनाव के दौरान दलबदल को अवैध माना जाए

मेरा यह सुझाव है की जैसे ही आचार संहिता लागू हो जाए उसके बाद से चुनाव परिणाम तक राजनीतिक दल बदल को अवैध माना जाए !

चुनाव के समय जब नामांकन शुरू होता है और उसके बाद जिस दिन चुनाव केन्द्रों पर मतदान होता है उसके 24 घंटे पहले उस स्थान पर चुनाव प्रचार रोक दिया जाता है ! वर्तमान समय में चुनाव प्रचार रोकने का कोई औचित्य सफल नहीं है! पूर्व में चुनाव की अवधि कम हुआ करती थी और टीवी, दूरसंचार, इंटरनेट आदि आधुनिक कम्युनिकेशन का उपयोग नहीं होता था लेकिन आजकल मीडिया एक प्रचार का मुख्य तंत्र बन गया है और इस मीडिया के कारण आप देश भर में किसी भी कोने में चुनाव का प्रचार कीजिए वो दुनिया के हर कोने में आसानी से मतदाताओं तक पहुंच जाता है!

ऐसा देखा गया है कि हम लोकसभा के चुनाव में जिस क्षेत्र में मतदान होना है उसमें 24 घंटे पहले प्रचार की प्रक्रिया समाप्त कर देते हैं लेकिन क्योंकि किसी अन्य क्षेत्र में मतदान की प्रक्रिया कुछ दिन बाद होनी है इसलिए सभी नेता दूसरे मतदान क्षेत्र पर पहुंचकर और विशेष कर जिस दिन किसी अन्य स्थान पर मतदान होना है , जहां पर उनका प्रचार करना पर पाबंदी लगा दी गई थी वह किसी अन्य क्षेत्र में बहुत ही जोरो से ,बहुत ही वैभव के साथ प्रचार अवश्य करते हैं ! जितना बड़ा नेता होता है उसका प्रचार का कवरेज हर मीडिया ग्रुप करता है, हर टीवी चैनल करता है और वह चुनाव के लिए अपना प्रचार करने में सफल हो जाता है !

इसलिए मैं समझता हूं कि यह चुनाव में 24 घंटे पहले की प्रचार की अवधि को समाप्त किया जाए या फिर चुनाव आयोग को कोई नए नियम लागू करने पड़ेंगे जो चुनाव प्रचार के लिए रोकथाम समय पर संभव हो सके !

( इस लेख के लेखक प्रो.अशोक कुमार, गोरखपुर और कानपुर विश्वविद्यालयों के कुलपति रह चुके हैं। वह विभिन्न विषयों पर लिखते रहते हैं।)