July 5, 2024
Vice chancellor

विश्व गुरु या गुरुघंटाल…. साल में दो-दो बार दीक्षांत लेकिन डिग्री के बिना

शिक्षा की दुर्दशा का एक किस्सा, संस्मरण के रूप में सुना रहे हैं पूर्व कुलपति प्रो.अशोक कुमार।

प्रो.अशोक कुमार
अपने 50 वर्ष के शैक्षणिक कार्यकाल में मैंने शिक्षा के क्षेत्र में काफी कार्य किया। अंतिम दशक , 2011 से लेकर 2022 तक मैंने कुलपति का कार्य का निर्वहन। 2022 में कुलपति के कार्य से सेवानिवृत्त होकर मैंने कुछ विश्राम किया और इस दौर में शिक्षा के प्रति कई लेख लिखें और विभिन्न संस्थानों में शैक्षणिक व्याख्यान दिए।
एक दिन मैं अपने निवास में विश्राम कर रहा था तब किसी ने मुझे फोन पर बताया कि जयपुर के पास एक बहुत अच्छा विश्वविद्यालय प्रारंभ हुआ है, NAAC A Grade, और उसके प्रारंभ हुए लगभग 10 वर्ष हुए।

मेरे मित्र ने मुझसे यह आग्रह किया कि मैं उस विश्वविद्यालय में अवश्य एक बार जाकर उसके बारे में ज्ञान प्राप्त करें। मैं बड़े मन से उस नवीन विश्वविद्यालय के प्रांगण में पहुंचा। मुझे बहुत ही सुखद आश्चर्य हुआ। विश्वविद्यालय का प्रांगण बहुत सुंदर ढंग से सजा हुआ था। विश्वविद्यालय के प्रांगण में विभिन्न स्थलों में विशेष शैक्षणिक विज्ञापन लगे हुए थे। मैं इन शैक्षणिक विज्ञापन को देखकर बहुत प्रभावित हुआ। विश्वविद्यालय के चारों ओर चहल-पहल दिख रही थी । छात्र-छात्राएं, शिक्षक और कर्मचारी, विश्वविद्यालय में चहल-पहल कर रहे थे।

यहां आकर प्रसन्न हो रहा था लेकिन…

मैं बहुत ही मन में प्रसन्न हो रहा था कि आज बहुत दिनों बाद एक अच्छे विश्वविद्यालय के प्रांगण में मैं आया। साथ ही साथ मेरे मन में यह जिज्ञासा हुई कि आज ऐसी कौन सी बात है कि विश्वविद्यालय बहुत सुंदर ढंग से सुसज्जित है। मैंने एक व्यक्ति से पूछा मुझे मालूम चला कि वह व्यक्ति उस विश्वविद्यालय का एक शिक्षक है। मैंने विश्वविद्यालय के शिक्षक से यह प्रश्न किया कि आज विश्वविद्यालय में क्या कोई कार्यक्रम होने वाला है ? शिक्षक बहुत ही प्रसन्न मुद्रा में बोला कि जी आज हमारे विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह मनाया जाएगा। इतना ही नहीं वह बहुत ही ज्यादा उत्साहित होकर बोला कि हमारा विश्वविद्यालय विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय है जहां पर कि 1 वर्ष में दो बार दीक्षांत समारोह मनाया जा रहा है।

एक साल में दो बार दीक्षांत?

मैं सोचने लगा विश्वविद्यालय में एक ही वर्ष में दो बार दीक्षांत समारोह कैसे और क्यों मनाया जा रहा है ? शिक्षक बहुत ही उत्साहित था उसने कहा कि हम अपने प्रत्येक सेमेस्टर के बाद दीक्षांत समारोह मनाते हैं। मैं बहुत प्रभावित हुआ और मैंने उन शिक्षक महोदय से पूछा कि आप दीक्षांत समारोह में क्या-क्या कार्यक्रम करते हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के विभिन्न शिक्षकों को अधिकारियों छात्रों कर्मचारियों को निमंत्रण देते हैं और माननीय कुलाधिपति को आमंत्रित करते हैं। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि भी होते हैं जो कि दीक्षांत समारोह का व्याख्यान देते हैं।

माननीय कुलाधिपति महोदय विश्वविद्यालय के छात्रों को उनकी उपलब्धि के लिए मेडल प्रदान करते करते। स्कूल के बच्चों को बस्ता भी देते हैं। उन्होंने बहुत ही गर्व से बताया कि आज इस कार्यक्रम में एक बहुत ही विख्यात शिक्षाविद आएंगे। मैंने उनसे पूछा कि कार्यक्रम कितने बजे प्रारंभ होगा। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम सुबह के 11:00 बजे से प्रारंभ होगा। मैंने बहुत ध्यान रखा। जब मुझे उस विश्वविख्यात महोदय के बारे में ज्ञात हुआ तब मेरे मन में जिज्ञासा हुई।

भाषण भी पहले से तैयार था…

मैंने एक शिक्षक महोदय से पूछा कि माननीय विख्यात शिक्षाविद किस विषय पर भाषण देंगे। उन्होंने गर्व से कहा माननीय विख्यात शिक्षाविद का दीक्षांत भाषण उन्होंने ही विख्यात शिक्षाविद के लिए लिखा है। माननीय विख्यात शिक्षाविद जी उस भाषण को दीक्षा समारोह में पढ़ेंगे। मैं उन शिक्षक महोदय से बहुत प्रभावित हुआ और दीक्षांत समारोह के प्रारंभ होने का इंतजार करता रहा। सौभाग्य से मैं उन माननीय शिक्षाविद को व्यक्तिगत रूप से जानता था।

इसलिए मैं माननीय शिक्षाविद से जाकर मिला। सौभाग्य से वहां पर वह शिक्षक भी मिल गए जिन्होंने मुझे दीक्षांत समारोह के बारे में ज्ञान दिया था। मैंने माननीय शिक्षाविद को प्रणाम किया और उनके पास स्थान ग्रहण किया। मैंने देखा कि माननीय विख्यात शिक्षाविद शिक्षक महोदय से अपनी व्याख्यान के बारे में विचार विमर्श कर रहे थे। माननीय मुख्य अतिथि महोदय बड़े प्रसन्न दिखाई दे रहे थे। मुझे लगा शिक्षक महोदय ने उनका व्याख्यान बहुत ही अच्छा लिखा है जिसको पढ़कर वह प्रसन्न हो रहे हैं।

काल करे सो आज कर आज करे सो अभी

थोड़ी देर बाद दीक्षांत समारोह प्रारंभ हुआ मुझे आश्चर्य हुआ। क्या हुआ मुझे विश्वविद्यालय में समारोह के उपलक्ष में कुछ बातें याद आ गई जैसे कि “ काल करे सो आज कर आज करे सो अभी “। इस कहावत को ध्यान करके मुझे लगा कि आज यह विश्वविद्यालय इस को पूरी तरह से चरितार्थ कर रहा है जो दीक्षांत समारोह कुछ महीने बाद होना चाहिए था वह कुछ महीने पहले ही हो रहा है। विद्यार्थियों का परीक्षा फल नहीं निकला, विद्यार्थियों की डिग्री अभी तक प्रिंट नहीं हुई लेकिन फिर भी बड़े तन मन धन से विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह मनाया जा रहा था। इतना ही नहीं विश्वविद्यालय ने मुख्य अतिथि के स्वागत में उनके नाम के बहुत सुंदर संग्रहालय बनाया गया है और मुझे पता है कि दीक्षांत समारोह में सुंदर संग्रहालय का उद्घाटन भी किया जाएगा।

शानदार तरीके से संपन्न हुआ दीक्षांत

दीक्षांत समारोह बड़े शानदार तरीके से संपन्न हुआ। दीक्षांत समारोह संपन्न होने के बाद माननीय मुख्य अतिथि महोदय विश्राम करने एक कक्ष में चले गए और वहां पर चाय का प्रबंध था। माननीय मुख्य अतिथि के चारों ओर कुलपति के साथ विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय के एवं छात्र उपस्थित थे। मैंने बड़े ध्यान से मुख्य अतिथि की तरफ देख रहा था एकाएक मेरे कान में मुख्य अतिथि और शिक्षकों के बीच वार्ता सुनाई दी। सभी लोग मुख्य अतिथि के व्याख्यान की बहुत प्रशंसा कर रहे थे।

मुख्य अतिथि भी अपनी प्रशंसा सुनकर बहुत प्रसन्न लग रहे थे। लेकिन अचानक उन्होंने उस शिक्षक से जिसने कि उनका व्याख्यान लिखा था एक प्रश्न किया : उन्होंने कहा – प्रोफेसर साहब आपको बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने बहुत अच्छा व्याख्यान मेरे लिए लिखा लेकिन मैं अभी भी मन में सोचता हूं कि आपने इस व्याख्यान में किसी भी कमी को नहीं बताया , अंकित नहीं किया। मैं यह जानना चाहता हूं : विश्वविद्यालय में या दीक्षांत समारोह में कोई ना कोई कमी तो अवश्य होगी अब क्योंकि दीक्षांत समारोह समाप्त हो गया है कृपा करके मुझे उस कमी के बारे में भी बताएं !

बिना डिग्री के दीक्षांत…

शिक्षक महोदय बहुत मुस्कुराए और मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा कि महोदय इस दीक्षांत समारोह में , कोई भी कमी नहीं थी , आपके व्याख्यान में भी कोई कमी नहीं थी ! मुख्य अतिथि महोदय इस बात से नहीं माने नहीं और कहा ऐसा तो हो ही नहीं सकता कोई ना कोई कमी तो होगी आप बेझिझक मुझे बताइए। अब शिक्षक महोदय मुस्कुराए उन्होंने कहा दीक्षांत समारोह बहुत अच्छा था जिसमें एक ही कमी थी और वह कमी थी विद्यार्थियों को डिग्री नहीं दी गई क्योंकि उनका परीक्षा परिणाम फल अभी भी नहीं निकला है ! मुख्य अतिथि मुस्कुराए ! उन्होंने एक और प्रश्न किया मैंने सुना है विश्वविद्यालय में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर दी गई है और इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी क्या कोई कमी है।

शिक्षक महोदय एक बार फिर मुस्कुराए और उन्होंने कहा : राष्ट्रीय शिक्षा नीति , देश की सबसे महत्वपूर्ण नीति है और इस नीति के कारण एवं शीघ्र विश्व गुरु बनेंगे ! माननीय अतिथि महोदय ने पूछा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी क्या कोई कमी रह गई है ! शिक्षक महोदय एक बार फिर मुस्कुराए और बोले कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कोई कमी नहीं है , बस एक ही कमी है ! मुख्य अतिथि महोदय ने बड़े आश्चर्य से पूछा कौन सी कमी है ? शिक्षक महोदय ने बहुत सहज रूप से कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सिर्फ “ शिक्षा “ की कमी है अन्यथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति अब तक के सभी नीतियों में सर्वोत्तम है ! माननीय मुख्य अतिथि जी बहुत प्रसन्न हुए , मुस्कुराए और उन्होंने कहा आज मैं इस विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह से आश्वस्त हो गया कि भारत शीघ्र ही विश्व गुरु बनेगा !

(प्रो.अशोक कुमार, कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय , वैदिक विश्वविद्यालय निंबहारा , निर्वाण विश्वविद्यालय जयपुर के पूर्व अध्यक्ष व आईएसएलएस के अध्यक्ष तथा सोशल रिसर्च फाउंडेशन के प्रेसिडेंट हैं।)

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