अशोक कुमार
‘रघुपति रीत सदा चली आई’ की भान्ति नकल की रीत भी बरसों से चली आ रही है। यह न रूकी है और न इसके रूकने की कोई संभावना है। एक वर्ष की बात है राजस्थान विश्वविद्यालय के महाराजा कॉलेज महाविद्यालय में एक महिला Prof Kamla (नाम परिवर्तित ) चीफ प्रॉक्टर बनी उन्होंने परीक्षा के समय हम सब से कहा कि मेरे रहते हुए महाविद्यालय में परीक्षा के समय कोई भी विद्यार्थी नकल नहीं कर सकता मुझे बताओ ऐसा कौन सा विद्यार्थी है जो संभावित रूप से निकल कर सकता है।
हम लोग प्रोफेसर कमला को परीक्षा केंद्र में ले गए और वहां पर एक विद्यार्थी की ओर इंगित किया कि यह विद्यार्थी नकल कर सकता है। हमारी महिला शिक्षक सम्माननीय चीफ प्रॉक्टर प्रोसेसर कमला विद्यार्थी के सीट के सामने खड़ी हो गई। विद्यार्थी किसी भी प्रकार की कोई नकल नहीं करी। महिला शिक्षक बड़ी उत्साहित थीं। वह हम लोगों की तरफ बार-बार देख रही थी कि देखो मेरे रहते हुए यह विद्यार्थी परीक्षा में नकल नहीं कर पा रहा है।
अचानक वहां से भागी आईं प्रॉक्टर
कुछ समय पश्चात पता नहीं क्या हुआ एकाएक वह हम लोगों के पास आयी और वह कहने लगी कि मैं उस विद्यार्थी के पास निरीक्षण नहीं करूंगी। वह विद्यार्थी मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा। कुछ शरारत कर रहा है। हम सब बड़े आश्चर्यचकित थे क्योंकि हम लोग उसी कमरे में मौजूद थे और कोई ऐसी घटना नहीं दिख रही थी। तब उन्होंने कहा कि नहीं तुम लोग उसके पास जाओ और उसके उत्तर पुस्तिका को देखो हम लोग वहां गए और हम लोगों ने उत्तर पुस्तिका को देखा उस विद्यार्थी में बड़े बड़े मोटे अक्षरों में लिखा था आई लव कमला ( I love Amla ) शायद इसी बात पर महिला शिक्षक बड़ी नाराज थी और वह वहां से हट गई।
नकल से संबंधित एक बड़ी रोचक घटना है। महाराजा कॉलेज में मैंने एक बार देखा की परीक्षा शुरू होने से पहले एक शिक्षक पूरे महाविद्यालय का निरीक्षण करते हैं और महाविद्यालय में जितने भी शौचालय होते हैं उनको स्वयं निरीक्षण करते हैं और उसको बंद करवा देते हैं। मैंने बड़े आश्चर्य के कहा ऐसी क्या बात है जो शौचालय को निरीक्षण के प्रति कितने गंभीर रहते हैं।
स्टूडेंट ने लगाया गंभीर आरोप
मुझे महाविद्यालय के शिक्षकों ने बताया की उन शिक्षक के साथ एक बार एक घटना घट चुकी है। एक बार एक परीक्षा केंद्र पर वह शिक्षक निरीक्षण कर रहे थे। इतने में परीक्षा केंद्र से एक कक्षा में एक छात्र शौचालय की तरफ गया और वहां पर उसने अपनी जेब से नकल की सामग्री निकाली। शिक्षक महोदय ने तुरंत ही उस छात्र को पकड़ लिया। उसकी नकल सामग्री निकाल ली और उस छात्र पर नकल का एक हिस्सा नकल कि रिपोर्ट मे लगा दिया। यह बात जब परीक्षा समिति को गई तब विद्यार्थी ने एक अजीब दास्तान लिखी उसने लिखा कि मैं शौचालय गया था और शिक्षक महोदय मेरे साथ कुकर्म करना चाहते थे। मैंने उनको मना कर दिया उस कारण से उन्होंने जबरदस्ती कुछ कागजों को जो कि बाहर रखे हुए थे, मेरी जेब में रखे दिये। मैं पीड़ित हूं मेरी सहायता कीजिए।
हमे सुनकर बड़ा दुख हुआ और आश्चर्य हुआ कि एक छात्र शिक्षक को इतना बदनाम कैसे कर सकता है। शिक्षक चिंतित हुए हम सबके बहुत समझाने की कोशिश करी और अंत में एक समझौता हुआ जो कि वास्तव में मैं समझता हूं नहीं होना चाहिए था। लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी थी , प्रशासनिक कारण कुछ ऐसे थे कि तत्कालीन कुलपति के निर्देशानुसार प्रकरण को वहीं पर समाप्त कर दिया गया। इसी कारण से मेरे साथियों ने बताया जब भी परीक्षा होती है शिक्षक शौचालय के प्रति गंभीर हो जाते हैं।