November 21, 2024
Ethanozoology

लोकप्राणिकी (Ethanozoology): जानवरों और मानव संस्कृतियों के बीच संबंध

वैज्ञानिक समुदाय का मानना है कि जानवरों पर प्रयोग मानव जीवन को बचाने और बीमारियों का इलाज करने के लिए आवश्यक है।

प्रो. अशोक कुमार
लोकप्राणिकी (Ethanozoology) एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन है जो हमें जानवरों और मानव संस्कृतियों के बीच संबंधों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है। यह अध्ययन जानवरों के संरक्षण और सांस्कृतिक समझ में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

जानवरों का महत्व

यह अध्ययन (Ethanozoology) विभिन्न पहलुओं को शामिल करता है, जैसे: भोजन, कपड़े, दवा, आभूषण, कला, और अन्य उद्देश्यों के लिए जानवरों का उपयोग। धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक रूप से जानवरों का महत्व। जानवरों के बारे में लोककथाएं, मिथक, और कहानियां। पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं का उपयोग जानवरों की रक्षा के लिए।

लोकप्राणिकी (Ethanozoology) का अध्ययन विभिन्न तरीकों से किया जाता है। जैसे: विभिन्न समुदायों में जानवरों के उपयोग और संबंधों का अध्ययन। प्राचीन ग्रंथों और कलाकृतियों से जानवरों के बारे में जानकारी का विश्लेषण। जानवरों से संबंधित शब्दों और वाक्यांशों का अध्ययन।

प्रमुख अध्ययन क्षेत्र

Ethnozoology विषय के कुछ प्रमुख अध्ययन क्षेत्र: विभिन्न जानवरों को पालतू बनाने की प्रक्रिया और इसके प्रभाव।शिकार के तरीके, शिकार के सामाजिक और आर्थिक महत्व, और शिकार के प्रभाव। जानवरों के व्यापार का इतिहास, वर्तमान स्थिति और इसके प्रभाव। जानवरों के कल्याण के लिए पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं का उपयोग और मनोरंजन के लिए जानवरों का उपयोग।

भोजन: दुनिया भर में कई संस्कृतियों में मांस एक महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत है। गाय, भैंस, सूअर, बकरी, भेड़, मुर्गी, और मछली जैसे जानवरों का मांस भोजन के लिए उपयोग किया जाता है। गाय, भैंस, बकरी, और भेड़ जैसे जानवरों से दूध प्राप्त किया जाता है। दूध का उपयोग कई प्रकार के खाद्य पदार्थों, जैसे कि दही, पनीर, और घी बनाने के लिए किया जाता है। मुर्गी से अंडे प्राप्त होते हैं। अंडे एक पौष्टिक भोजन हैं और कई प्रकार के व्यंजनों में उपयोग किए जाते हैं। मधुमक्खी शहद का उत्पादन करती हैं। शहद एक प्राकृतिक मिठास है और इसका उपयोग कई प्रकार के खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में किया जाता है।

सबसे उत्कृष्ट कपड़े मिलते

कपड़े: भेड़, बकरी, और ऊंट जैसे जानवरों से ऊन प्राप्त की जाती है। ऊन का उपयोग कपड़े, कंबल, और अन्य वस्त्र बनाने के लिए किया जाता है। रेशम के कीटों से रेशम प्राप्त किया जाता है। रेशम का उपयोग कपड़े, साड़ी, और अन्य वस्त्र बनाने के लिए किया जाता है। गाय, भैंस, सूअर, और बकरी जैसे जानवरों की खाल से चमड़ा प्राप्त किया जाता है। चमड़े का उपयोग जूते, बैग, और अन्य वस्त्र बनाने के लिए किया जाता है।

आश्रय: जानवरों की खाल का उपयोग तंबू और अन्य आश्रयों बनाने के लिए किया जाता है। जानवरों की हड्डियों का उपयोग घरों और अन्य संरचनाओं के निर्माण में किया जाता है। ऊन: ऊन का उपयोग घरों को गर्म रखने के लिए किया जाता है।

मनोरंजन: घुड़दौड़: घोड़ों का उपयोग घुड़दौड़ के लिए किया जाता है। कुत्तों , मुर्गो की लड़ाई: कुत्तों मुर्गो का उपयोग कुत्तों मुर्गो की लड़ाई के लिए किया जाता है। बैलगाड़ी: बैलों का उपयोग बैलगाड़ी खींचने के लिए किया जाता है।

आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा में जानवरों का उपयोग

पारंपरिक चिकित्सा: कई पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में जानवरों से प्राप्त दवाओं का उपयोग होता है। इनमें से कुछ प्रमुख प्रणालियां हैं।

आयुर्वेद: यह भारतीय चिकित्सा प्रणाली जानवरों से प्राप्त दवाओं का व्यापक रूप से उपयोग करती है। कुछ प्रसिद्ध औषधियां हैं। अश्वगंधा: यह एक जड़ी-बूटी है जो ऊर्जा और शक्ति बढ़ाने के लिए उपयोगी है। शतावरी: यह एक जड़ी-बूटी है जो प्रजनन क्षमता और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए उपयोगी है। सांप का जहर: इसका उपयोग गठिया और अन्य दर्दनाक स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है।

चीनी चिकित्सा: यह प्रणाली जानवरों से प्राप्त दवाओं का उपयोग करती है, जैसे कि:बाघ की हड्डी: इसका उपयोग गठिया और अन्य दर्दनाक स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है।हिरण की सींग: इसका उपयोग रक्तचाप और हृदय रोग के इलाज के लिए किया जाता है।कछुए की खाल: इसका उपयोग त्वचा रोगों के इलाज के लिए किया जाता है।

एडवांस मेडिकल साइंस के लिए महत्वपूर्ण

आधुनिक चिकित्सा:आधुनिक चिकित्सा में भी जानवरों के अंगों और ऊतकों का उपयोग होता है। कुछ प्रसिद्ध उदाहरण हैं। इंसुलिन: यह मधुमेह के इलाज के लिए उपयोग किया जाने वाला हार्मोन है। इसे सूअरों या गायों के अग्न्याशय से प्राप्त किया जाता है। आधुनिक चिकित्सा में भी जानवरों के अंगों और ऊतकों का उपयोग कई तरह से होता है। जैसे कि अंग प्रत्यारोपण: जानवरों के अंगों, जैसे कि दिल, गुर्दे, और यकृत का उपयोग मानव अंग प्रत्यारोपण के लिए किया जाता है। ऊतक प्रत्यारोपण: जानवरों के ऊतकों, जैसे कि हड्डी, त्वचा, और उपास्थि का उपयोग मानव ऊतक प्रत्यारोपण के लिए किया जाता है।

हृदय वाल्व: क्षतिग्रस्त हृदय वाल्वों को बदलने के लिए जानवरों के वाल्वों का उपयोग किया जाता है। ये वाल्व सूअरों या गायों से प्राप्त किए जाते हैं। त्वचा के ग्राफ्ट: जले हुए या क्षतिग्रस्त त्वचा को बदलने के लिए जानवरों की त्वचा का उपयोग किया जाता है। यह त्वचा सूअरों या गायों से प्राप्त की जाती है।

चिकित्सा अनुसंधान: जानवरों का उपयोग विभिन्न प्रकार के चिकित्सा अनुसंधान के लिए किया जाता है, जैसे कि नई दवाओं और चिकित्सा उपकरणों का परीक्षण।

सावधानी बरतनी चाहिए

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जानवरों से प्राप्त दवाओं का उपयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। इन दवाओं के दुष्प्रभाव हो सकते हैं और सभी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते हैं।यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जानवरों के अंगों और ऊतकों का उपयोग करते समय डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।

नैतिकता: जानवरों के उपयोग से जुड़ी नैतिकता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। जानवरों के अधिकारों के समर्थक जानवरों पर प्रयोग करने और उनके अंगों और ऊतकों का उपयोग करने के खिलाफ हैं। वे मानते हैं कि यह जानवरों के प्रति क्रूरता है।

वैज्ञानिक समुदाय का मानना है कि जानवरों पर प्रयोग करना और उनके अंगों और ऊतकों का उपयोग करना मानव जीवन को बचाने और बीमारियों का इलाज करने के लिए आवश्यक है। यह एक जटिल मुद्दा है जिसके दोनों पक्षों में वैध तर्क हैं। अंततः, यह प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर है कि वह इस मुद्दे पर कहां खड़ा है।

Vice chancellor

( प्रो.अशोक कुमार, कानपुर व गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति हैं। वह वैदिक विश्वविद्यालय निंबहारा, निर्वाण विश्वविद्यालय जयपुर के भी कुलपति रहे हैं। वर्तमान में अध्यक्ष आईएसएलएस, प्रिसिडेंट सोशल रिसर्च फाउंडेशन, कानपुर हैं।)

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