Book Review_‘पंचफोरन’ : सभी रंग, स्वाद व कलेवर का समन्वय

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सचिवालय की व्यस्तम सेवा के बावजूद लेखक की इस पुस्तक ने उनके साहित्य के प्रति जज्बे को बहुत ही स्पष्ट रूप से सामने रखा है। लेखक के इस व्यंग्य संग्रह का शीर्षक ही अपने आप में इतना अलग हट कर है कि आप इसे पढ़ने से अपने को रोक नहीं सकते हैं । ‘पंचफोरन” के पांच मसालों की तरह ही पुस्तक में समाज और जीवन के हर रंग, स्वाद और कलेवर को समेटा गया है। बीस अलग अलग रंग में “मैटर अर्जेंट है” अलग ही चमक रहा है, निसंदेह इसमें लेखक की सचिवालय सेवा के अनुभव का निचोड़ समाया है।

कुछ रचनाओं का आधार विषय संभवतः पांच से सात वर्ष पुराना भी है जिसमें अन्ना आंदोलन से लेकर रामलीला का बहुचर्चित योगा पलायन भी सम्मिलित है । इसी तरह लेखक की सूक्ष्म नज़रों ने देश और समाज की कई चर्चित और ज्वलंत घटनाओं को समेटते हुए व्यंग्य की धार को समीचीन बनाने की कोशिश की है और बहुत हद तक सफलता भी मिली है।

“राइस सूप” जैसी रचनाओं ने तो व्यंग्य के अहसास के साथ साथ पेट में भरपूर गुदगुदी भी की। “करइली बाबा” में लेखक ने अपने समाज विशेष कर उस अंचल की भाषा का सटीकता के साथ व्यंग्य और हास्य में सफतापूर्वक प्रयोग किया है ।

लेखक- डॉ. सूर्यनारायण पाण्डेय
पृष्ठ संख्या- 89
मूल्य- 175 रुपये
प्रकाशक- रश्मि प्रकाशन,
महाराजापुरम, केसरी खेड़ा
कृष्णा नगर
लखनऊ- 226023