नई दिल्ली। 29 जुलाई आते आते हर साल टाइगर को लेकर चिंताएं दिखनी शुरू हो जाती है। देश-दुनिया में तमाम सेमीनार, मीटिंग्स में टाइगर को बचाने की कवायद शुरू हो जाती है लेकिन टाइगर का कुनबा लगातार घटता जा रहा है। आज दुनियाभर में करीब साढ़े चार हजार बाघ जिंदा हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी इनकी संख्या लाखों में हुआ करती थी लेकिन धीरे-धीरे इनका कुनबा घटता गया और आज विश्व में सिर्फ 4 से 5 प्रतिशत ही बाघ बचे हैं।
आज इंटरनेशनल टाइगर डे है…
हर साल 29 जुलाई को इंटरनेशनल टाइगर डे (International Tiger Day 2022) के रूप में मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का 12वां साल है। इसका उद्देश्य दुनियाभर में बचे हुए बाघों को बचाना है। बाघ संरक्षण को लेकर व्यापक तौर पर जन-जागरुकता चलाया जा रहा है। ताकि बाघों का संरक्षण कर पर्यावरण के बहुत बड़े हिस्से का संरक्षण किया जा सके।
अब सिर्फ पांच प्रतिशत ही बाघ
वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ (Wildlife) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक सदी पहले दुनिया के तमाम देशों में बाघों की संख्या करीब एक लाख थी। लेकिन अब कई कारणों से यह संख्या घटकर पांच प्रतिशत के आसपास आ गई है। यानी 21वीं सदी आते-आते बाघों की संख्या में 95 प्रतिशत तक की कमी आ गई। अब सिर्फ 13 देश ही ऐसे हैं, जहां बाघ पाए जाते हैं। इनमें भारत, नेपाल, चीन, बांग्लादेश, भूटान, इंडोनेशिया कंबोडिया, रूस, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, वियतनाम और थाईलैंड है।
अब विश्व में सिर्फ इतने ही बाघ जीवित
12 साल पहले 2010 जब रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिटि में पहली बार वर्ल्ड टाइगर डे को मान्यता मिली तब एक रिपोर्ट के मुताबिक पता चला था कि 97 प्रतिशत बाघ दुनिया से गायब हो चुके हैं। उस वक्त दुनियाभर में सिर्फ 3,900 बाघ ही जिंदा बचे थे। इसके बाद इन्हें बचाने का अभियान शुरू हुआ और 2022 आते-आते बाघों की संख्या करीब साढ़े चार हजार के आसपास पहुंच गई। अकेले भारत में ही 2,967 बाघ बताए जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (The International Union for Conservation of Nature) की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में 3200 बाघ थे, जो 2022 में 4500 पहुंच गई है। इनमें ह्वाइट टाइगर, गोल्डन टाइगर, काली धारियों वाला सफेद बाघ, काली धारियों वाला भूरा बाघ हैं।
बाघ की ये प्रजातियां विलुप्त
बाघों की संख्या में कमी के कई कारण हैं, इनमें जंगलों की अंधाधुंध कटाई, अवैध शिकार, जंगल कम बचे होने के चलते रिहायशी इलाकों में जाने से मारे जाने, ग्लोबल वार्मिंग जैसे कई कारण हैं। इन्हीं का नतीजा है कि आज दुनिया में बाघों की कई प्रजातियां वितुप्त हो गई हैं। इनमें टाइगर हाइब्रिड, कैस्पियन टाइगर, बाली टाइगर और जावन टाइगर शामिल हैं।
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