IIT खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह में पीएम का संबोधन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने मंगलवार को आई.आई.टी. खड़गपुर (IIT Kharagpur) के 66वें दीक्षांत समारोह (66th Convocation) पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संस्थान के छात्रों और शिक्षकों को संबोधित किया। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक (Education Minister Ramesh Pokhariyal Nishank) समारोह में मौजूद रहे।
संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा आज का दिन आईआईटी खड़गपुर के सिर्फ उन छात्रों के लिए अहम नहीं है जिन्हें डिग्री मिल रही है। आज का दिन नए भारत के निर्माण के लिए भी उतना ही अहम है। आप सभी से सिर्फ आपके पेरेंट्स और आपके प्रोफेसरों की उम्मीद नहीं जुड़ी है बल्कि 130 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं के भी आप प्रतिनिधि हैं। इसलिए इस संस्थान से देश को 21वीं सदी के आत्मनिर्भर भारत में बन रहे नए इको सिस्टम के लिए नई लीडरशिप की भी उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि हमारे स्टार्टअप्स की दुनिया में नया इको सिस्टम, हमारे इनोवेशन, रिसर्च, कॉर्पोरेट वर्ल्ड और देश की प्रशासनिक व्यवस्था में नया इको सिस्टम।
स्वयं में बनें एक स्टार्टअप
प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा, ‘इस कैंपस से निकलकर आपको सिर्फ अपना नया जीवन ही शुरू नहीं करना है बल्कि आपको देश के करोड़ों लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाले स्वयं में एक स्टार्टअप भी बनना है। इसलिए यह डिग्री आपके हाथ में वह करोड़ों लोगों की आशाओं का आकांक्षा-पत्र है जिन्हें आपको पूरा करना है। आप वर्तमान पर नजर रखते हुए भविष्य को भी एंटिसिपेट करें।’
कल के इनोवेशन भारत आज बनाएगा
पीएम मोदी ने कहा कि हमारी आज की जरूरतें क्या हैं और 10 साल बाद क्या होने वाली हैं उनके लिए आज काम करेंगे तो कल के इनोवेशन भारत आज बनाएगा। इंजीनियर होने के नाते एक क्षमता आपमें सहज रूप से विकसित होती है। और वो है चीजों को पैटर्न से पेटेंट तक ले जाने की क्षमता। यानी एक तरह से आप में चीजों को विस्तार से देखने की और एक नए वीजन की आप में क्षमता होती है। इसलिए आज हमारे आसपास इंफोर्मेशन का जो भंडार है उसमें से समस्या और उनके पैटर्न को बहुत बारीकी से देख पाते हैं। हर प्रॉब्लम के साथ पैटर्न जुड़े होते हैं। समस्याओं के पैटर्न की समझ हमें उनके लॉन्ग टर्म सॉल्यूशन की तरफ ले जाती है।
ये समझ भविष्य में नई खोज, नए ब्रेक थ्रूज का आधार बनेगी
ये समझ भविष्य में नई खोज, नए ब्रेक थ्रूज का आधार बनती है। आप सोचिए आप कितने जीवन में बदलाव ला सकते हैं, कितने जीवन बचा सकते हैं, देश के संसाधनों को बचा सकते हैं। अगर आप पैटर्न को समझे और उसे समझकर समाधान निकालें और इस बात की भी पूरी संभावना है कि भविष्य में यही समाधान आपको कॉमर्शियल सक्सेस भी दें।
पीएम मोदी ने कहा, जीवन के जिस मार्ग पर अब आप आगे बढ़ रहे हैं उसमें निश्चित तौर पर आपके सामने कई सवाल भी आएंगे जैसे कि ये रास्ता सही है या गलत है? नुकसान तो नहीं हो जाएगा? समय बर्बाद तो नहीं हो जाएगा? ऐसे बहुत से सवाल आपके दिल दिमाग को जकड़ लेंगे इन सवालों का उत्तर है सेल्फ थ्री। यानी सेल्फ अवेयरनेस, सेल्फ कॉन्फिडेंस और जो सबसे बड़ी ताकत होती है वो है सेल्फलेसनेस। आप अपने सामर्थ्य को पहचान कर आगे बढ़ें, पूरे आत्मविश्वास से आगे बढें और निस्वार्थभाव से आगे बढ़ें।
हमारे यहा कहा गया है….
“शन: ही पंथाह, शन: ही कंथाह, शन: ही पर्वत लंघनम,
शन: विंध्या, शन: वित्तम, पच्चतानी शन: शन:”
टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के मार्ग पर जल्दबाजी के लिए कोई स्थान नहीं
पीएम मोदी ने अर्थ समझाते हुए कहा, यानी जब रास्ता लंबा हो, चादर की सिलाई हो, पहाड़ की चढ़ाई हो या जीवन के लिए कमाई हो इन सभी के लिए धैर्य दिखाना होता है, धीरज रखना होता है। विज्ञान ने सैंकड़ों साल पहले की इन समस्याओं को आज काफी सरल कर दिया है। लेकिन नॉलेज और साइंस के प्रयोग इनको लेकर “धीरे-धीरे धीरज से” ये कहावत आज भी शाश्वत है। आप सभी साइंस टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के जिस मार्ग पर चलें हैं वहां जल्दबाजी के लिए कोई स्थान नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि आपने जो सोचा है, आप जिस इनोवेशन पर काम कर रहे हैं, संभव है उसमें आपकी पूरी सफलता न भी मिले लेकिन आपकी उस असफलता को भी सफलता ही माना जाएगा क्योंकि आप उससे भी कुछ सीखेंगे। आपको याद रखना है कि हर विज्ञानी और टेक्नोलॉजिकल असफलता से एक नया रास्ता निकला है। आपको सफलता के रास्ते पर जाते हुए देखना चाहता हूं। ये विफलता ही सफलता का आपका रास्ता बना सकती है।
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