मूवी रिव्यू- जिगरा:प्रभाव डालने में नाकाम रहीं आलिया भट्ट, कहानी भी खास नहीं; बस कुछ सीन्स इमोशनल कर सकते हैं

आलिया भट्ट की एक्शन थ्रिलर फिल्म ‘जिगरा’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। वसन बाला के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म को आलिया भट्ट ने करण जौहर के साथ प्रोड्यूस किया है। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटे 35 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 2 स्टार रेटिंग दी है। फिल्म की स्टोरी क्या है? इस फिल्म की कहानी भाई-बहन के भावनात्मक रिश्ते पर आधारित है। सत्या (आलिया भट्ट) अपने छोटे भाई अंकुर (वेदांग रैना) से बहुत प्यार करती है। सत्या ने बचपन में अपनी आंखों के सामने पिता को मरते हुए देखा है। वो अपने भाई को किसी मुसीबत में नहीं देख सकती है। अंकुर को किसी काम से हांशी दाओ नाम के देश जाना पड़ता है। वहां गलती से ड्रग्स के केस में फंस जाता है। उस देश का कानून बहुत सख्त है, जिसकी वजह से अंकुर को मौत की सजा सुनाई जाती है। सत्या किसी भी हालत में अपने भाई को वहां से सुरक्षित बचाकर लाना चाहती है। सत्या पूरी दुनिया से लड़कर कैसे अपने भाई को बचाती है। उसके इस मुहिम में कौन साथ देता है, इस बीच क्या मुश्किलें आती हैं। यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी। स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? इस फिल्म में आलिया भट्ट एंग्री यंग वुमन के किरदार में दिखी हैं। उन्होंने बेबसी, लाचारी, प्रेम और दृढ़ संकल्प बहन को पर्दे पर जीवंत कर दिया है। लेकिन उनके किरदार को देखकर ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि कुछ अलग किया है। इससे पहले उन्हें इससे बेहतर किरदार में देखा जा चुका है। अंकुर के किरदार में वेदांग रैना का सराहनीय है। एक्स गैंगस्टर के किरदार में मनोज पाहवा और सपोर्टिंग रोल में राहुल रवींद्रन,आकाशदीप और शीबा का काम ठीक-ठाक है। फिल्म का डायरेक्शन कैसा है? फर्स्ट हाफ में फिल्म की कहानी भावनात्मक रूप से अच्छी पकड़ बनाए रखी है। लेकिन सेकेंड हाफ में कहानी का ताना बाना जिस तरह से बुना गया है, वह कन्विंसिंग नहीं लगता है। सत्‍या हाई सिक्‍योरिटी जेल पर अपने साथियों के साथ हमला करके जिस तरह से अपने भाई और उसके दोस्तों को निकालती है, वह पूरी तरह से जस्टिफाई नहीं लगता है। सेकेंड हाफ की पटकथा भी बिखरी हुई है। आलिया भट्ट के किरदार को और भी बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता था। फिल्म के ज्यादातर डायलॉग इंग्लिश में हैं। उसे समझने के लिए बार-बार हिंदी सब टाइटल पर नजर डालना पड़ता है। फिल्म का म्यूजिक कैसा है? इस फिल्म के बैकग्राउंड में बजने वाला गाना, ‘तनु संग रखना’ के अलावा ऐसा कोई और गीत नहीं जो याद रहे। इस फिल्म को देखने से पता चलता है कि डायरेक्टर वासन पर अमिताभ बच्चन का कुछ ज्यादा ही हैंगओवर है। बैकग्राउंड में अमिताभ बच्चन की फिल्मों के डायलॉग और गाने सुनाई देते हैं। बैकग्राउंड स्कोर बहुत ही लाउड है। फाइनल वर्डिक्ट, देखे या नहीं? यह फिल्म भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित है। लेकिन ऐसा नहीं कि इस फिल्म का ट्रीटमेंट बहुत खास है। फिर अगर आप आलिया भट्ट के फैन हैं तो यह फिल्म एक बार देख सकते हैं। नहीं तो कुछ ही दिनों में यह फिल्म ओटीटी प्लेटफार्म पर आ ही जाएगी।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर