सिंगर ऋषभ टंडन का हाल ही में दिल छू लेने वाला संगीत ‘इश्क फकीराना’ रिलीज हुआ है। उनसे इस गाने के पीछे की प्रेरणा, म्यूजिक क्रिएशन प्रोसेस और म्यूजिक इंडस्ट्री के बदलावों पर बात की। ऋषभ टंडन ने बताया कि ‘इश्क फकीराना’ इस बात का उदाहरण है कि कैसे हम सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक रुझानों के साथ जोड़ सकते हैं और कुछ सच में अनोखा बना सकते हैं। पेश है ऋषभ टंडन से हुई बातचीत के कुछ और खास अंश.. आपने अपने नए एल्बम ‘इश्क फकीराना’ के लिए खुद को ‘फकीर’ बनाया है। यह बदलाव क्या है? यह सिर्फ नाम नहीं बदला, यह मेरा नया जन्म है। मैंने 20 साल तक संगीत से दूरी बनाई, खुद को समझा। दिल टूटा, अकेला रहा और जीवन में मुश्किलों का सामना किया। इन सबने मुझे बदला। ‘इश्क फकीराना’ मेरा नया अध्याय है, जहां मैं नए रूप में आया हूं। यह एल्बम मेरे जीवन की कहानी है। यह एक नए चैप्टर की शुरुआत है, जहां मैं सिर्फ म्यूजिक में वापसी नहीं कर रहा बल्कि एक बहुत गहरी समझ के साथ लौट रहा हूं कि मैं कौन हूं। यह एल्बम उस विकास को दर्शाता है। जिससे म्यूजिक सिर्फ धुनों तक सीमित नहीं रह जाता बल्कि यह मेरे व्यक्तिगत सफर का हिस्सा बन जाता है। यह एक ईमानदार और दिल से जुड़ी हुई मेरी नई पहचान है। आपका गाना ‘फिर से वही’ बहुत हिट हुआ था। तब से अब तक आपके संगीत में क्या बदलाव आया है? बहुत कुछ बदला है। आज की युवा पीढ़ी (Gen Z) और पुरानी पीढ़ी के प्यार को देखने का नजरिया अलग है। ‘इश्क फकीराना’ से मैंने इन दोनों पीढ़ियों को जोड़ने की कोशिश की है। ‘इश्क फकीराना’ को एशिया की पहली डिजिटल म्यूजिकल सीरीज कहा जाता है। यह क्या है? यह सिर्फ एल्बम नहीं, एक अनुभव है। मैंने 400 गानों में से अपने पसंदीदा गाने चुने। फिर मैंने और मेरी पत्नी ओलेसिया ने अपनी प्रेम कहानी को वीडियो के जरिए दिखाया। इसमें भारतीय संगीत को दुनिया भर के संगीत के साथ मिलाया गया है। यह नया प्रयोग है। यह केवल प्रेम के बारे में नहीं है, यह संस्कृतियों को जोड़ने, सोच के तरीकों को एक साथ लाने और कुछ ऐसा बनाने के बारे में है जो एक सार्वभौमिक भाषा और संगीत से बात करता है। आपके एल्बम में प्यार, सहनशीलता और आध्यात्मिकता जैसे विषय हैं। आप इन्हें आज के संगीत में कैसे लाते हैं? ये विषय हमेशा महत्वपूर्ण रहेंगे। मैंने अपने दिल की सुनी और वही गाने बनाए जो मुझे पसंद थे। मेरा भगवान शिव से गहरा जुड़ाव है और यह मेरे संगीत में दिखता है। मैं ऐसा संगीत बनाना चाहता हूं जो लोगों के दिलों को छुए। जब मैंने ‘इश्क फकीराना’ पर काम किया तो मैंने यह सुनिश्चित किया कि मेरे पास पूरी क्रिएटिव कंट्रोल हो। मैंने कमर्शियल सपोर्ट को ठुकरा दिया क्योंकि मैं अपने काम की अखंडता बनाए रखना चाहता था। ये ऐसे विषय हैं जो मेरे लिए गहरे व्यक्तिगत हैं और मैं चाहता था कि वे प्रामाणिक हों। उदाहरण के लिए, मेरे भगवान शिव के साथ आध्यात्मिक संबंध ने मेरी रचनाओं को इस तरह प्रभावित किया कि वे सिर्फ सरल धुनों से कहीं अधिक गहरे अर्थ में बदल गईं। आज के डिजिटल युग में म्यूजिक इंडस्ट्री कैसे बदल रही है? डिजिटल प्लेटफॉर्म ने संगीत को पूरी दुनिया में पहुंचा दिया है। ‘इश्क फकीराना’ भी डिजिटल सीरीज है। मुझे लगता है कि हम भारतीय संगीत को आधुनिक संगीत के साथ मिलाकर नया संगीत बना सकते हैं। यह बहुत रोमांचक है। डिजिटल प्लेटफार्म्स का उदय गेम चेंजर साबित हुआ है। इसने कलाकारों को भी दुनिया भर के दर्शकों तक पहुंचने का अवसर दिया है। ‘इश्क फकीराना’ में मेरा काम इस बात का उदाहरण है कि कैसे हम सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक रुझानों के साथ जोड़ सकते हैं और कुछ सच में अनोखा बना सकते हैं। यह भारतीय संगीत की समृद्धि को सम्मानित करने का एक तरीका है, जबकि इसे एक व्यापक, वैश्विक दर्शक वर्ग तक पहुंचाया जा सकता है। मुझे विश्वास है कि हम म्यूजिक इंडस्ट्री के एक नए युग के कगार पर हैं और मुझे इस बदलाव का हिस्सा बनने पर गर्व है।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर
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