फिल्मों में एक्टर्स को बोलना भी सिखाया जाता है:’दंगल’ में आमिर को हरियाणवी सीखने में वक्त लगा, डायलॉग बोलने पर रोए थे जॉन

आपने कभी गौर किया है कि कटरीना कैफ, जैकलीन फर्नांडीज और नोरा फतेही जैसी विदेशी मूल की एक्ट्रेसेस फिल्मों में हिंदी कैसे बोल लेती हैं? उन्हें भाषा और बोली सिखाने के लिए भी एक खास कोच हायर किए जाते हैं। इन्हें डायलेक्ट कोच कहते हैं। पिछले कई सालों में फिल्मों में डायलेक्ट कोच का रोल बढ़ा है। भाषा एक्टर की परफॉर्मेंस पर सीधा असर डालती है। एक कलाकार के किरदार को निखारने में डायलेक्ट कोचिंग का बहुत ज्यादा महत्व होता है। फिल्म तनु वेड्स मनु और दंगल में कंगना रनोट और आमिर खान का हरियाणवी एक्सेंट आज भी लोगों को याद है। रील टु रियल के नए एपिसोड में बात फिल्मों में डायलेक्ट कोच के रोल की। इसके लिए हमने मशहूर डायलेक्ट कोच विकास कुमार, हेतल वारिया और सुनीता शर्मा से बात की। इन्होंने बताया कि भाषा सीखने के बाद जब जॉन अब्राहम ने अपना पहला शॉट दिया तो वे रोने लगे थे। वहीं, दंगल की तैयारी के वक्त बाकी एक्टर्स की तुलना में आमिर खान को भाषा सीखने में बहुत वक्त लगता था। उच्चारण और बोली में अंतर क्या है?
उच्चारण वे तरीके हैं जिनसे लोग शब्दों का उच्चारण करते हैं और यह किसी बोली का सिर्फ एक हिस्सा है। किसी व्यक्ति की बोली उसकी शब्दावली, व्याकरण और स्थानीय स्लैंग के इस्तेमाल से भी बनती है। एक्टर को भाषा सिखाने के लिए कोई नियम नहीं
विकास ने कहा, ‘किसी एक्टर को भाषा सिखाने का कोई नियम या फॉर्मूला नहीं होता है। जैसे जैकलीन फर्नांडीज और कटरीना कैफ की बोली में इंग्लिश एक्सेंट देखने को मिलता है। ऐसे में कोशिश रहती है कि दोनों की भाषा में इंग्लिश एक्सेंट कम रहे और हिंदी भाषा पर उनकी पूरी पकड़ हो जाए। भाषा सिखाने के साथ हम डायलॉग डिलीवरी पर भी काम करते हैं। फिल्म पठान में जॉन अब्राहम ने शाहरुख खान के अपोजिट काम किया था। उनकी हिंदी तो अच्छी है, लेकिन डायलॉग डिलीवरी पर उनका पूरा फोकस था। इस वजह से हमने इस पर भी काम किया। वहीं फिल्म इश्किया में नसीरुद्दीन शाह और अरशद वारसी का कैरेक्टर भोपाली था। फिल्म के डायरेक्टर चाहते थे कि दोनों की बोली में भोपाली फ्लेवर रहे। फिर हमने वो भी किया।’ विकास ने आगे जैकलीन और कटरीना के साथ काम करने के एक्सपीरियंस को भी शेयर किया। उन्होंने कहा, ‘मैं दोनों से तब मिला था, जब उन्होंने अच्छी-खासी हिंदी सीख ली थी। कटरीना से फिल्म टाइगर 3 के दौरान मुलाकात हुई थी। कटरीना और जैकलीन में सबसे खास बात यह है कि दोनों हिंदी (देवनागरी) में भी स्क्रिप्ट मांगती हैं, जिससे और परफेक्शन आ जाता है।’ राइटिंग और ऑडियो के जरिए एक्टर्स भाषा सीखते हैं एक्टर्स
विकास ने बताया कि वर्कशॉप के दौरान वो राइटिंग और ऑडियो के जरिए भाषा सिखाने की कोशिश करते हैं। कुछ प्रोजेक्ट के लिए तो विकास एक्टर्स को सिखाने के लिए पूरी फिल्म की स्क्रिप्ट को अपनी आवाज में रिकॉर्ड कर देते हैं। इसकी मदद से एक्टर्स आसानी से अपनी भाषा पर काम कर पाते हैं। विक्की कौशल और हुमा कुरैशी लैग्वेंज पर जल्दी काम कर लेते हैं
हेतल वारिया ने बोली सिखाने के दौरान आने वाले चैलेंजेस के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि भाषा सिखाने के लिए बाकी काम की तुलना में बहुत कम टाइम मिलता है। हर एक्टर की एक लिमिट होती है। कुछ एक्टर्स जल्दी सीख लेते हैं, तो कुछ को वक्त लगता है। हेतल ने आगे कहा, ‘जैसे कि फिल्म सैम बहादुर में विक्की कौशल और तरला में हुमा कुरैशी, दोनों बहुत जल्दी भाषा सीख गए थे। दोनों पर ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी थी।’ डायलॉग बोलते वक्त रोने लगे थे जॉन
विकास ने फिल्म पठान में जॉन अब्राहम के साथ काम किया है। उन्होंने कहा, ‘पठान से पहले फिल्म सत्यमेव जयते में, मैं उनका डायलेक्ट कोच था। शूटिंग से पहले मैंने कई टेक्नीक से उनकी डायलॉग डिलीवरी पर काम किया था। फिल्म की ओपनिंग सीन में उन्हें एक श्लोक बोलना था। जब उन्होंने प्रैक्टिस के दौरान यह श्लोक बोला तो उनकी आंखें नम हो गईं। जॉन ने कहा कि उन्होंने इससे पहले इतना साफ डायलॉग कभी नहीं बोला था।यह सिर्फ एक केस नहीं है। ऐसा कई एक्टर्स के साथ होता है।’ भाषा सिखाने के काम को लोग नीचा समझते हैं
डायलेक्ट कोच को ज्यादा फीस नहीं मिलती है। प्रोजेक्ट के हिसाब से फीस में बदलाव होता रहता है। बड़े बजट की फिल्मों के लिए ज्यादा फीस मिलती है। इतना ही नहीं इस काम को लोग छोटा भी समझते हैं। कम फीस के अलावा एक डायलेक्ट कोच को एक्टर्स को सिखाने का टाइम भी बहुत कम मिलता है। इस कारण परेशानी भी होती है। किसी भी भाषा पर अच्छी पकड़ बनाने के लिए एक्टर्स को कम से कम 3 महीने का वक्त मिलना चाहिए। सैम बहादुर के लिए विक्की ने सीखी कई भाषा
हेतल वारिया ने फिल्म सैम बहादुर में विक्की के साथ काम किया है। उन्होंने बताया कि रियल लाइफ में सैम बहादुर को बहुत सारी भाषा आती थी। इस कारण विक्की को भी कुछ भाषा सीखनी पड़ी। शूटिंग शुरू होने से काफी पहले विक्की ने अपनी बोली पर काम करना शुरू कर दिया था। हेतल ने कहा कि उन्हें और विक्की को 1-2 महीने का लंबा वक्त मिल गया था। इस कारण विक्की ने अच्छे तरीके से खुद पर काम कर लिया था। आमिर खान को हरियाणवी भाषा सीखने में वक्त लगा
फिल्म दंगल से जुड़ा भी एक किस्सा है। इस फिल्म के एक्टर्स को हरियाणवी बोली सिखाने का काम सुनीता शर्मा को मिला था। इस बारे में सुनीता ने कहा, ‘यह फिल्म मुझे तनु वेड्स मनु की बदौलत मिली थी। तनु वेड्स मनु में कंगना का हरियाणवी टोन सबको बहुत पसंद आया था। इसी के बाद दंगल के मेकर्स ने मुझे अप्रोच किया था। आमिर सर समेत फिल्म की बाकी स्टार कास्ट भी बहुत मेहनती थी। दिलचस्प बात यह है कि बाकी एक्टर्स की तुलना में आमिर सर को भाषा सीखने में थोड़ा ज्यादा समय लगता था। हालांकि वे मेरी हर गाइडलाइन को फॉलो करते थे। उन्होंने बाकायदा लिख-लिखकर नोट्स भी तैयार कर लिया था।’ कंगना रनोट की लर्निंग स्पीड अच्छी है
सुनीता फिल्म तनु वेड्स मनु में कंगना रनोट की डायलेक्ट कोच थीं। इस बारे में उन्होंने कहा, ‘कंगना के साथ काम करने का एक्सपीरियंस बहुत अच्छा रहा। उनकी भी लर्निंग स्पीड बहुत अच्छी है। वो चीजों को समझती हैं और काम भी करती हैं।’ फीमेल एक्टर्स मेल एक्टर्स की तुलना में भाषा पर जल्दी पकड़ बना लेती हैं
सुनीता ने आगे कहा, ‘मेरा मानना है कि मेल एक्टर्स की तुलना में फीमेल एक्टर्स की लर्निंग स्पीड ज्यादा होती है। फिल्म अतरंगी रे में सोहा अली खान को मैंने भोजपुरी एक्सेंट सिखाया है। वो भी बहुत जल्दी सीख गई थीं। अभी जल्द ही फिल्म छोरी का दूसरा पार्ट रिलीज होने वाला है। इस फिल्म में सोहा अली खान लीड रोल में हैं। मैंने उनको कोचिंग दी है। उनकी भी लर्निंग स्पीड बहुत अच्छी है।’ बॉलीवुड से जुड़ी ये स्टोरी भी पढ़ें.. लाइट खराब हो तो चिल्लाने लगते हैं धर्मेंद्र:सेट छोड़ देते हैं; अक्षय रात में शूट नहीं करते, सिनेमैटोग्राफर के सामने होती है चुनौती हम फिल्मों में एक्टर और डायरेक्टर के काम की बात करते हैं। हालांकि, एक शख्स को शायद ही याद रखते हैं जो पर्दे के पीछे सबसे ज्यादा मेहनत करता है। हम बात कर रहे हैं, सिनेमैटोग्राफर की। पढ़ें पूरी खबर… मनोज बाजपेयी के लिए लकड़ी से बना पाया सूप; दीपिका ने बनवाया था बिना आलू का समोसा फिल्मों और ऐड में जो फूड आइटम्स दिखाए जाते हैं, वो ज्यादातर नकली होते हैं। फिल्म के सेट पर फूड स्टाइलिस्ट आर्टिफिशियल खाना बनाते हैं। ऐसा एक्टर्स की हेल्थ और उनकी डिमांड को ध्यान में रखकर किया जाता है। पूरी खबर पढ़ें…बॉलीवुड | दैनिक भास्कर