November 10, 2024
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री पर हेमा कमेटी की रिपोर्ट:सेक्शुअल डिमांड पूरी न करने पर महिलाओं को टॉर्चर करते हैं, टॉयलेट भी जाने नहीं देते

मलयालम फिल्म इंडस्ट्री पर हेमा कमेटी की रिपोर्ट:सेक्शुअल डिमांड पूरी न करने पर महिलाओं को टॉर्चर करते हैं, टॉयलेट भी जाने नहीं देते

फरवरी 2017 में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की एक एक्ट्रेस के साथ चलती कार में सेक्शुअल हैरेसमेंट हुआ। इस घटना के पीछे एक्टर दिलीप का नाम सामने आया, जिसके बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार पर कई लोगों ने आवाज उठानी शुरू की। इस घटना के बाद सरकार ने हेमा कमेटी का गठन किया। इस कमेटी ने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जो 5 साल बाद अब सामने आई है। इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिन्होंने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को हिलाकर रख दिया है। आइए जानते हैं कि क्या है ये हेमा कमेटी रिपोर्ट जो इन दिनों सुर्खियों में है। हेमा कमेटी की रिपोर्ट से सामने आईं 10 बड़ी बातें 1) सेक्शुअल हैरेसमेंट सबसे बड़ी समस्या
इंडस्ट्री में महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या सेक्शुअल हैरेसमेंट है। कई बार महिलाएं इस बारे में खुलकर बात करने से डरती हैं। उन्हें लगता है कि अगर मुंह खोला तो उन्हें इंडस्ट्री में बैन कर दिया जाएगा और उन्हें कोई काम नहीं देगा। यहां तक कि कई महिला आर्टिस्ट कमेटी के सामने भी कुछ कहने से हिचकिचा रही थीं। 2) इंडस्ट्री के कई बड़े नाम भी हैरेसमेंट में शामिल
महिलाओं के मुताबिक, हैरेसमेंट बहुत ही शुरुआती लेवल से शुरू हो जाता है। डायरेक्टर, प्रोड्यूसर से लेकर प्रोडक्शन कंट्रोलर तक इसमें शामिल होते हैं। अगर कोई महिला काम के लिए प्रोडक्शन कंट्रोलर या किसी व्यक्ति को अप्रोच करती है तो उसे सेक्शुअल फेवर के बारे में बता दिया जाता है। एडजस्टमेंट और कॉम्प्रोमाइज मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के बीच बेहद आम शब्द हैं। महिला आर्टिस्ट्स द्वारा दिए गए सबूतों के आधार पर ये मानना पड़ा कि इंडस्ट्री के बड़े लोग भी इसमें शामिल हैं। 3) न्यूकमर्स के सामने बनी इंडस्ट्री की खराब इमेज
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की इमेज ऐसी बना दी गई है कि अगर न्यूकमर्स को यहां जगह बनानी है तो उन्हें सेक्शुअल फेवर देने ही होंगे जबकि ऐसा नहीं है। कई डायरेक्टर-प्रोड्यूसर ऐसे भी हैं जो महिलाओं के साथ बहुत अच्छा बर्ताव करते हैं या सेट पर उनकी सेफ्टी का बहुत ध्यान रखते हैं। कई महिला आर्टिस्ट्स ने कमेटी के सामने उन लोगों के नाम लिए जो महिलाओं को वर्कप्लेस पर बहुत इज्जत देते हैं। 4) पुरुष खुलेआम करते हैं सेक्स की डिमांड
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में ज्यादातर मेल आर्टिस्ट्स ये सोच रखते हैं कि अगर महिलाएं फिल्मों में इंटिमेट सींस देने में कंफर्टेबल हैं तो वो ऑफ सेट भी ऐसा करने को तैयार हो जाएंगी। इस वजह से इंडस्ट्री में पुरुष महिलाओं से खुलेआम सेक्स की डिमांड करते हैं। कई महिलाओं ने इसके सबूत दिखाते हुए वीडियो क्लिप्स, ऑडियो क्लिप्स, स्क्रीनशॉट्स और वॉट्सएप मैसेजेस भी दिखाए। महिलाओं ने इस मसले पर जोर देकर कहा कि सिनेमा में ये सिचुएशन खत्म होनी चाहिए। 5) पुरुषों ने कहा-सेक्शुअल हैरेसमेंट तो हर जगह होता है
कमेटी के सामने कई पुरुषों ने कहा कि सेक्शुअल हैरेसमेंट केवल फिल्म इंडस्ट्री में ही हावी नहीं है बल्कि ये तो हर फील्ड में होता है। सिनेमा की फील्ड में इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। हालांकि महिलाओं ने इस बात को कमेटी के सामने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि किसी अन्य फील्ड और सिनेमा में सेक्शुअल हैरेसमेंट काफी अलग-अलग है। कास्टिंग काउच फिल्म इंडस्ट्री में जॉब मिलने के पैमाने को पूरी तरह से बदल देता है जबकि अन्य जॉब्स में ये सब नहीं होता है। 6) रात को दरवाजा पीटते हैं पुरुष
कई महिलाओं ने बताया कि वो जब भी काम के सिलसिले में बाकी कलीग्स के साथ होटल में रुकती हैं तो पुरुष रात को उनके कमरे का दरवाजा खटखटाते हैं। कई बार ऐसा भी हुआ है कि दरवाजा न खोलने पर पुरुष इतनी जोर से दरवाजा खटखटाते हैं कि दरवाजा ही टूट जाए। 7) महिलाओं के बारे कोड वर्ड में बात होती है
महिलाओं के बारे में कोड वर्ड में बात की जाती है। अगर कोई महिला समझौता नहीं करेगी तो काम भूल जाए। रिपोर्ट ये भी बताती है कि इंडस्ट्री को लगता है कि औरतें यहां सिर्फ फेमस होने या पैसा कमाने आई हैं। ऐसा करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती हैं। सोने के लिए भी राजी हो जाएंगी। 8) टॉयलेट तक जाने की इजाजत नहीं मिलती
महिला कलाकारों को आउटडोर शूटिंग के दौरान टॉयलेट तक की बेसिक सुविधा नहीं मिलती। प्रोडक्शन यूनिट भी टॉयलेट जाने के लिए ब्रेक नहीं देती क्योंकि इससे आने-जाने में समय बर्बाद होता है। कई महिला आर्टिस्ट्स ने रिपोर्ट में बताया कि सेट पर टॉयलेट की कोई व्यवस्था न होने की वजह से वो कम पानी पीती हैं जिससे उन्हें बाद में इन्फेक्शन और कई बीमारियां भी घेर लेती हैं। पीरियड्स के दौरान वो घंटों तक सैनिटरी पैड्स चेंज नहीं कर पाती हैं। सेट पर बड़े स्टार्स को वैनिटी वैन में टॉयलेट की सुविधा होती है, लेकिन जूनियर आर्टिस्ट्स को इन वैन्स के इस्तेमाल की इजाजत नहीं होती है। सेट पर कपड़े बदलने के लिए सिर्फ एक पतला सा पर्दा होता है। 9) इंडस्ट्री पर है पुरुषों का राज
रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री मेल डॉमिनेटेड है। कुछ प्रोड्यूसर्स, डायरेक्टर्स और एक्टर्स पूरी इंडस्ट्री पर रूल करते हैं। अगर कोई भी इनके खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत करे तो धमकियां मिलने लगती हैं। पावरफुल लोगों की लॉबी इतनी मजबूत है कि लोग इन्हें माफिया कहते हैं। वो फिल्म इंडस्ट्री में कुछ भी कर सकते हैं। वो चाहें तो किसी भी एक्टर, डायरेक्टर या प्रोड्यूसर को बिना किसी ठोस वजह के बैन कर सकते हैं। कोई महिला या पुरुष अगर इस पावरफुल लॉबी के बारे में आवाज उठाने की कोशिश करे तो उसकी इंडस्ट्री से छुट्टी तक हो सकती है। 10) लिखित कॉन्ट्रैक्ट न होने पर फीस नहीं मिलती
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में लिखित कॉन्ट्रैक्ट नहीं किए जाते हैं। प्रोड्यूसर्स केवल बड़े एक्टर्स के साथ ही लिखित कॉन्ट्रैक्ट करते हैं। कई बार काम करवाने के बाद प्रोड्यूसर्स क्रू मेंबर्स को तयशुदा फीस देने से मुकर जाते हैं। फीस के मामले में महिलाओं की स्थिति और भी ज्यादा बुरी है। एक महिला आर्टिस्ट ने कमेटी को बताया कि वो एक फिल्म में लीड रोल कर रही थी। डिस्कशन के दौरान उसे फिल्म में इंटिमेट सीन होने की जानकारी दी गई, लेकिन बहुत ज्यादा बातें रिवील नहीं की गईं। तीन महीने की तैयारी के बाद जब उसने फिल्म की शूटिंग शुरू की तो डायरेक्टर ने उसे फिल्म में न्यूडिटी और लिपलॉक सींस के बारे में बताया। उस पर किसिंग सीन और बैक एक्सपोज करने का दबाव बनाया गया। जब महिला आर्टिस्ट ने फिल्म छोड़ दी तो उसके पास कोई लिखित कॉन्ट्रैक्ट नहीं था जिसके बेसिस पर वो फीस के लिए क्लेम कर पाती। हेमा कमेटी रिपोर्ट सामने आने के बाद क्या-क्या हुआ? दैनिक भास्कर ने तनुश्री दत्ता, अहाना कुमरा और सोना महापात्रा से बात की जिन्होंने मीटू कैम्पेन के बारे में अपनी राय रखी
#MeToo मूवमेंट के बारे में तनुश्री ने कहा, इसके बाद मैंने एक बदलाव देखा है। लड़कियों को हैरेस करने वाले छोटे-मोटे शिकारी अब सतर्क हो गए हैं। उन्हें डर है कि कहीं लड़की रिकॉर्ड न कर रही हो, कहीं मामला पुलिस तक न पहुंच जाए। हालांकि, जो एकदम गंदे लोग हैं, जिनकी पावर ज्यादा है, उनका अब भी ईगो बना हुआ है। उनके लिए कानून सख्त करना पड़ेगा ताकि उन्हें सजा मिले। #Metoo के आरोपियों के करियर पर नहीं पड़ा असर
सोना महापात्रा ने कहा, ‘#Metoo मूवमेंट के बाद हमारे लिए काम के मौके बंद हो गए। अनु मलिक को बार-बार जज बनाया जा रहा है। साजिद खान भी बिग बॉस में आया। उसके जैसा आदमी, जिसने इतनी औरतों के साथ गलत किया है, वो अब भी खुलेआम घूम रहा है। फिल्म ‘क्वीन’ का डायरेक्टर विकास बहल फिर से फिल्मों में काम कर रहा है। इन लोगों ने फिर से काम शुरू कर दिया और जिन्होंने सच बोला, उन्हें ‘मुसीबत खड़ी करने वाली’ कहकर चुप करा दिया गया।’बॉलीवुड | दैनिक भास्कर

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