December 25, 2024
मूवी रिव्यू बेबी जॉन:वरुण धवन का जबरदस्त एक्शन और इमोशन, स्क्रीनप्ले अच्छा होता तो फिल्म अलग ही लेवल तक जाती

मूवी रिव्यू- बेबी जॉन:वरुण धवन का जबरदस्त एक्शन और इमोशन, स्क्रीनप्ले अच्छा होता तो फिल्म अलग ही लेवल तक जाती

वरुण धवन की एक्शन थ्रिलर फिल्म ‘बेबी जॉन’ क्रिसमस के अवसर पर आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। कलीस के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म का निर्माण एटली ने किया है। फिल्म में वरुण धवन के साथ कीर्ति सुरेश, वामिका गब्बी, जैकी श्रॉफ और राजपाल यादव की अहम भूमिका है। 2 घंटे 24 मिनट की लेंथ वाली इस फिल्म को दैनिक भास्कर ने 5 में से 3 स्टार रेटिंग दी है। फिल्म की कहानी क्या है? फिल्म की कहानी एक्शन, इमोशन और सामाजिक संदेश के ताने-बाने पर आधारित है। वरुण धवन ने बेबी जॉन का किरदार निभाया है, जो अपनी बेटी खुशी के लिए हर मुश्किल का सामना करता है। कहानी महिलाओं की सुरक्षा और बाल तस्करी जैसे मुद्दों को छूती है। फिल्म में दिखाया गया है कि जॉन उर्फ DCP सत्या वर्मा(वरुण धवन) अपने पास्ट को छुपाते हुए केरला में अपनी बेटी खुशी के साथ खुशनुमा जिंदगी जी रहा है। जॉन एक बेकरी चलाता है उसे उसकी बेटी खुशी बेबी के नाम से पुकारती है, लेकिन इसी बीच जॉन की पिछली जिंदगी एक बार फिर उसके वर्तमान पर हावी होने लगती है, जब खतरनाक विलेन नाना जी( जैकी श्रॉफ) के गुर्गों के चंगुल से मासूम बच्चियों को बचाने में कामयाब हो जाता है। कैसे नाना के खतरनाक मंसूबों से जॉन खुद को और अपनी बेटी को बचा पता है फिल्म की कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है। स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? वरुण धवन ने अपने करियर का एक नया अंदाज दिखाया है। उनका इमोशनल और एक्शन पैक्ड परफॉर्मेंस बेहतरीन है। कीर्ति सुरेश और वामिका गब्बी ने अपने किरदारों में गहराई दिखाई है। कीर्ति का ग्रेस और वामिका की ईमानदारी फिल्म को मजबूत बनाती है। फिल्म में जैकी श्रॉफ की अदाकारी और लुक दमदार हैं, लेकिन उनका किरदार आधा-अधूरा लगता है। ऐसा लगता है उनके किरदार को और अच्छे से पेश किया जा सकता था। राजपाल यादव का हल्का-फुल्का कॉमेडी अंदाज कुछ सीन में असर छोड़ता है। वरुण धवन और जारा जियाना की केमिस्ट्री फिल्म का सबसे भावुक पहलू है। जारा ने इस फिल्म में वरुण धवन की बेटी का किरदार निभाया है। डायरेक्शन कैसा है? कलीस का डायरेक्शन प्रभावी है, लेकिन स्क्रीनप्ले और स्टोरीलाइन में कई कमियां हैं। हालांकि, फिल्म में उन्होंने समाजिक मुद्दों को उठाने की कोशिश की है। पिता-पुत्री के रिश्ते को भावनात्मक तरीके से पेश किया है, लेकिन कहानी की बुनियाद कमजोर है। लेखकों ने ऑडियंस को जरूरत से ज्यादा होशियार मानकर एक जटिल और आउटडेटेड कहानी बनाई है। कई हिस्से प्रेडिक्टेबल हैं और इमोशनल कनेक्ट की कमी खलती है। अंत तक आते-आते फिल्म खिंचती हुई लगती है। फिल्म का जिस तरह का विषय है, उसमें रिसर्च की कमी है। फिल्म में एक्शन भरपूर है, लेकिन कॉमेडी और इमोशन सीन के बीच तालमेल नहीं दिखाता है। पंच लाइन जो दर्शकों को आकर्षित करते हैं, उसकी फिल्म में कमी नजर आती है। फिल्म के डायलॉग पर भी कुछ खास ध्यान नहीं दिया गया है। मुख्य खलनायक को पूरी तरह इस्तेमाल नहीं किया गया। वहीं, सलमान खान का कैमियो बेवजह लगता है। यह फिल्म तमिल ‘थेरी’ की रीमेक हैं, लेकिन इंटरवल के बाद कुछ सीन बदले गए हैं। खासकर वामिका गब्बी के किरदार में। फिल्म का संगीत कैसा है? फिल्म के गाने की बात करें तो ‘नैन मटक्का’ के अलावा ऐसा कोई गीत नहीं जो याद रहे। थमन का बैकग्राउंड स्कोर दमदार है और फिल्म के माहौल को बेहतर बनाता है। फिल्म का फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं इस फिल्म में वरुण धवन का नया अंदाज, एक्शन और इमोशन का सही तालमेल देखने को मिला है। यह फिल्म समाजिक मुद्दों को छूने की कोशिश करती है। क्रिसमस के मौके पर रिलीज हुई फिल्म एक बार देखी जा सकती है, लेकिन कमजोर कहानी और लंबे स्क्रीनप्ले के चलते यह ज्यादा प्रभावी नहीं लगती।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर

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