डायरेक्टर मुदस्सर अजीज की फिल्म ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ आज रिलीज हो चुकी है। यह एक रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म है, जिसमें शादी, प्यार और एक्स-पार्टनर के इर्द-गिर्द घूमती एक दिलचस्प कहानी दिखाने की कोशिश की गई है। इस फिल्म में अर्जुन कपूर, भूमि पेडनेकर, रकुलप्रीत सिंह और हर्ष गुर्जर की अहम भूमिका है। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटा 30 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 3 स्टार रेटिंग दी है। फिल्म की स्टोरी क्या है? अंकुर चड्ढा (अर्जुन कपूर) एक तलाकशुदा शख्स है, जिसकी शादी प्रभलीन ढिल्लों (भूमि पेडनेकर) से टूट चुकी है। लेकिन तलाक के बावजूद प्रभलीन के डरावने सपने उसे परेशान करते रहते हैं। उसका दोस्त रेहान (हर्ष गुर्जर) उसे इस मुसीबत से निकालने की हर मुमकिन कोशिश करता है, लेकिन नाकाम रहता है। इसी दौरान अंकुर की जिंदगी में अंतरा खन्ना (रकुलप्रीत सिंह) की एंट्री होती है और वह फिर से प्यार में पड़ जाता है। बड़ी मुश्किल से अंकुर अंतरा को शादी के लिए मनाता है, लेकिन तभी एक ऐसा हादसा होता है, जिससे प्रभलीन दोबारा उसकी जिंदगी में लौट आती है। इसके बाद शुरू होती है अंकुर को पाने की जंग, जो प्रभलीन और अंतरा के बीच जबरदस्त टकराव में बदल जाती है। फिल्म का क्लाइमैक्स इसी खींचतान के इर्द-गिर्द घूमता है। स्टार कास्ट की एक्टिंग कैसी है? भूमि पेडनेकर ने प्रभलीन के किरदार में जबरदस्त परफॉर्मेंस दी है। उनकी और रकुलप्रीत सिंह की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री ज्यादा प्रभावशाली लगती है। अर्जुन कपूर कपूर से बेहतर काम करवाया जा सकता था, लेकिन उन्हें ढंग से पंच लाइन और डायलॉग नहीं दिए गए। फिर भी अर्जुन कपूर ने अच्छी कोशिश की है और उनका परफॉर्मेंस फिल्म में उभरकर आया है। पहली फिल्म कर रहे हर्ष गुर्जर भी कोई खास छाप नहीं छोड़ पाए। फिल्म का डायरेक्शन कैसा है? मुदस्सर अजीज ने फिल्म की कहानी को रोचक बनाने की कोशिश तो की, लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट, स्क्रीनप्ले और प्रभावहीन डायलॉग्स की वजह से फिल्म बिखरी हुई लगती है। खासकर पहला हाफ काफी स्लो और उबाऊ है। हालांकि, दूसरे हाफ में भूमि और रकुल के बीच की टकरार फिल्म को थोड़ी गति और मनोरंजन देने की कोशिश करती है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। डायरेक्टर ने अर्जुन कपूर के एक्सप्रेशन और उनकी रिलेशनशिप का इस फिल्म में डायलॉग के जरिए मजाक उड़ाने की कोशिश की गई है। इस फिल्म में लैंड करा दे, अल्लाह की लीला जैसे वायरल वीडियो के डायलॉग यूज किए गए, लेकिन वो कारगार साबित नहीं हुए। क्योंकि कॉमेडी और स्क्रिप्ट में बिल्कुल भी दम नहीं है। फिल्म का म्यूजिक कैसा है? फिल्म का संगीत औसत दर्जे का है। गोरी हैं कलाईयां और इक वारी गाने ठीक-ठाक सुनने लायक हैं, लेकिन बाकी गाने यादगार नहीं हैं। बैकग्राउंड स्कोर सामान्य है। फिल्म का फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं अगर आप हल्की-फुल्की रोमांटिक-कॉमेडी फिल्मों के शौकीन हैं और अर्जुन कपूर, भूमि पेडनेकर या रकुलप्रीत सिंह के फैन हैं, तो इसे एक बार देखा जा सकता है। लेकिन अगर आप दमदार कहानी, बेहतरीन कॉमेडी की उम्मीद कर रहे हैं, तो यह फिल्म आपको निराश कर सकती है।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर
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