इंडियन सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना ने अपने दौर में ऐसा स्टारडम देखा है, जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। राजेश खन्ना की तीन साल में लगातार 17 फिल्में हिट हुई थीं। आज तक उनका यह रिकॉर्ड कोई तोड़ नहीं पाया है। राजेश खन्ना ऐसे सुपरस्टार थे जिन पर लड़कियां मरती थीं। उनकी तस्वीर से शादी कर लेती थीं। उनके गाड़ी के आगे लेट जाती थीं। उनके नाम का सिंदूर लगाती थीं। इतना बड़ा सुपरस्टार ना तो कभी हुआ है और ना ही कभी आगे होगा। उनका स्टारडम ऐसा था कि इंडस्ट्री के लोग उन्हें भगवान मानने लगे थे। उनके बारे में बड़ी मशहूर कहावत रही है कि ‘ऊपर आका, नीचे काका’। भिखारी भी भगवान के नाम के बजाय राजेश खन्ना के नाम पर भीख मांगा करते थे। 29 दिसंबर 1942 को पंजाब के अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना की आज 82वीं बर्थ एनिवर्सरी है, इस मौके पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ और खास बातें। दस हजार लोगों में से चुने गए थे राजेश खन्ना राजेश खन्ना की बॉलीवुड में एंट्री एक टैलेंट हंट प्रतियोगिता के जरिए हुई थी। 1965 में यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेयर ने एक टैलेंट हंट प्रतियोगिता कराई, जिसमें लगभग दस हजार लोगों ने हिस्सा लिया था। इस प्रतियोगिता में राजेश खन्ना पहले नंबर पर आए थे। यहां से अमृतसर में पैदा होने वाले जतिन खन्ना बॉलीवुड में राजेश खन्ना बनकर पहुंचे। उन्होंने 1966 में फिल्म ‘आखिरी खत’ से बॉलीवुड डेब्यू किया था, जो 1967 में भारत की ऑस्कर में पहली आधिकारिक एंट्री फिल्म बनी थी। इंडस्ट्री में काका के नाम से फेमस हुए राजेश खन्ना को बॉलीवुड में सब काका कहकर बुलाते थे। एक इंटरव्यू के दौरान खुद राजेश खन्ना ने इस बात का खुलासा किया था कि उनका नाम काका कैसे पड़ा था? राजेश खन्ना ने बताया था कि पंजाबी में छोटे बच्चे को काका पुकारते हैं। उनके पेरेंट्स और रिश्तेदार उन्हें ‘काका’ कहकर बुलाते थे। स्कूल और कॉलेज के दिनों में भी उनके दोस्त काका कहकर पुकारते थे। जब उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा तो उनके फिल्मी दोस्त भी इसी नाम से पुकारने लगे। धीरे-धीरे यह नाम फेमस हो गया और उनके फैंस भी उन्हें काका कहकर बुलाने लगे। फिल्म इंडस्ट्री भगवान मानने लगी थी राजेश खन्ना का ऐसा स्टारडम था कि फिल्म इंडस्ट्री उन्हें भगवान मानने लगी थी। इस बारे में एक कहावत बहुत ही फेमस थी कि ‘ऊपर आका, नीचे काका’। उनके घर के बाहर निर्माताओं की लाइन लगी रहती थी। राजेश खन्ना की इतनी डिमांड थी कि एक बार पाइल्स के ऑपरेशन के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा तो आसपास के कमरे निर्माताओं ने बुक कर लिए, ताकि वे काका को अपनी फिल्म की कहानी सुना सके। भिखारी राजेश खन्ना के नाम पर भीख मांगते थे राजेश खन्ना के बारे में यह बात भी बहुत फेमस है कि भिखारी भगवान के नाम पर नहीं बल्कि राजेश खन्ना के नाम पर भीख मांगा करते थे। राजेश खन्ना ने खुद एक बार एक भिखारी को ऐसा करते देखा था। दरअसल, एक बार उनकी एक फिल्म की शूटिंग मुंबई के विले पार्ले स्थित मिठीबाई कॉलेज में हो रही थी। उस दौरान शूटिंग सेट के बाहर एक भिखारी राजेश खन्ना के नाम पर भीख मांगा करता था। इस वाकये के बाद तो कई जगह पर भिखारियों ने राजेश खन्ना के नाम पर भीख मांगना शुरू कर दिया था। राजेश खन्ना का ऐसा रिकॉर्ड जो आज तक नहीं टूटा राजेश खन्ना ने 1969-72 के बीच लगातार 17 सुपरहिट देकर स्टारडम का तमगा हासिल किया था। उनकी फिल्मों की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोग उनकी एक फिल्म देखने के बाद दूसरी फिल्म देखने के लिए थिएटर में घुस जाया करते थे। उस समय ऐसा दौर था जब सारे बड़े सिनेमाघरों में 5-6 फिल्में सिर्फ राजेश खन्ना की ही होती थीं। स्टारडम संभालना हो गया था मुश्किल अपनी हिट फिल्मों की वजह से मिलने वाले स्टारडम से राजेश खन्ना एक दौर में परेशान हो गए थे। बताया जाता है कि वो सोचने लगे थे कि उनकी कुछ फिल्में फ्लॉप हो जाएं। आगे चलकर जब फिल्में फ्लॉप होने लगीं तो वे पूरी तरह से टूट गए थे। उनके जीवन का वह दौर सबसे कठिन था। लगातार फ्लॉप फिल्मों से टूट गए थे बताया जाता है कि जब राजेश खन्ना की लगातार 7 फिल्में फ्लॉप हुईं तो वह बुरी तरह से टूट गए थे। फ्लॉप फिल्मों का गम भुलाने के लिए वे नशे में डूबने लगे। एक रात बहुत तेज बारिश हो रही थी। घर के सभी लोग गहरी नींद में थे तभी अचानक राजेश खन्ना के जोर-जोर से रोने की आवाज आई। राजेश खन्ना को ऐसी हालत में देखकर डिंपल भी काफी डर गई थीं। सुसाइड करने के बारे में सोचने लगे थे यासिर उस्मानी ने अपनी किताब ‘The Untold Story of India’s First Superstar’ में जिक्र किया कि राजेश खन्ना अपने बिखरते करियर से पूरी तरह से टूट गए थे। वे इतना डिप्रेशन में चले गए थे कि सुसाइड करने के बारे में सोचने लगे थे। समंदर में डूब जाने का फैसला कर लिया था यासिर उस्मानी के मुताबिक राजेश खन्ना ने समंदर में डूब जाने का फैसला किया था, लेकिन अंत समय में उन्होंने अपना फैसला बदल लिया। राजेश खन्ना ऐसी शख्सियत थे कि उन्होंने सफलता असफलता दोनों को बहुत करीब से देखा था। उन्होंने जीवन के हर पल को खूब जीया। अपने गम में भी मजबूती के साथ खड़े रहे और यह साबित कर दिया कि आनंद मरते नहीं। डायलॉग ऐसे जो जिंदगी को सीख भी देते हैं अपनी खास अदाकारी और डायलॉग डिलीवरी के लिए मशहूर राजेश खन्ना ने ज्यादातर ऐसी फिल्मों में काम किया, जिनमें जिंदगी और रिश्तों की बात की गई हो। रोमांस, एक्शन और इमोशन को बेहतरीन ढंग से परदे पर निभाने वाले राजेश खन्ना ने अपने फिल्मी करियर में कई यादगार डायलॉग बोले हैं, जो जिंदगी में एक सीख भी देते हैं। प्रोड्यूसर-डायरेक्टर सिद्धार्थ नागर ने राजेश खन्ना की बर्थ एनिवर्सरी पर दैनिक भास्कर से बात की। मेरे जहांपनाह और मैं उनका सलीम प्रोड्यूसर-डायरेक्टर सिद्धार्थ नागर ने राजेश खन्ना से जुड़ी कुछ खास यादें शेयर करते हुए कहा- काका के साथ मेरा बड़ा ही आत्मीय संबंध था। मैं उनको जहांपनाह और वे मुझे सलीम कहते थे। एक बार दूरदर्शन में नए शो के लिए मीटिंग करने गया था। मुझे बताया गया कि कुछ बड़ा प्लान करो। मेरे मुंह से ऐसे ही निकल गया कि राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर को लेकर सीरियल बनाऊं? उस समय वहां के जो डायरेक्टर थे, अपनी कुर्सी से खड़े हो गए। बोले कि क्यों मजाक करने आए हो? खातिरदारी बहुत अच्छी से करते थे मैं 22 साल की उम्र मे ही प्रोड्यूसर- डायरेक्टर बन गया था। मेरी उम्र देखकर कोई मेरी बात पर यकीन नहीं करता था। यह बात 2005 की है, तब 30 साल का था। दूरदर्शन से मीटिंग करने के बाद मैं काका जी से मिलने उनके घर पहुंच गया। उस वक्त कहानी का आइडिया नहीं था कि किस पर सीरियल बनाना है। काका खातिरदारी बहुत अच्छी करते थे। उनको खिलाने-पिलाने का बहुत शौक था। काका पूछे कि कौन सी फिल्म है? खाना खिलाने के बाद काका जी पूछे कि अब बताओ कि क्या प्रोजेक्ट है? कौन सी फिल्म बनाना चाहते हो? मैंने कहा, काका जी सीरियल है। काका ने मुझे फिल्म बनाने का सुझाव दिया। बोले कि बहुत सीरियल बना लिए, अब फिल्म बनाओ। मैंने कहा कि काका जी अभी तो सीरियल ही है, उसी के लिए आया हूं। इस पर वो काफी देर तक मुझे देखते रहे। बहुत ही इमोशनल इंसान थे काका जी की आंखों में पता नहीं ऐसी कौन सी एक्सरे मशीन थी कि सामने वाले के मन को पढ़ लेते थे। वो बहुत ही इमोशनल इंसान थे। समझ गए कि मेरे मन में क्या चल रहा है। सामने से खुद ही पूछे कि अच्छा बता क्या कहानी है? मैंने कहा कि कहानी तो अभी कुछ नहीं पता, अभी लिफ्ट में आते वक्त ‘रघुकुल रीत सदा चली आई’ टाइटल ध्यान में आया है। टाइटल सुनते ही वे तुरंत काम करने के लिए तैयार हो गए। हैलो, आई एम राजेश खन्ना पहले दिन काका शूटिंग पर आए तो सभी कलाकारों से खुद अपना परिचय दे रहे थे। कह रहे थे- हैलो, आई एम राजेश खन्ना, एम न्यू आर्टिस्ट इन टेलीविजन। सबसे खुद मिलकर सबकी झिझक मिटा दी। जब पहला शॉट लिया तो एक्शन के बाद कट करना भूल गया। काका ने खुद ही कट बोला और देखे कि मेरी आंखों से आंसू बह रहे थे। उस समय काका का काम देखकर काफी भावुक हो गया था। काका कहते थे लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं मुझे अपने घर पर कभी भी बुला लेते थे। एक बार दोपहर में उनकी बालकनी में बैठा था। काका बोले कि लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं कि जब मैं यहां से खड़ा होकर समंदर देखता हूं तो समझते है कि मैं अपने फैंस को ढूंढ रहा हूं। देखना जब मैं नहीं रहूंगा तब सड़क पर जगह खाली नहीं रहेगी। जब वो नहीं रहे तो उस भीड़ को देखकर मेरे कानों में उनकी कही बातें गूंज रही थीं। 18 जुलाई 2012 को काका ने दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन ऐसा लगता है कि अभी भी हमारे आसपास ही कहीं हैं। उनके अंतिम संस्कार में 10 लाख लोग शामिल हुए थे। ____________________________________________________________ बॉलीवुड से जुड़ी ये स्टोरी भी पढ़ें.. लोग कहते थे- नाचता रहता है, गे है क्या:पिता ऑटो चलाते थे; कभी-कभार चूल्हा नहीं जल पाता था फैजल खान, एक ऐसा लड़का जो मुंबई की गलियों में बड़ा हुआ। गरीब घर में जन्म हुआ। पिता ऑटो चलाते थे। मजबूरी ऐसी कि जिस दिन गाड़ी नहीं चली, खाना मिलना भी मुश्किल था। पूरी खबर पढ़ें..बॉलीवुड | दैनिक भास्कर
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