इंडियन सिनेमा के सबसे लोकप्रिय किरदार ‘पुष्प राज’ की आवाज बन चुके श्रेयस तलपदे की ‘पुष्पा 2’ के बाद दूसरी फिल्म ‘मुफासा: द लॉयन किंग’ रिलीज हो रही है। इस फिल्म में एक्टर ने टिमोन के किरदार की डबिंग की है। हाल ही में श्रेयस तलपडे ने इस फिल्म को लेकर दैनिक भास्कर से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने अपनी डेब्यू फिल्म ‘इकबाल’ को लेकर कुछ खास यादें शेयर करते हुए कहा कि इस फिल्म को करते समय कमर्शियल सिनेमा के बारे में नहीं सोचा था। हम तो बहुत बड़े शाहरुख खान के फैन हैं ‘मुफासा: द लॉयन किंग’ के हिंदी वर्जन में शाहरुख खान और उनके बेटों की आवाज सुनने को मिलेगी। शाहरुख खान ने इस फिल्म के मुख्य किरदार मुफासा, आर्यन खान ने सिंबा और अबराम ने छोटे मुफासा की डबिंग की है। एक तरह से देखा जाए तो यह शाहरुख खान की फैमिली फिल्म हो गई है। श्रेयस तलपडे ने इस फिल्म में टिमोन के किरदार की डबिंग की है। वह कहते हैं- हम तो बहुत बड़े शाहरुख खान के फैन हैं। इस फिल्म से जुड़कर बहुत खुशी हुई। दूसरे किरदार की डबिंग करना आसान नहीं होता साउथ सिनेमा के सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की फिल्म ‘पुष्पा’ और ‘मुफासा: द लॉयन किंग’ की डबिंग श्रेयस तलपडे ने की है। वह कहते हैं- मैंने दो ही फिल्में डब की है, लेकिन इन दोनों फिल्मों में डबिंग का काफी अलग अनुभव रहा है। हम अपनी फिल्मों की डबिंग तो करते ही हैं। वह बहुत आसान होता है, लेकिन किसी और की डबिंग करना आसान नहीं होता है। ‘पुष्पा’ की डबिंग के समय हमेशा यह ध्यान रखना पड़ता था कि शूटिंग के समय किरदार ने क्या सोचा होगा? बाकी स्क्रीन पर उनके हाव-भाव और इमोशन को समझकर डायलॉग बोलना पड़ता था। एनिमेटेड करेक्टर की डबिंग बिल्कुल ही अलग होती है श्रेयस तलपडे मानते है कि एनिमेटेड करेक्टर की डबिंग बिल्कुल ही अलग होती है। वह कहते हैं- ओरिजिनल करेक्टर के सुर को पकड़कर अपने अंदाज और अपनी भाषा में डबिंग करनी पड़ती है। सबको भाषा समझ में आए, इसका भी ध्यान देना पड़ता है। टिमोन को हिंदी में मयूर पुरी ने सहज भाषा में लिखा है, लेकिन उसमें अपनी तरफ से भी कुछ वाक्य ऐसे जोड़ने पड़े, जिसे हिंदी दर्शक आसानी से समझ सके। हमने ऐसी कोशिश की है कि डायलॉग असरदार तरीके से लोगों तक पहुंचे। बेटर परफॉर्मेंस का प्रेशर हमेशा रहता है श्रेयस तलपडे कहते हैं- ‘द लॉयन किंग’ में टिमोन के किरदार की डबिंग कर चुका था। किरदार के बारे में तो मुझे पता था। 2019 में यह बहुत बड़ी हिट हुई थी। ऐसे में दर्शकों की उम्मीदें थोड़ी बढ़ जाती है। हमारे सामने भी बेटर परफॉर्मेंस का प्रेशर हमेशा रहता है। इसलिए यह किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होता है। टिमोन की वजह से ‘पुष्पा पार्ट वन’ मिला था ‘द लॉयन किंग’ से श्रेयस तलपडे ने प्रोफेशनल तरीके से डबिंग की दुनिया में कदम रखा था। वह कहते हैं- डबिंग की दुनिया में एक कलाकार के तौर पर टिमोन की डबिंग मेरा पहला प्रयोग था। इस फिल्म के टिमोन किरदार की वजह से ही मुझे ‘पुष्पा पार्ट वन’ में डबिंग करने का मौका मिला था और फिर ‘पुष्पा पार्ट टू’ मिली थी। डबिंग अब पैरेलल इंडस्ट्री बन गई है क्षेत्रीय फिल्मों की वजह से अब डबिंग पैरेलल इंडस्ट्री बन गई है। श्रेयस तलपडे कहते हैं- बेसिकली डबिंग भी एक आर्ट है। इसको भी एक सम्मानित जगह मिलनी ही थी। आज क्षेत्रीय फिल्में पैन इंडिया स्तर पर रिलीज हो रही हैं। इसका फायदा डबिंग कलाकारों को मिल रहा है। डबिंग कलाकारों का सम्मान बढ़ा है और लोग उन्हें उनके नाम से जानने लगे हैं। अब यह इंडस्ट्री भी तेजी से बढ़ रही है। इकबाल दिल के बहुत करीब है, मिस करता हूं श्रेयस तलपडे ने अपने करियर की शुरुआत सुभाष घई की फिल्म ‘इकबाल’ से की थी। इस फिल्म को नेशनल अवॉर्ड मिला था। श्रेयस तलपडे कहते हैं- आज भी यह फिल्म मेरे दिल के बेहद करीब है। इस फिल्म को बहुत मिस करता हूं। आज भी लोग मिलते हैं और इस फिल्म के बारे में चर्चा करते हैं। जब कहते हैं कि उन्होंने यह फिल्म अपने बच्चों को दिखाई है, तो बहुत खुशी होती है। सोचा नहीं था कमर्शियल फिल्म में मौका मिलेगा फिल्म ‘इकबाल’ से जुड़ा एक किस्सा शेयर करते हुए श्रेयस ने कहा- गोवा फिल्म फेस्टिवल में ‘इकबाल’ दिखाई जा रही थी। तभी सुभाष घई जी का फोन आया कि संगीत सिवन एक फिल्म ‘अपना सपना मनी मनी’ बना रहे हैं, गोवा से आते ही उनसे मिल लेना। सुभाष घई बोले- तो क्या उम्र भर ‘इकबाल’ ही करता रहेगा श्रेयस तलपडे को उम्मीद नहीं थी कि ‘इकबाल’ के तुरंत बात उन्हें कमर्शियल फिल्म में काम करने मौका मिलेगा। वह कहते हैं- ‘अपना सपना मनी मनी’ का नाम सुनते ही मैंने सोचा कि यह तो कमर्शियल फिल्म है। मन की बात जब सुभाष घई जी से शेयर की। वे बोले- तो क्या उम्र भर ‘इकबाल’ ही करता रहेगा, कमर्शियल फिल्म नहीं करेगा। मैंने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि कमर्शियल फिल्म में काम करने का मौका मिलेगा।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर
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