November 14, 2024
250 बच्चों में 'मिस्टर इंडिया' के लिए चुने गए थे आफताब:बोले उस समय ऑडिशन के लिए कोई कैमरा नहीं था, 10 मिनट में मिला रोल

250 बच्चों में ‘मिस्टर-इंडिया’ के लिए चुने गए थे आफताब:बोले- उस समय ऑडिशन के लिए कोई कैमरा नहीं था, 10 मिनट में मिला रोल

40 साल पहले फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ से बॉलीवुड में बतौर चाइल्ड एक्टर डेब्यू करने वाले आफताब शिवदासानी सोमवार को जयपुर में थे। यहां उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में अपनी जर्नी शेयर की। उन्होंने कहा- मिस्टर इंडिया के ऑडिशन के दौरान 250 बच्चों में से 10 बच्चों में शामिल होना बेहद खास था। करीब 25 साल पहले बतौर हीरो ‘मस्त’ से डेब्यू करना भी स्पेशल रहा है। पूरे करियर में आफताब ने काफी उतार-चढ़ाव देखे। उनका मानना है कि आज भी वह कुछ न कुछ नया सीख रहे हैं और आगे भी सीखते रहेंगे। अभी म्यूजिक वीडियो ‘तनहाइयां’ की है, जिसे जयपुर के अमन प्रजापत ने ही डायरेक्ट किया है। इसके प्रोड्यूसर सौरभ प्रजापत हैं। पढ़िए आफताब का पूरा इंटरव्यू… सवाल: किस तरह का गाना है। आपके लिए इसमें क्या खास रहा? आफताफ शिवदासानी: यह एक सैड सॉन्ग है। इसलिए उसकी एक अलग फील है। इसे हमने जयपुर में ही शूट किया है। यह सबसे अच्छी बात है। इसमें मेरा एक ऑथेंटिक लुक है। मुझे उम्मीद है यह भी लोगों को काफी पसंद आएगा। वे हमें ढेर सारा प्यार देंगे। खास बात यह है कि मैं इसके डायरेक्टर अमन प्रजापत के साथ दूसरी बार काम कर रहा हूं। इससे पहले हमने बरसात नाम से म्यूजिक वीडियो तैयार की थी। सवाल: बतौर चाइल्ड एक्टर आपको 40 साल और एक्टर के तौर पर 25 साल हो चुके हैं। इस जर्नी को किस तरह देखते हैं। क्या बदलाव महसूस कर रहे हैं?
आफताफ शिवदासानी: जीवन में बदलाव तो आता ही है। अब तक जो भी एक्सपीरियंस हुए हैं। उसके कारण बदलाव आता है। इससे काफी कुछ सीखने को मिलता है। इतना सारा समय बीत चुका है। मैं अभी भी अपने आप को एक लर्नर के रूप में ही समझता हूं। बहुत सारी चीजों की मुझे अभी तक समझ नहीं है। उम्मीद करता हूं कि मैं जब तक यहां हूं। तब तक सीखता रहूं। खुद को अच्छा बनाता रहूं। खुद को इंप्रूव करने में लगा हुआ हूं। सवाल: मिस्टर इंडिया फिल्म की बात करें तो उससे जुड़ी कौन सी याद है, आप उस समय बहुत छोटे थे, कैसे एक्टिंग की तरफ आप आए थे?
आफताफ शिवदासानी: मेरे पेरेंट्स मिस्टर इंडिया फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर को जानते थे। जिन्होंने उस समय फिल्म की कास्टिंग की थी। वह बहुत अनोखी कास्टिंग थी। उस समय कोई कैमरा नहीं था। न कोई स्पेशल ऑडिशन इवेंट हुआ था। हमने सिर्फ शेखर सर से मुलाकात की थी। उन्होंने हर बच्चे के साथ लगभग 10 मिनट बात की थी। उस 10 मिनट में ही उन्होंने पहचान लिया कि किन बच्चों के साथ उन्हें काम करना है। इस फिल्म के लिए 200 से 250 बच्चों ने ऑडिशन दिए थे। इनमें से 10 बच्चों को चुना गया था। उन 10 बच्चों में मैं भी शामिल था। मैं उस समय 6-7 साल का था। उसके बाद तो इतिहास गवाह है कि कैसे मिस्टर इंडिया फिल्म देश में लोगों तक पहुंची। इस सफलता का श्रेय सभी किरदारों और डायरेक्टर, प्रोड्यूसर को जाता है। मैं अपने आप को खुश नसीब समझता हूं कि मैं उसे एक्सपीरिएंस का एक छोटा सा हिस्सा रहा था। सवाल: मस्त फिल्म से आपने डेब्यू किया था, उस डेब्यू को आप किस तरह से याद करते हैं?
आफताफ शिवदासानी: मेरा मानना है कि हर इंसान का डेब्यू कहीं ना कहीं जाकर स्पेशल जरूर होता है। मस्त फिल्म मेरे लिए सबसे ज्यादा स्पेशल है। मेरे करियर यानी दूसरी जिंदगी का अहम पड़ाव यहां से शुरू हो रहा था। मैं अपने आप को खुशनसीब समझता हूं कि मुझे उस तरह का मौका मिला। मैंने उस मौके को छोड़ा नहीं। मैंने अपना बेस्ट दिया। आज उसको 25 साल हो चुके हैं। इस सफर में मैं 60 फिल्में कर चुका हूं। मेरी कोशिश रहेगी की और भी बेहतरीन किरदार में निभा सकूं। सवाल: आपने अभी एक इंटरव्यू में कहा कि खुद ने ही टाइपकास्ट होने को तोड़ा है। कैसे टाइपकास्ट हुए और उसे कैसे ब्रेक किया?
आफताफ शिवदासानी: जब मैंने मस्त फिल्म से शुरुआत की थी, तब चॉकलेटी बॉय टाइपकास्ट हो गया। उसके बाद क्या यही प्यार है, कोई मेरे दिल से पूछे जैसी अलग-अलग फिल्में की। यहां से मैं रोमांटिक हीरो के रूप में टाइप कास्ट हो गया। उसके बाद कॉमेडी फिल्में आईं। इसके बाद मुझे कॉमेडी रोल ऑफर होने लगे। मुझे टाइप कास्ट बना लिया गया। यह सभी एक्टर्स के साथ होता रहता है। इस टाइपकास्ट को कुछ अलग करके ही तोड़ा जा सकता है। इस प्रयोग में कुछ चीज नहीं चलती हैं। तब उन चीजों को तोड़ नहीं पाते हैं। अगर कुछ चीज चल जाती है तो आप उस टाइप कास्ट को तोड़ सकते हैं। हम तो सिर्फ कोशिश कर सकते हैं। सवाल: आपने इस जर्नी में बहुत सारे उतार-चढ़ाव देखे हैं। सबसे मुश्किल वाला पल कौन सा था, उसके बारे में जरा बताएं?
आफताफ शिवदासानी: मेरा मानना है कि मुश्किल पल तो रोज होते हैं। आप उम्मीद लगाते हो कि जिंदगी आपको ऐसी-ऐसी चीज देगी। इसकी आपको जरूरत है। जो आप खुद के लिए चाहते हो, लेकिन जिंदगी कुछ और सोच कर रखती है। उसको स्वीकार करके रखना चाहिए। मुझे कोई मुश्किल आई, यह तो मैं नहीं कहूंगा। यह मेरे लिए लर्निंग वाला समय रहा है। इसी तरह अगर लोग भी सोचेंगे तो हमेशा खुश रहेंगे। सवाल: आप आउटसाइडर भी रहे हैं। उसका भी कुछ नुकसान आपको मिला है?
आफताफ शिवदासानी: मस्त फिल्म के जरिए जो मुझे लॉन्च मिला, वह एक बेहतरीन लॉन्च था। जो एक बड़े कलाकार के लिए होता है। जिन्हें इंडस्ट्री में ए लिस्ट कलाकार के रूप में भी कहा जाता है। उन्हें ऐसा लॉन्च मिलता है। इसलिए मुझे कभी कोई आउटसाइडर वाला फील नहीं हुआ। उतार-चढ़ाव जरूर आए, लेकिन परेशानी वाला कोई मैटर मेरे लिए सामने आया नहीं। स्ट्रगल शब्द जैसा अब तक मेरी डिक्शनरी में जुड़ा नहीं। मैं मेहनत में बिलीव करता हूं। मैं उसके लिए लगातार काम कर रहा हूं। जब चलना होता है तो उसे कोई नहीं रोक सकता। सवाल: जयपुर से जुड़ाव के बारे में बताएं, आप यहां पर दो गाने लगातार शूट कर चुके हैं, अपनी पत्नी के साथ एक आर्ट कैंप में भी आप आए थे?
आफताफ शिवदासानी: जयपुर की अलग ही खासियत है। एक अलग तरह का कलर है, संस्कार अलग है। अलग तरह का कल्चर आपको देखने को मिलता है। जो एक फील राजस्थान में आता है। वह एक अलग अनुभव देने वाला है। यहां रॉयल अंदाज वाला फील मिलता है। शूटिंग हो या इवेंट हो हमें एक रॉयल फील मिलता है। अगर छुट्टी पर भी यहां आते हैं। किसी होटल में रुकते हैं तो एक अलग तरह का एक्सपीरियंस हमें यहां मिलता है। यह और कहीं नहीं मिल सकता। यह मेरे लिए स्पेशल रहा है। सवाल: जिस चाइल्ड एक्टर के साथ अपने मिस्टर इंडिया फिल्म की थी, आज उसके निर्देशन में आप एक्टिंग कर रहे हैं, उसके बारे में आप जरा बताएं?
आफताफ शिवदासानी: अहमद खान के साथ मैंने बचपन में मिस्टर इंडिया की थी। उन 10 बच्चों में हम दोनों थे। हमारी 40 साल पुरानी फ्रेंडशिप है तो वह कहीं नहीं गई है। वैसे की वैसी है। हम कई साल तक एक-दूसरे के टच में नहीं थे, लेकिन बॉन्ड वही है। रिश्ता वही है। जहां से हमने छोड़ा था, वहीं से हम पिकअप करते हैं। आज भी उसकी स्पेशल यादें हैं। जब मैंने अहमद से वेलकम टू जंगल के सेट पर मुलाकात की थी। हम मिस्टर इंडिया की यादों पर ही बात कर रहे थे। सवाल: आने वाली फिल्मों के बारे में बताएं। किस तरह की फिल्में भविष्य में देखने को मिलेंगी?
आफताफ शिवदासानी: कॉमेडी फर्स्ट प्रायोरिटी नहीं रही। यह अपने आप हो गया। दो फिल्में ब्रांड वाली है। इनमें वेलकम टू जंगल और मस्ती है। जो अलग-अलग तरह की कॉमेडी है। वेलकम एक सिचुएशनल कॉमेडी है। मस्ती एक नॉटी कॉमेडी है। बाकी जो दो फिल्में हैं। उनमें एक तो हॉरर है। एक थ्रिलर फिल्म है। इसलिए लोग मेरा अलग-अलग अंदाज देख पाएंगे।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर

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