वाशिंगटन। इस्लामिक कंट्री यमन (Yemen Crisis) के लोग भूख के कगार (Starvation) पर पहुंच चुके हैं। देश की करीब 80 लाख आबादी भूख से बेहाल है। उधर, यूएन रिलीफ फंड (UN Relief Fund) ने मदद से इनकार कर दिया है। यूएन ने साफ कह दिया है कि उसके पास फंड नहीं है। इसलिए वह यमन के लोगों तक सहायता नहीं पहुंचा सकता है। जबकि यूनाइटेड स्टेट्स (United States) ने पहले ही चेता दिया है कि फंड की कमी से यमन के 80 लोग भूखमरी के शिकार हो रहे हैं।
राशन ही नहीं, अगले महीने से मिलेगा कम राशन
यमन (Yemen Crisis) की करीब 80 लाख आबादी ऐसी है जो भूख मिटाने के लिए यूनाइटेड नेशन्स की सहायता पर निर्भर है। यूएन रिलीफ फंड में पैसे नहीं होने की वजह से अगले साल के पहले महीने यानी जनवरी 2022 से इन 80 लाख लोगों को राशन कम मिलेगा या मिलेगा ही नहीं। ऐसे में इनको भूख से परेशान रहना पड़ सकता है। लाखों जिंदगियां भूख से बिलबिलाएंगी क्योंकि यूएन ने मदद को हाथ खड़े कर लिए हैं।
50 लाख लोग तो यहां अकाल के शिकार
दरअसल, 80 लाख लोगों के इतर करीब 50 लाख लोग ऐसे हैं जो अकाल के शिकार हैं। यमन में ऐसे लोगों को ही यूएन अब राशन उपलब्ध करा पाने में खुद को सक्षम पा रहा है। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (मीडिल ईस्ट) की क्षेत्रीय निदेशक कोरिने फ्लेसिचर ने कहा, ‘मुश्किल घड़ी की मांग है कि मुश्किल कदम उठाए जाए। हमें अपने सीमित स्रोत को देखते हुए प्राथमिकताएं तय करनी होंगी। जो सबसे मुश्किल राज्यों में हैं हम उनपर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। यमन में वैसे परिवार जो खाने-पाने को लेकर इस प्रोग्राम पर आश्रित हैं उनके लिए राशन का कम हो जाना एक बेहद ही मुश्किल समय है। मुद्रा की क़ीमतों में गिरावट दर्ज की गई है और मुद्रास्फ़ीति के कारण यहां अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच गई है।
महंगाई दुगुनी से अधिक, लोग कर रहे पलायन
गरीबी का दंश झेल रहे तमाम परिवार बेहद मुश्किल हालात में जीवन गुजर बसर कर रहे हैं। इस साल के शुरुआत में महंगाई अपने चरम पर पहुंचने लगी। खाने-पीने के सामान यहां दुगुना महंगा हो चुका है। यमन में रहने वाले कई परिवार पलायन के लिए भी मजबूर हो चुके हैं। यमन के लोग अभी जिस हालात (Yemen Crisis) का सामना कर रहे हैं वैसा पहले कभी नहीं हुआ। गिरती अर्थव्यवस्था की चपेट में आने की वजह से यहां लाखों लोग दरिद्रता में जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
23 लाख बच्चों पर कुपोषण का खतरा
यमन में एक करोड़ 62 लाख लोग, यानी देश में आधी से अधिक आबादी, भरपेट भोजन ना मिल पाने से गम्भीर रूप से पीड़ित हैं। पांच वर्ष से कम उम्र के क़रीब 23 लाख बच्चों पर कुपोषण का जोखिम मंडरा रहा है।
कहां से आएंगे पैसे?
यूएन एजेंसी के मुताबिक़, यमन में अगले वर्ष मई तक, सर्वाधिक निर्बलों तक सहायता पहुंचाना जारी रखने के लिये 81 करोड़ डॉलर से अधिक रक़म की आवश्यकता होगी। वर्ष 2022 में, विश्व खाद्य कार्यक्रम को अकाल के कगार पर पहुंच चुके परिवारों तक मदद सुनिश्चित करने के लिये, एक अरब 97 करोड़ डॉलर की ज़रूरत होगी।
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