November 22, 2024

इन्होंने बचाए हैं बुंदेलखंड के 75 तालाब

“धौरा तेरा पानी, गजब करी जाए, गगरी न फूटे, खसम मर जाए”
जिस इलाके में एक मटकी पानी की तुलना महिलाएं अपने पति से कर बैठती है, ऐसे क्षेत्र के रहने वाले हैं राम बाबू तिवारी। सूखा प्रभावित बुंदेलखंड के एक छोटे से गांव अधांव के राम बाबू तिवारी का पूरा बचपन पानी के लिए संघर्ष करते हुए बीता है।

लेकिन दसवीं के बाद जब पढ़ने के लिए शहर की हॉस्टल में रहने आए तब उन्होंने पहली बार Shower में नहाया। यहां शहर में इस तरह Shower में बर्बाद होने वाले पानी को देखकर उनको गांव की याद आ गयी। जब उन्होंने अपने दोस्तों को पानी बचाने की सलाह दी तो दोस्तों ने कहा पानी बचाना है तो गांव में जाकर बचाओं।

बस फिर क्या था राम बाबू ने छुट्टी वाले दिनों में गांव जाकर काम करना शुरू किया और बुंदेलखंड इलाके के कुछ दोस्तों के साथ मिलकर बनाई पानी चौपाल। जिसका उद्देश्य था पानी के प्रति जागरूकता फैलाना। उन्होंने गांव-गांव जाकर पानी चौपाल करना शुरू किया। पानी चौपाल के माध्यम से लोगों को जोड़ने का प्रयास करने लगें। समय के साथ उन्होंने एक ऐसा माहौल खड़ा कर दिया कि लोग आपने आस-पास की झीलों तालाबों के बारे में बात करने लगे। साफ और सुरक्षित बनाने लगे।
समय के साथ उन्होंने पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में अब तक 5000 जल मित्र बना दिए। जागरूकता लाने के लिए उन्होंने धार्मिक कार्यक्रम से लेकर नुक्क्ड़ नाटक तक सब कुछ किया, लोगों को भंडारा खिलाकर श्रम दान से जोड़ा और इस तरह 10 साल की मेहनत के बाद वह बुंदेलखंड के 75 तालाबों का पुनः निर्माण करने में सफल हो गए हैं।
अब इन तालाबों में बारिश का पानी जमा होता है जिसका इस्तेमाल गांववाले सालभर करते हैं। आज के दौर में देश को राम बाबू जैसे Water Hero की ही बेहद जरूरत है। आशा है आप भी इस बात से जरूर सहमत होंगे।

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