November 16, 2024
जब पीएम मोदी हफ्ते में 100 घंटे काम कर सकते हैं तो देश के लोग क्यों नहीं? : नारायण मूर्ति

जब पीएम मोदी हफ्ते में 100 घंटे काम कर सकते हैं तो देश के लोग क्यों नहीं? : नारायण मूर्ति​

इनफार्मेशन टेक्नालॉजी फर्म इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने शुक्रवार को एक बार फिर सख्त कार्य संस्कृति विकसित करने की बात कही. कर्म के प्रति अगाध समर्पण का भाव रखने और भारतीयों को अधिक से अधिक काम करने की प्रेरणा देने वाले नारायण मूर्ति ने पीएम मोदी का उदाहरण देते हुए लोगों से निरंतर मेहनत करने की बात कही.

इनफार्मेशन टेक्नालॉजी फर्म इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने शुक्रवार को एक बार फिर सख्त कार्य संस्कृति विकसित करने की बात कही. कर्म के प्रति अगाध समर्पण का भाव रखने और भारतीयों को अधिक से अधिक काम करने की प्रेरणा देने वाले नारायण मूर्ति ने पीएम मोदी का उदाहरण देते हुए लोगों से निरंतर मेहनत करने की बात कही.

इनफार्मेशन टेक्नालॉजी फर्म इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने शुक्रवार को एक बार फिर सख्त कार्य संस्कृति विकसित करने की बात कही. कर्म के प्रति अगाध समर्पण का भाव रखने और भारतीयों को अधिक से अधिक काम करने की प्रेरणा देने वाले नारायण मूर्ति ने पीएम मोदी का उदाहरण देते हुए लोगों से निरंतर मेहनत करने की बात कही.

मूर्ति ने कहा कि देश के लिए पीएम मोदी (PM Modi), उनके कैबिनेट मंत्री और ब्यूकरोक्रेट बेहद मेहनत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री मोदी सप्ताह में 100 घंटे काम कर रहे हैं. यदि वे इतनी मेहनत कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं? पीएम मोदी की तरह लोगों को भी अधिक काम करना चाहिए और दिखाना चाहिए कि देश को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है. नारायण मूर्ति ने सीएनबीसी ग्लोबल लीडरशिप समिट में यह बात कही.

नारायण मूर्ति कई बार कह चुके हैं कि लोगों को सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए. उन्हें इस बात को लेकर लोगों की काफी आलोचना भी झेलनी पड़ी हैं. उन्होंने अब एक बार फिर अपने 70 घंटे काम के बयान को सही ठहराते हुए कहा है कि कठिन मेहनत ही देश को तरक्की के रास्ते पर ले जा सकती है. उन्होंने कहा है कि वे अपने पुराने बयान पर अभी भी कायम हैं.

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नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 6 दिन के बजाय 5 दिन ही काम करने के प्रचलन पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि, ”मेरा स्पष्ट मानना है कि लोगों को 70 घंटे काम करना चाहिए. माफ कीजिएगा, मेरा विचार बदला नहीं है. यह विचार मरने तक मेरे साथ रहेगा.” उन्होंने कहा कि सन 1986 में जब भारत में छह दिन का वर्किंग वीक पांच दिन के वर्किंग वीक में बदला, तो मुझे काफी दुख हुआ. यदि देश का विकास करना है तो आराम नहीं बल्कि त्याग करना होगा.

उन्होंने कहा कि, “हमें इस देश में कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है. मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता है. भले ही आप सबसे बुद्धिमान व्यक्ति हों, आपको कड़ी मेहनत करनी ही होगी. यही कारण है कि मैं अपना विचार वापस नहीं ले रहा हूं.”

नारायण मूर्ति ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि वे सुबह साढ़े छह बजे आफिस जाते थे और रात में 8:40 बजे घर लौटते थे. सेवानिवृत्त होने तक सप्ताह में साढ़े छह दिनों में प्रतिदिन 14 घंटे, 10 मिनट काम करते थे.

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नारायण मूर्ति ने भारत के लोगों को जर्मनी और जापान से सीख लेने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि दूसरे वर्ल्ड वार में जर्मनी और जापान बर्बाद हो गए थे. लेकिन इन दोनों देशों ने कड़ी मेहनत की और फिर से संपन्न हो गए. भारत को भी उसी रास्ते पर चलना चाहिए.

नारायण मूर्ति ने यह भी कहा कि, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारियों का चयन बिजनेस स्कूलों से किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को सिविल सर्विसेज के लिए सिर्फ यूपीएससी परीक्षा पर न‍िर्भर नहीं रहना चाहिए. प्रबंधन संस्थानों से भी अधिकारियों का सिलेक्शन करने पर विचार करना चाहिए.

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