Haryana Assembly Election : कांग्रेस गठबंधन के दौर में फिर से चली गई है. उसे लग रहा है कि वह गठबंधन के सहारे ही भाजपा को हरा सकती है. कश्मीर के बाद हरियाणा को लेकर कसरत जारी है…
Haryana Assembly Election : हरियाणा से कांग्रेस देश साधने की तैयारी कर रही है. इसके सूत्रधार राहुल गांधी (Rahul Gandhi) हैं. कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी ने ही हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को आम आदमी पार्टी (AAP) और समाजवादी पार्टी (SP) से गठबंधन के लिए मनाया और शरद पवार (Sharad Pawar) की एनसीपी शरद चंद्र पवार से गठबंधन करने जा रही है. इसके पीछे की सबसे पहली वजह तो ये है कि जल्द ही महाराष्ट्र में ही भी चुनाव होने वाले हैं. शरद पवार वहां पूरी तरह कांग्रेस का साथ दे रहे हैं. उद्धव ठाकरे जिस तरीके से खुद को मुख्यमंत्री का चेहरा मानकर चल रहे थे, उस पर कहीं न कहीं शरद पवार ने ही ब्रेकर लगा दिया. जाहिर सी बात है कांग्रेस शरद पवार को पूरी तरह अपने साथ लेकर चलना चाहती है.
कांग्रेस क्यों कर रही ऐसा
दूसरी सबसे बड़ी वजह है राहुल गांधी की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में सोच. वह चाहते हैं कि हरियाणा में भी इंडिया गठबंधन लड़े और जनता को एक मैसेज जाए कि एक तरफ भाजपा है तो दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन. इससे जन नायक जनता पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल सहित निर्दलीय उम्मीदवारों का स्कोप बहुत बद तक खत्म हो जाएगा. फिर कांग्रेस और भाजपा के बीच सिर्फ वोटों का बंटवारा होगा. इससे एक तरफ कांग्रेस की जीत की संभावना बढ़ेगी. वहीं कम से कम सीटों की संख्या तो बढ़ ही जाएगी.
2029 का लक्ष्य
तीसरी वजह ये है कि राहुल गांधी नहीं चाहते कि किसी भी तरह लोकसभा और राज्यसभा में एनडीए सरकार को कोई मौका दिया जाए. अगर हर राज्य दर राज्य इंडिया गठबंधन लड़ता तो 2029 के लोकसभा चुनावों तक विपक्ष के सभी दलों के कार्यकर्ता भी एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना सीख जाएंगे. साथ ही वोटर भी खेमों में नहीं बंटेगा. इसी रास्ते से कांग्रेस को एक बार फिर सत्ता आती दिख रही है.
किसे कितनी सीटें मिलेंगी?
ऐसा नहीं है कि हरियाणा में कांग्रेस के लिए सबकुछ ठीक ही चल रहा है. भाजपा की हालत देखकर वह बहुत सतर्क दिख रही है. भाजपा ने उम्मीदवारों की घोषणा की तो हरियाणा में भी बगावत देखने को मिली. खास बात ये है कि भाजपा अकेले चुनाव लड़ रही है और सभी 90 सीटों पर उसके उम्मीदवार खड़े होंगे. इसके बावजूद बगावत हो गई. ऐसे में कांग्रेस भी जानबूझकर उम्मीदवारों की घोषणा में देरी कर रही है. कांग्रेस अब तक 71 नामों को तय कर चुकी है. हालांकि, बगावत की वजह से माना जा रहा है कि वह कई लिस्ट जारी करे.
कांग्रेस का दूसरा डर
कांग्रेस ने इस बार अपने नेताओं से चुनाव लड़ने के लिए आवेदन भरवाए थे. सामान्य जातियों के आवेदकों को आवेदन के साथ 20 हजार रुपये जमा करने थे तो महिलाओं, पिछड़ों और एससी जातियों के आवेदकों को आवेदन के साथ 5 हजार जमा करने थे. ऐसे में कई लोगों ने आवेदन भर दिए. सभी को लगा कि शायद उनकी लॉटरी खुल जाए. हालांकि, हुड्डा खेमा ज्यादातर सीटिंग विधायकों के पक्ष में है. साथ ही सभी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के कई नेता दावेदारी जता रहे हैं. ऐसे में टिकट नहीं मिलने पर हंगामे का डर पार्टी को सता रहा है.
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