आयरलैंड और भारत के राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे, दुर्गा पूजा पंडाल में दिखेगी खास झलक​

 भारत में आयरलैंड के राजदूत केविन केली ने कहा, “आयरलैंड और भारत एक मजबूत और बढ़ती हुई साझेदारी साझा करते हैं जो राजनयिक संबंधों से परे है. हमारे लोग शिक्षा, संस्कृति और साझा मूल्यों के माध्यम से जुड़े हुए हैं”.

भारत और आयरलैंड के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने की 75वीं सालगिरह पर दोनों देशों की संस्कृतियों की झलक दुर्गा पूजा में भी देखने को मिलेगी और इस बाबत आयरिश सांस्कृतिक समूह कोलकाता में एक पंडाल बनाने के लिए स्थानीय कलाकारों का साथ दे रहा है. भारत स्थित आयरलैंड के दूतावास के मुताबिक, गालवे का आयरिश समूह ‘मैकनास’ और कोलकाता का ‘बेहाला नूतन दल’ मिलकर हिंदू देवी दुर्गा और आयरिश देवी दानू के सम्मान में पंडाल बना रहे हैं.

भारत में आयरलैंड के राजदूत केविन केली ने कहा, ‘‘कोलकाता में दुर्गा पूजा मेरे द्वारा देखे गए सबसे विस्मयकारी त्योहारों में से एक है. इस त्योहार की ऊर्जा, रचनात्मकता और सामुदायिक भावना अद्वितीय है.” उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष हम आयरिश कलाकारों को अपने भारतीय समकक्षों के साथ मिलकर साझा सांस्कृतिक मूल्यों का जश्न मनाते हुए देखकर रोमांचित हैं. निस्संदेह यह हमारी 75वीं वर्षगांठ के समारोह का मुख्य आकर्षण होगा.”

आयरलैंड में लगभग 45,000 भारतीय मूल के लोग

केली ने कहा कि आयरलैंड और भारत की साझेदारी मजबूत है तथा उनमें लगातार प्रगति हो रही है और यह ‘‘ राजनयिक संबंधों से आगे निकल गई” है. आयरलैंड में लगभग 45,000 भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जिनमें से लगभग 29,198 भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) हैं और 18,500 अनिवासी भारतीय हैं. दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध 1947 में स्थापित हुए थे.

दोस्ती के 75 साल पूरे

भारत में आयरलैंड के राजदूत केविन केली ने कहा, “आयरलैंड और भारत एक मजबूत और बढ़ती हुई साझेदारी साझा करते हैं जो राजनयिक संबंधों से परे है. हमारे लोग शिक्षा, संस्कृति और साझा मूल्यों के माध्यम से जुड़े हुए हैं. जैसा कि हम दोस्ती के 75 साल पूरे कर रहे हैं, हम इन संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, खासकर जब दोनों देश व्यापार, प्रौद्योगिकी और संस्कृति में नए अवसरों की तलाश कर रहे हैं.”

पिछले सात दशकों में आयरलैंड और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंध तेजी से बढ़े हैं. आज आयरलैंड में 100,000 से ज़्यादा भारतीय रहते हैं, जो उन्हें पोलिश और ब्रिटिश नागरिकों के बाद तीसरा सबसे बड़ा अप्रवासी समूह बनाता है.

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