September 28, 2024
'इंडिया आउट' कभी मेरा एजेंडा नहीं था… मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के बदले सुर, भारत के दौरे की जताई इच्छा

‘इंडिया आउट’ कभी मेरा एजेंडा नहीं था… मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के बदले सुर, भारत के दौरे की जताई इच्छा​

मुइज्जू ने कहा, "हम कभी किसी भी देश के खिलाफ नहीं रहे. मालदीव के लोगों को अपने देश में विदेशी सेना की मौजूदगी से समस्या का सामना करना पड़ रहा था. मालदीव के लोग नहीं चाहते कि एक भी विदेशी सैनिक उनके देश में रहे. इसलिए भारतीय सेना को वापस जाने के लिए कहा गया था."

मुइज्जू ने कहा, “हम कभी किसी भी देश के खिलाफ नहीं रहे. मालदीव के लोगों को अपने देश में विदेशी सेना की मौजूदगी से समस्या का सामना करना पड़ रहा था. मालदीव के लोग नहीं चाहते कि एक भी विदेशी सैनिक उनके देश में रहे. इसलिए भारतीय सेना को वापस जाने के लिए कहा गया था.”

मोहम्मद मुइज्जू चीन से नजदीकियां दिखाकर और ‘इंडिया आउट’ का नारा देकर मालदीव की सत्ता में आए थे. उन्होंने ऐसे कई फैसले लिए, जिससे दोनों देशों में तल्खियां बढ़ी थीं. हालांकि, अब मुइज्जू ने अपने सुर बदल लिए हैं. चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू ने अपने इसी बयान को लेकर बड़ी सफाई दी है. मुइज्जू ने कहा, “इंडिया आउट का मेरा एजेंडा कभी नहीं रहा. हमारे देश में विदेशी सेना की उपस्थिति द्वीपीय देश के लिए एक समस्या थी.” मालदीव के राष्ट्रपति ने इसके साथ ही जल्द से जल्द भारत आने की इच्छा जाहिर की. उन्होंने कहा, “मैं बहुत जल्द भारत की यात्रा करना चाहता हूं. भारत और मालदीव बहुत अच्छे दोस्त हैं. हमारे बीच बहुत अच्छे द्विपक्षीय संबंध हैं.” इससे पहले खबर आई थी कि मुइज्जू जल्द भारत दौरे पर आएंगे. हालांकि, उनके दौरे की तारीख अभी तय नहीं हुई है.

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने गुरुवार को अमेरिका के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के एक प्रोग्राम से इतर ये बातें कहीं. वो संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में शामिल होने के लिए न्यूयॉर्क पहुंचे थे.

मुइज्जू ने कहा, “हम कभी किसी भी देश के खिलाफ नहीं रहे. मालदीव के लोगों को अपने देश में विदेशी सेना की मौजूदगी से समस्या का सामना करना पड़ रहा था. मालदीव के लोग नहीं चाहते कि एक भी विदेशी सैनिक उनके देश में रहे. इसलिए भारतीय सेना को वापस जाने के लिए कहा गया था.”

बीते साल अक्टूबर में राष्ट्रपति बने थे मुइज्जू
बीते साल अक्टूबर में हुए मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव यानी PPM के नेता मोहम्मद मुइज्जू की जीत हुई थी. PPM गठबंधन को चीन के साथ करीबी रिश्तों के लिए जाना जाता है. जीत के बाद शपथ ग्रहण समारोह से पहले नवंबर 2023 में मुइज्जू ने आश्वासन दिया था कि मालदीव में भारतीय सैनिकों की जगह चीनी सेना तैनात नहीं की जाएगी. सत्ता में आने के बाद उन्होंने भारतीय सेना को वापस जाने का आदेश दिया था.

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#WATCH | New York, US: Maldives President Mohamed Muizzu says, “I am planning to visit (India) as soon as possible. We have a very strong bilateral relationship.” pic.twitter.com/N4zlawApPp

— ANI (@ANI) September 27, 2024

भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक सर्वे एग्रीमेंट नहीं करने का किया था ऐलान
वहीं, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने घोषणा की है कि वो भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक सर्वे समझौता फिर से शुरू नहीं करेंगे. उन्होंने कहा था, “मालदीव खुद यह सर्वे शुरू के लिए जरूरी मशीनें और टेक्नोलॉजी जुटाएगा.”

9 जून को पीएम मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल हुए थे मुइज्जू
चीन समर्थक रुख के लिए जाने जाने वाले मुइज्जू ने प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए 9 जून को नई दिल्ली की यात्रा की थी. पद संभालने के बाद सबसे पहले नई दिल्ली की यात्रा करने वाले अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत मुइज्जू ने सबसे पहले तुर्किये की यात्रा की. जनवरी में अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर चीन पहुंचे थे.

मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भारत के पड़ोसी और हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के प्रमुख शामिल हुए थे. मुइज्जू ने तब कहा था कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी का निमंत्रण पाकर और उनके शपथग्रहण में शामिल होकर खुशी हुई.

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मुइज्जू ने भारत-मालदीव रिश्ते पर भी की थी बात
मुइज्जू ने स्वदेश लौटने के बाद अपनी पहली भारत यात्रा को मालदीव और क्षेत्र के लिए ‘‘सफलता” बताया था. उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों से मालदीव के लोगों के लिए समृद्धि बढ़ेगी.

जयशंकर ने अगस्त में की थी मालदीव की यात्रा
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अगस्त में मालदीव की यात्रा की थी. पिछले साल नवंबर में मुइज्जू के पदभार संभालने के बाद नई दिल्ली की ओर से मालदीव की यह पहली उच्चस्तरीय यात्रा थी.

मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के साथ रिश्तों में आया था तनाव
मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद से मालदीव के साथ भारत के रिश्ते में तनाव आ गया. अपनी शपथ के कुछ ही घंटों के भीतर, उन्होंने भारत द्वारा मालदीव को उपहार में दिए गए तीन विमानन प्लेटफॉर्म पर तैनात भारतीय सैन्यकर्मियों से वापस जाने को कहा था. दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद भारतीय सैन्यकर्मियों की जगह असैन्य कर्मियों ने ले ली थी.

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