इन देशों से विमानों को मिल रही थी बम से उड़ाने की धमकियां, सुरक्षा एजेंसियों ने लगाया पता; एक्शन प्लान तैयार​

 सूत्र ने बताया, जवाब मिलने के बाद केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने एक्स से कुछ और जानकारियां साझा करने के लिए कहा है.

केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने सोशल मीडिया के जरिए विमानों को बम से उड़ाने की धमकियां देने वाले आईपी अड्रेस का पता लगा लिया है. ये आईपी अड्रेस जर्मनी और लंदन का बताया जा रहा है. इस सप्ताह 20 से ज्यादा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय भारतीय विमानों को बम से उड़ाने की धमकी मिल चुकी है.

बीते सोमवार को तीन अंतरराष्ट्रीय भारतीय फ्लाइट में बम होने की धमकी मिली. साथ ही मंगलवार को भी 10 विमानों को लेकर इसी तरह की धमकियां मिलीं. वहीं इसके एक दिन बाद भी कम से कम छह ऐसी धमकियां मिलीं. ये धमकियां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए आईं, हालांकि जांच के बाद इन्हें फेक करार दिया गया.

केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने एक्स से उन आईपी अड्रेस को साझा करने के लिए कहा, जहां से सभी पोस्ट किए गए थे. साथ ही उन सभी अकाउंट को बंद करने के लिए भी कहा.

एक सूत्र ने कहा, “हमें शुरुआती रिपोर्ट मिली हैं और उन्होंने हमें सूचित किया है कि पोस्ट तीन अलग-अलग हैंडल से किए गए थे. इन तीन हैंडलों में से, उन्होंने लंदन और Deutschland के दो आईपी अड्रेस का पता लगाया है. यूजर्स ने वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का उपयोग करने के बाद ये पोस्ट किए. ये यूजर्स की पहचान को छुपाने में मदद करता है.”

सूत्र ने बताया, जवाब मिलने के बाद केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने एक्स से कुछ और जानकारियां साझा करने के लिए कहा है.

आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने इस महीने अब तक कथित बम धमकियों से जुड़ी सात घटनाओं पर प्रतिक्रिया दी है. जांच और निरीक्षण के बाद सभी धमकियों के अफवाह होने की पुष्टि हुई.

पुलिस उपायुक्त (आईजीआई एयरपोर्ट) उषा रंगनानी ने कहा कि इन झूठी धमकियों और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है. ताकि फिर से कोई इस तरह की हरकत करने की हिम्मत ना करे.

वहीं नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि वे नियमों को और अधिक सख्त बनाने के उपायों पर विचार कर रहे हैं, ताकि इस तरह की धमकियों के पीछे के लोगों को कड़ी सजा दी जा सके, जिसमें उन्हें भारतीय कंपनियों के विमानों पर नो-फ्लाई लिस्ट में डालना भी शामिल है.

केंद्र, गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय के साथ भी संपर्क में है और साथ ही अन्य देशों में अपनाए जा रहे धोखाधड़ी विरोधी प्रावधानों का भी अध्ययन कर रहा है.

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