Cyclone Asna: पाकिस्तान मौसम विभाग ने आशंका जताई थी कि चक्रवात असना कहर बरपा सकता है. लेकिन कराची के लोगों यकीन था कि कोई चक्रवात यहां नुकसान नहीं पहुंचा सकता है… और हुआ भी ऐसा ही.
Asna Cyclone चक्रवाती तूफान ‘असना’ को लेकर भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में भी अलर्ट था. लगभग 78 साल बाद अगस्त महीने में बने इस चक्रवात के कराची में तबाही मचाने के आसार थे. लेकिन तूफान असना बिना कुछ नुकसान पहुंचाए यहां से लौट गया. यह पहली बार नहीं है, जब कोई चक्रवाती तूफान कराची से बिना नुकसान पहुंचाए लौट गया हो. लोगों की मान्यता है कि उन्हें चक्रवाती तूफानों से कराची में बैठे फकीर अब्दुल्ला शाह गाजी बताते हैं! 8वीं शताब्दी के इस मुस्लिम संत को लेकर पाकिस्तान के लोगों में काफी मान्यता है.
चक्रवात से बचाने वाला मुस्लिम संत!
शुक्रवार को पाकिस्तान के दक्षिणी शहर कराची पर चक्रवात ‘असना’ का खतरा मंडरा रहा था, जो देश के अरब सागर तट पर स्थित है. प्रशासन भी अलर्ट मोड पर था. तटीय इलाकों में रहनेवाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का काम किया जा रहा था. प्रशासन चक्रवाल को लेकर डरा हुआ था. मौसम विभाग ने आशंका जताई थी कि चक्रवात कहर बरपा सकता है. लेकिन कराची के लोगों यकीन था कि कोई चक्रवात यहां नुकसान नहीं पहुंचा सकता है… और हुआ भी ऐसा ही. कराची के लोगों में ये विश्वास 8वीं शताब्दी के फकीर अब्दुल्ला शाह गाजी की वजह से है. अब्दुल्ला शाह गाजी को कराची शहर का रखवाला कहा जाता है. इनकी दरगाह कराची में है. कराची के लोगों को मानना है कि अब्दुल्ला शाह गाजी कराची में किसी चक्रवात को आने ही नहीं देते हैं. यही वजह थी कि एक ओर जहां प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे थे. वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग अब्दुल्ला शाह गाजी की दरगाह पर दुआ मांग रहे थे. इन लोगों को यकीन था कि अब्दुल्ला शाह गाजी कराची को तूफान से बचा लेंगे.
कटोरे में पानी लेकर रोका था तूफान!
गाजी एक सूफी मुस्लिम संत थे, जो आठवीं शताब्दी में हुए थे. बताया जाता है कि अब्दुल्ला शाह गाजी अरब से आए थे, और अपने भाई सैयद मिस्री शाह के साथ सिंध प्रांत (जहां कराची है) में बसने आए थे. हालांकि, कई लोग मानते हैं कि उनका जन्म सऊदी अरब के मदीना में हुआ था, जबकि कुछ कहते हैं कि वह इराक से आए थे. ऐसा कहा जाता है कि सिंध के भीतरी जंगलों में दुश्मनों ने उन पर घात लगाकर हमला किया और उन्हें मार डाला था. उनके समर्थकों के एक दल ने उन्हें एक रेतीली पहाड़ी पर दफनाया, जो क्लिफ्टन के समुद्र तटीय कराची इलाके में स्थित है. यहीं आज उनकी दरगाह है. किंवदंती है कि एक दिन मछली पकड़ने के लिए मछुआरों का एक समूह एक चक्रवात में फंस गया था. इन्हें बचाने के लिए गाजी ने अपना खाने का कटोरा लिया और उसमें पानी भर दिया, जिससे बाद तूफान थम गया. तब से यह मान्यता है कि गाजी लोगों को चक्रवात से बचाएंगे.
कराची में चक्रवात न पहुंचने का वैज्ञानिक देते हैं ये तर्क
फकीर अब्दुल्ला शाह गाजी से जुड़ी किंवदंती में कितनी सच्चाई है? क्या वाकई इस फकीर की वजह से ही कराची से दूर चला जाता है चक्रवात. पिछले कुछ सालों में आए चक्रवात भी इस मान्यता को और पक्का करते हैं. 2010 में फेट, 2014 में निलोफर, 2021 में तौकता और 2023 में बिपरजॉय सहित अरब सागर के ऊपर कई उष्णकटिबंधीय चक्रवातों ने कराची में लैंडफॉल करने के बजाय अपना रास्ता ही बदल लिया. हालांकि, विज्ञान इसके पीछे अलग तर्क देता है. पाकिस्तानी अखबार डॉन की खबर के मुताबिक, पर्यावरणविद बताते हैं कि चक्रवातों के कराची शहर में न पहुंचने का कारण इसकी भौगोलिक स्थिति भी है. दरअसल, कराची एक तरह से अंदर की ओर मुड़ा हुआ है. इसलिए यहां कोई भी चक्रवात आसानी से नहीं पहुंच पाता है.
मौसम विभाग ने ली राहत की सांस
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शुक्रवार शाम को जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि कच्छ तट और पाकिस्तान के समीपवर्ती क्षेत्रों पर बना गहरा दबाव “चक्रवाती तूफान असना में तब्दील हो गया है और पूर्वाह्न 11:30 बजे भुज से लगभग 190 किलोमीटर पश्चिम-उत्तरपश्चिम में केंद्रित है.” आईएमडी ने पहले कहा था कि क्षेत्र के ऊपर बना गहरा दबाव शुक्रवार सुबह तक चक्रवाती तूफान में बदल सकता है. इसके बाद अधिकारियों ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए कदम उठाए. लेकिन कच्छ तट पर दिन में बना चक्रवाती तूफान ‘असना’ इलाके पर कोई बड़ा प्रभाव डाले बिना अरब सागर में ओमान की ओर बढ़ गया. यह अगले दो दिनों तक भारतीय तट से दूर उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर लगभग पश्चिम-उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ता रहेगा. मौसम विभाग ने इससे राहत की सांस ली है.
इसे भी पढ़ें :-78 साल बाद ऐसे हालत… IMD का रेड अलर्ट, क्यों डरा रहा समंदर में उठ रहा ‘असना’
NDTV India – Latest
More Stories
महाराष्ट्र चुनाव : सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम फडणवीस जीते, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण और बालासाहेब थोराट हारे
महाराष्ट्र में यह हैं सबसे कम अंतर से जीतने वाले उम्मीदवार, 162 वोट से जीते AIMIM प्रत्याशी
हेमंत सोरेन : 2024 की शुरुआत में पहुंचे थे जेल तो आखिर में मिली जबरदस्त चुनावी जीत