September 25, 2024
क्या अक्षय शिंदे ने पहले कभी बंदूक चलाई थी...: बदलापुर एनकाउंटर पर Hc ने पूछे कई सख्त सवाल

क्या अक्षय शिंदे ने पहले कभी बंदूक चलाई थी…: बदलापुर एनकाउंटर पर HC ने पूछे कई सख्त सवाल​

Akshay Shinde Encounter Case: अदालत ने ये भी पूछा कि क्या मृतक ने पहले कभी बन्दूक चलाई थी? क्योंकि आपकी बात से लगता है. उसने लॉक खोला था. सरकारी वकील ने इनकार किया और कहा उसने लॉक नही खोला था. हाथापई के दौरान वो खुला. आरोपी ने पहले कोई बन्दूक नहीं चलाई थी. अक्षय शिंदे की मां भी कोर्ट में मौजूद हैं.

Akshay Shinde Encounter Case: अदालत ने ये भी पूछा कि क्या मृतक ने पहले कभी बन्दूक चलाई थी? क्योंकि आपकी बात से लगता है. उसने लॉक खोला था. सरकारी वकील ने इनकार किया और कहा उसने लॉक नही खोला था. हाथापई के दौरान वो खुला. आरोपी ने पहले कोई बन्दूक नहीं चलाई थी. अक्षय शिंदे की मां भी कोर्ट में मौजूद हैं.

अक्षय शिंदे एनकाउंटर मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंच गया है और मामले में आज सुनवाई हुई. याचिका में एनकाउंटर को फर्जी करार देते हुए हाई कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई है. साथ इस बात की जांच की मांग भी की गई है कि अक्षय शिंदे के एनकाउंटर का राजनीतिक लाभार्थी कौन हैं. इसका भी पता लगाया जाए. सरकारी वकील ने कहा कि एनकाउंटर से जुड़े दोनों मामले FIR और ADR की जांच स्टेट CID को दे दी गई है. अदालत घटनाक्रम समझने के बाद पूछा कि पुलिस के पास पिस्तौल थी या रिवाल्वर? वहीं, अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी.

अक्षय शिंदे एनकाउंटर मामला: कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?

जस्टिस चव्हाण ने कहा कि जब आप एक ऐसे व्यक्ति को ले जा रहे हैं, जिस पर गंभीर अपराधों का आरोप है, तो इतनी लापरवाही क्यों बरती ? एसओपी क्या है? क्या उसे हथकड़ी पहनाई गई थी. सरकारी वकील वेनेगावकर ने कहा कि शुरू में उसे हथकडी लगाई गई थी. लेकिन फिर उसने पानी मांगा तो हथकड़ी खोल दी गई थी.जस्टिस चव्हाण ने कहा कि क्या आपने पिस्तौल पर फिंगर प्रिंट लिए थे? सरकारी वकील वेनेगावकर ने कहा कि जेजे अस्पताल द्वारा हैंडवाश और एफएसएल द्वारा फिंगर प्रिंट लिए गए.जस्टिस चव्हाण ने कहा कि आपने कहा कि आरोपी ने पुलिस पर तीन गोलियां चलाईं. केवल एक को कैसे लगी? जस्टिस मोहितेडेरे ने कहा कि आमतौर पर आत्मरक्षा के लिए हम पैरों पर गोली चलाते हैं. आत्मरक्षा के लिए गोली कहां चलाता है. हाथ या पैर पर हो सकता है.जस्टिस चव्हाण ने कहा कि एक अधिकारी मुठभेड़ में शामिल था? इसके बारे में अधिकारी से पूछें. हम कैसे मान लें कि गाड़ी में मौजूद 4 अधिकारी एक आदमी पर काबू नहीं पा सके?सरकारी वकील वेनेगावकर ने कहा कि यह तुरंत प्रतिक्रिया थी. जस्टिस चव्हाण ने कहा कि क्या इसे टाला नहीं जा सकता था? जस्टिस मोहिते-डेरे ने कहा कि पुलिस प्रशिक्षित है, यहां तक ​​कि आम आदमी भी जानता है कि पुलिस को आत्मरक्षा में कहां गोली चलानी चाहिए.जस्टिस चव्हाण ने कहा कि एक और पहलू है. इस बात की फोरेंसिक रिपोर्ट प्राप्त करें कि क्या आरोपी को दूर से या पॉइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारी गई थी. साथ ही उसके दाहिनी ओर से गोली निकलने के बाद फिर गोली कहां लगी?जस्टिस मोहिते-डेरे ने कहा कि हमें इस घटना की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है, भले ही इसमें पुलिस शामिल हो. जस्टिस चव्हाण ने कहा कि हम किसी भी चीज पर संदेह नहीं कर रहे हैं. लेकिन हम केवल सच्चाई जानना चाहते हैं.अदालत ने कहा कि पोस्टमार्टम से लगता है कि गोली के जख्म के अलावा उसके शरीर पर कई खरोंचें थीं. साथ ही पता चलता है कि गोली बिल्कुल नजदीक से मारी गई है. अदालत ने पुलिस से दस्तावेजों की प्रतियां जमा करने को कहा. साथ ही खरोंचों की जांच करने को कहा.अदालत ने ये भी पूछा कि क्या मृतक ने पहले कभी बन्दूक चलाई थी? क्योंकि आपकी बात से लगता है. उसने लॉक खोला था. सरकारी वकील ने इनकार किया और कहा उसने लॉक नही खोला था. हाथापई के दौरान वो खुला. आरोपी ने पहले कोई बन्दूक नहीं चलाई थी. अक्षय शिंदे की मां भी कोर्ट में मौजूद हैं.

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