एस जयशंकर ने कहा कि रूस और यूक्रेन युद्ध का खामियाजा विकासशील देशों को भी भुगतना पड़ रहा है. ऐसे 125 देश हैं जहां रूस और यूक्रेन युद्ध का सीधा असर पड़ता दिख रहा है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर दोहा फोरम की बैठक में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने अलग-अलग मुद्दों पर अपनी बात रखते हुए रूस और यूक्रेन युद्ध के ऊपर भी अपनी बात रखी. उन्होंने इस दौरान कहा कि भारत शुरू से कहता आ रहा है कि युद्ध को रोकने के लिए बातचीत का रास्ता सबसे बेहतर विकल्पों में से एक है.ऐसा कोई विवाद नहीं जिसे हम बातचीत करके सुलझा ना पाएं. युद्ध भी उन्हीं में से एक है. इस दौरान एस जयशंकर ने कहा कि अमेरिकी डॉलर को टक्कर देने के लिए कोई नई मुद्रा शुरू करने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. खास बात ये है कि एस जसशंकर का यह बयान अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान के एक हफ्ते बाद आया है. कुछ दिन पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह डॉलर के मुकाबले अगर कोई नई मुद्रा बनाते हैं तो अमेरिका उनपर 100 फीसदी टैरिफ लगा सकता है.
रूस और यूक्रेन युद्ध पर क्या बोले एस जयशंकर
एस जयशंकर ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से सीधे बातचीत का जिक्र किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि दोनों देश अगर बातचीत के लिए एक टेबल पर बैठें तो इस समस्या का समाधान हो सकता है. मुझे उम्मीद है कि वो ऐसा करेंगे भी. दोहा फोरम में उन्होंने आगे कहा कि हम ऐसे सामान्य सूत्र खोजने की कोशिश कर रहे हैं जिनपर दोनों देशों के बीच बातचीत हो सके. और यह तभी संभव है जब हालात वैसे बनाए जाएं कि एक टेबल पर बैठकर बातचीत की जा सके. रूस और यूक्रेन युद्ध में भारत की भूमिका पर विदेश मंत्री ने कहा कि बातचीत की संभावना युद्ध की जारी रखने से ज्यादा है. युद्ध का विकासशील देशों पर व्यापक असर पड़ा है. ईंधन की बढ़ती कीमतें, भोजन, मुद्रास्फीति और उर्वरक इसकी मिसाल हैं.
ग्लोबल साउथ के हितों की बात करता है भारत
एस जयशंकर ने आगे कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो ग्लोबल साउथ के देशों की भावनाओं और हितों को ध्यान में रखकर काम कर रहा है. इस युद्ध से कुल 125 देश हैं जो सीधे तौर पर प्रभावित हैं. बीते कुछ हफ्तों में कई बड़े यूरोपीय नेताओं ने भी यही कहा है कि भारत कृपया कर रूस और यूक्रेन से बातचीत करते रहें ताकि इस युद्ध को रोकने का कोई रास्ता निकाला जा सके. यही वजह है कि हमे लगता है कि चीजें उस दिशा में आगे बढ़ रही हैं.
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