जीवन बचाने के लिए सुरक्षित तंबाकू विकल्पों की मांग कर रहे देश के 65 प्रतिशत हेल्थ प्रोफेशनल : सर्वे​

 धूम्रपान से संबंधित बीमारियों के कारण हर दिन 2,500 से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है. पद्मश्री पुरस्कार विजेता और सर गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. मोहसिन वली ने कहा, “तंबाकू की लत देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है.”

देश में तंबाकू की बढ़ती महामारी के बीच 10 में से चार घर धूम्रपान की लत से परेशान हैं. शुक्रवार को आई एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि देश में स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े 65 फीसदी प्रोफेशनल्स जीवन बचाने के लिए तंबाकू के सुरक्षित और नए विकल्पों की मांग कर रहे हैं. साइजेन ग्लोबल इनसाइट्स एंड कंसल्टिंग के सहयोग से डॉक्टर्स अगेंस्ट एडिक्शन (डीएएडी) सर्वेक्षण की रिपोर्ट में स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण बदलाव का पता चला है, जिसमें 65 प्रतिशत डॉक्टर धूम्रपान की लत छुड़ाने के प्रयासों में निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी और हीट-नॉट-बर्न उत्पादों जैसे सुरक्षित विकल्पों को एकीकृत करने का समर्थन कर रहे हैं.

उन्होंने इन विकल्पों की प्रभावकारिता पर और शोध की जरूरत पर जोर दिया. यह रिपोर्ट तंबाकू की लत के खिलाफ भारत की चल रही लड़ाई में एक बड़ा मोड़ है, जो सालाना 9,30,000 से ज्यादा मौतों का कारण बनती है.

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“तंबाकू की लत देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौती”

धूम्रपान से संबंधित बीमारियों के कारण हर दिन 2,500 से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है. पद्मश्री पुरस्कार विजेता और सर गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. मोहसिन वली ने कहा, “तंबाकू की लत देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है. इससे निपटने के लिए हमें तंबाकू छोड़ने के लिए वैज्ञानिक रूप से स्वीकृत विकल्पों को प्राथमिकता देनी चाहिए. हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स के रूप में रोगियों को सुरक्षित विकल्पों की ओर जाना चाहिए जो जीवन बचाने और तंबाकू के विनाशकारी प्रभाव को कम करने के लिए जरूरी हैं.”

“भारत का तम्बाकू संकट एक राष्ट्रीय आपातकाल”

डीएएडी के मुख्य समन्वयक डॉ. मनीष शर्मा ने कहा, “भारत का तम्बाकू संकट एक राष्ट्रीय आपातकाल है, जिसके लिए तत्काल कार्यवाही की जरूरत है. धूम्रपान छोड़ने के वैज्ञानिक रूप से सिद्ध समाधानों की तत्काल वैधानिक सिफारिशें की जानी चाहिए.”

सर्वे में 300 हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स को शामिल किया गया जिनमें 70 प्रतिशत से ज्यादा ने लत की गंभीरता और प्रेरणा की कमी का हवाला दिया और 60 प्रतिशत ने छोड़ने के लिए प्रमुख बाधाओं के रूप में लत छोड़ने के संसाधनों की कमी की ओर इशारा किया.

इससे पता चला कि अपर्याप्त फॉलो-अप केयर और साक्ष्य-आधारित तरीकों के खराब कार्यान्वयन के कारण भारत में धूम्रपान बंद करने में बाधा आ रही है. केवल 7.4 प्रतिशत हेल्थ केयर प्रोवाइडर नियमित रूप से लत छोड़ने के लिए सलाह देते हैं और केवल 56.4 प्रतिशत फॉलोअप कंसल्टेशन की व्यवस्था करते हैं. ये आंकड़े कमी को इंगित करते हैं.

“तम्बाकू की लत से छुटकारा पाने के लिए नए विकल्पों की जरूरत”

नई दिल्ली स्थित बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में पल्मोनरी मेडिसिन के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पवन गुप्ता ने कहा, “तम्बाकू की लत से छुटकारा पाने के लिए बहुआयामी समाधानों की जरूरत है. धूम्रपान छोड़ने के लिए सुरक्षित और नए वैकल्पिक का उदय हमारी रणनीतियों पर पुनर्विचार करने का अवसर प्रदान करता है. धूम्रपान छोड़ने की इन रणनीतियों को एक जगह उपलब्ध कराकर और इसके बारे में तथा डिजिटल प्लेटफॉर्म और संसाधनों के बारे में लोगों में जानकारी बढ़ाकर हम अपने उपचार के परिणामों में काफी सुधार कर सकते हैं.”

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