झांसी अग्निकांड की जांच के लिए हाईलेवल टीम गठित, 7 दिनों में सौंपेगी रिपोर्ट​

 Jhansi Hospital Fire: झांसी अस्पताल में आग लगने की घटना को सभी स्तर पर गंभीरता से लिया जा रहा है. यही कारण है कि अलग-अलग स्तर पर जांच की जा रही है…

Jhansi Hospital Fire: उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में आग लगने से 10 नवजात जिंदा जलने के मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई है. इस कमेटी को सात दिन में रिपोर्ट सौंपनी होगी.प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने मामले की जांच के लिए चार लोगों के एक पैनल का गठन कर दिया है. इस जांच कमेटी की अध्यक्षता चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग के महानिदेशक करेंगे. इसके अलावा कमेटी में चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं अपर निदेशक और महानिदेशक, अग्निशमन द्वारा नामित अधिकारी सदस्य होंगे. 

कमेटी आग लगने के प्राथमिक कारण, किसी भी प्रकार की लापरवाही या दोष की पहचान और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं के बचाव के लिए सिफारिशें देगी. इस कमेटी को गठन के बाद सात दिनों में जांच की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है. 

ज्ञात हो कि महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक है. इस अस्पताल के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में शुक्रवार रात में बिजली के कथित तौर पर शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई. आग में जलकर 10 बच्चों की मौत हो गई. हादसे में शिकार नवजातों के परिजनों को शासन द्वारा पांच-पांच लाख रुपयों की सहायता की घोषणा की गई है. घायलों के परिजनों को पचास-पचास हजार की सहायता मिलेगी. सीएम ने कहा कि यह सहायता राशि जल्द से जल्द मिलनी चाहिए. 

झांसी डीएम ने बताई पूरी बात

झांसी डीएम अविनाश कुमार ने बताया कि कुल 49 बच्चे NICU वार्ड में भर्ती थे. 38 बच्चों को निकाल लिया गया था. 10 की मौत हुई है. इनमें से 7 की पहचान की गई है और  उसका शव परिजनों को सौंप दिया है. 3 बच्चों की पहचान की जा रही है. 1 बच्चे की जल्द कंडीशन क्लियर करेंगे. NICU में जो बच्चे आते हैं, वो सीरियस कंडीशन में ही आते हैं. ऐसे में अभी भी 3 बच्चों की कंडीशन सीरियस है. उनका हम प्रॉपर ट्रीटमेंट कर रहे हैं. जो अन्य बच्चे हैं, उनमें से कोई भी जला हुआ नहीं है.फिलहाल अभी तक शार्ट सर्किट ही समझ आ रहा है.DIG और कमिश्नर जांच की जॉइंट रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजेंगे. इस मामले की मजिस्ट्रेट और पुलिस की भी जांच होगी. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा कि ये घटना ह्रदय विदारक है और सरकारी संस्थान में ये लापरवाही बच्चों के मानवाधिकार का उल्लंघन है.

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