“तिरुपति के प्रसादम में जानवर की चर्बी…” : चंद्रबाबू नायडू ने लगाया आरोप तो YSRCP ने भी दिया जवाब​

 चंद्रबाबू नायडू ने YSRCP पर आरोप लगाते हुए कहा, “तिरुमाला में वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर हमारा सबसे पवित्र मंदिर है. मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जगन के प्रशान के दौरान तिरुपति प्रसादम में घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था”.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ने बुधवार को यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि 2019 से 2024 के बीच वाईएसआरसीपी शासन के दौरान प्रतिष्ठित तिरुपति लड्डू प्रसादम को तैयार करने के लिए जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था. 

नायडू ने लगाया आरोप

नायडू ने एनडीए पब्लिक रेप्रिजेंटेटिव की मीटिंग में वाईएसआरसीपी (YSRCP) पर आरोप लगाते हुए कहा, “तिरुमाला में वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर हमारा सबसे पवित्र मंदिर है. मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जगन के प्रशान के दौरान तिरुपति प्रसादम में घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था. जगन और वाईएसआरसीपी सरकार पर शर्म आती है, जिन्होंने इसका सम्मान नहीं किया.”

YSRCP ने दिया कड़ा जवाब

नायडू द्वारा लगाए गए इन आरोपों का वाईएसआरसीपी ने कड़ा जवाब दिया और कहा, “चंद्रबाबू नायडू दिव्य मंदिर तिरुमाला की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाकर बहुत बड़ा पाप किया है. तिरुमाला प्रसादम के बारे में नायडू का कमेंट वास्तव में घटिया है. कोई भी मनुष्य इस तरह के शब्द नहीं बोलता या फिर इस तरह के आरोप नहीं लगाता है. इससे एक बार फिर साबित हो गया है कि राजनीतिक लाभ के लिए वह किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं.” 

टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष ने कही ये बात

वाईएसआरसीपी के राज्यसभा सदस्य और टीटीडी (तिरुमाला मंदिर का प्रबंधन वाला बोर्ड) के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, भक्तों की आस्था को मजबूत करने के लिए, “मैं और मेरा परिवार तिरुमाला प्रसादम के मामले में भगवान को साक्षी मानकर शपथ लेने के लिए तैयार हूं. लेकिन क्या नायडू भी अपने परिवार के साथ शपथ लेने के लिए तैयार हैं?”

YSRCP शासन में प्रसादम पर उठे हैं सवाल

बता दें कि वाईएसआरसीपी शासन के दौरान प्रतिष्ठित लड्डू प्रसादम को जांच और विवाद का सामना करना पड़ा था और इसमें टीडीपी ने अक्सर ही इसकी गुणवत्ता में कथित गंभीर समझौते की आलोचना की थी. टीटीडी ने हाल ही में डेयरी विशेषज्ञों के परामर्श पर एक आंतरिक मूल्यांकन किया और उसमें पाया की “श्रीवारी लड्डू” के स्वाद को निर्धारित करने में गुणवत्ता वाला घी अहम भूमिका निभाता है. 

टीटीडी के पास नहीं थी प्रयोगशालाएं

टीटीडी के पास सही प्रयोगशालाएं नहीं थीं और निजी प्रयोगशालाओं ने पिछले कुछ सालों में पनीर की गुणवत्ता का सही परीक्षण नहीं किया. घी की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए टीटीडी ने हाल ही में एक नई संवेदी धारणा प्रयोगशाला की स्थापना की है और अपने कर्मचारियों को एक गुणवत्ता प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण दे रहा है जो मैसूर में स्थित है. 

 NDTV India – Latest