February 26, 2025
प्रयागराज से काशी विश्‍वनाथ तक... महाशिवरात्रि से पहले शिवालयों में चाक चौबंद तैयारियां

प्रयागराज से काशी विश्‍वनाथ तक… महाशिवरात्रि से पहले शिवालयों में चाक-चौबंद तैयारियां​

महाकुंभ में भीड़ से निपटने और सुरक्षा व्‍यवस्‍था पुख्‍ता है. इसे लेकर बुधवार को अधिकारियों की उच्‍चस्‍तरीय बैठक हुई. साथ ही 12 ज्‍योतिर्लिंगों और बड़े शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं को लेकर विशेष व्‍यवस्‍थाएं की गई है.

महाकुंभ में भीड़ से निपटने और सुरक्षा व्‍यवस्‍था पुख्‍ता है. इसे लेकर बुधवार को अधिकारियों की उच्‍चस्‍तरीय बैठक हुई. साथ ही 12 ज्‍योतिर्लिंगों और बड़े शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं को लेकर विशेष व्‍यवस्‍थाएं की गई है.

देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व बुधवार को धूमधाम से मनाया जाएगा. देशभर में महाशिवरात्रि की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. उत्तर प्रदेश में महाशिवरात्रि को लेकर सुरक्षा व्‍यवस्‍था चाक-चौबंद है. महाशिवरात्रि के दिन ही महाकुंभ का समापन होगा. इसे देखते हुए महाकुंभ में भीड़ से निपटने और सुरक्षा व्‍यवस्‍था पुख्‍ता है. इसे लेकर बुधवार को अधिकारियों की उच्‍चस्‍तरीय बैठक हुई. साथ ही 12 ज्‍योतिर्लिंगों और बड़े शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं को लेकर विशेष व्‍यवस्‍थाएं की गई है.

प्रयागराज के डीएम रविंद्र कुमार मांदड ने बताया कि महाशिवरात्रि पर अंतिम स्नान है. यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को सकुशल स्नान सुनिश्चित कराने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. उन्होंने बताया कि श्रद्धालु हवाई मार्ग, रेलवे और निजी वाहन से यहां पहुंच रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देश पर सभी तैयारियों को पूरा कर लिया गया है. यहां पर पार्किंग व्यवस्था को एक्टिव किया गया है. ट्रैफिक डायवर्जन स्कीम लागू रहेगी. ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए सभी अधिकारी ड्यूटी पर रहेंगे. महाशिवरात्रि पर संगम तट के अलावा शिव मंदिरों में भी भारी भीड़ रहेगी. श्रद्धालु सकुशल मंदिरों में पूजा-अर्चना कर सके, इसके लिए पूरी व्यवस्था कर दी गई है.

सुरक्षा व्‍यवस्‍था के चुस्‍त-दुरुस्‍त इंतजाम: पाठक

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, “महाशिवरात्रि पर पूरे प्रदेश में स्वच्छता के साथ-साथ सुरक्षा व्यवस्था को भी चुस्त-दुरुस्त करने का पूरा इंतजाम किया गया है. उन सभी परिसरों को पूरी तरह स्वच्छ करने के निर्देश दिए गए हैं, जहां महाशिवरात्रि का पवित्र पर्व बाबा भोलेनाथ के सम्मान में धूमधाम से मनाया जाएगा. प्रदेश के कई क्षेत्रों में शिवरात्रि के अवसर पर शिव बारात भी निकाली जाएगी. सरकार ने सभी व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करने के स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं, ताकि हर स्थिति में बेहतर से बेहतर और सुंदर तरीके से महाशिवरात्रि का यह पर्व पूरे प्रदेश में जनता के साथ मिलकर धूमधाम से मनाया जा सके.”

किसी को असुविधा न हो, इसका रखा है ध्‍यान: मौर्य

प्रदेश के दूसरे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “महाशिवरात्रि और महाकुंभ, दोनों एक-दूसरे के पूरक बन गए हैं. प्रयागराज के रास्ते पर श्रद्धालुओं का महासागर उमड़ रहा है. सरकार की ओर से विशेष ध्यान दिया गया है ताकि आवागमन में किसी को असुविधा न हो, आस्था की डुबकी लगाने में कोई परेशानी न आए, और खासकर बुजुर्गों को घाटों तक पहुंचने में कोई दिक्कत न हो. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, महाशिवरात्रि के अवसर पर 2025 का यह आखिरी अमृत स्नान, जो बेहद महत्वपूर्ण है, इसे सफलतापूर्वक संपन्न कराना सरकार का दृढ़ संकल्प है. मुझे पूरा विश्वास है कि बाबा भोलेनाथ की कृपा से सब कुछ शुभ होगा.”

महाकुंभ में महाशिवरात्रि के स्‍नान से पहले हाई लेवल बैठक

महाकुंभ में महाशिवरात्रि के स्नान से पहले वॉइस पुलिस अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों की हाई लेवल बैठक हुई. मेला में बनाए गए आई ट्रिपल सी में हुईं बैठक में पर्यवेक्षक आशीष गोयल, भालू चंद गोस्वामी और अमिताभ यश मौजूद रहे. मीटिंग में क्राउड मैनेजमेंट, ट्रैफिक जाम और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर चर्चा हुई. अमिताभ यश ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि ट्रैफिक जाम से निपटने के लिए ग्राउंड जीरो पर अधिकारी तैनात रहें. आशीष गोयल और भानू चंद गोस्वामी ने भी महाकुंभ नगर में श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को लेकर कई अहम निर्देश दिए. दोनों पर्यवेक्षकों ने कहा कि महाकुंभ के अलावा शिवालय की भी सुरक्षा में सुरक्षाबलों की तैनाती हो और उन मार्गों को जाम मुक्त रखा जाए.

काशी विश्‍वनाथ में वीआईपी दर्शन बंद

महाशिवरात्रि को लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर को सजाया गया है. मंदिर प्रशासन द्वारा जगमगाती लाइटें लगाई गई हैं. वहीं, मंदिर परिसर में बाहर विभिन्न जगहों पर एलईडी भी लगाई गई है. जहां से काशी विश्वनाथ की आरती लाइव देख सकेंगे. साथ ही 27 फरवरी तक वीआईपी दर्शन की सुविधा बंद कर दी गई है. मंदिर प्रशासन ने महाशिवरात्रि पर भक्तों की भारी भीड़ की आशंका के चलते ये फैसला लिया है. साथ ही महाशिवरात्रि के दिन भक्तों को केवल झांकी दर्शन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. सुरक्षा प्रबंध में कड़ी इंतजाम किए गए हैं जिससे किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके.

दरअसल, पारंपरिक रूप से पर्व या किसी विशेष तिथि पर काशी विश्वनाथ धाम में पांच से छह लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते थे, लेकिन महाकुंभ शुरू होने के बाद से प्रतिदिन सात लाख या उससे अधिक भक्त मंदिर में दर्शन करने आते हैं. इस अवसर पर 26 फरवरी को श्रद्धालुओं की संख्या 14 से 15 लाख के बीच हो सकती है. इसके मद्देनजर मंदिर प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विशेष तैयारियां शुरू कर दी हैं. साथ ही वृद्धजनों और दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर की सुविधा रखी गई है. गोदौलिया और मैदागिन से गोल्फ कार्ट या ई-रिक्शा द्वारा भी भक्त बाबा दरबार तक पहुंच सकते हैं. इसके अलावा, मंदिर के कर्मचारियों की सहायता से वृद्धजनों का जल्दी दर्शन कराकर उन्हें धाम क्षेत्र से बाहर निकालने का भी प्रबंध किया गया है.

कोयंबटूर में उत्सव, दिग्गज होंगे शामिल

महाशिवरात्रि के अवसर पर कोयंबटूर में सद्गुरु के ईशा योग केंद्र में भव्य आयोजन किया जाएगा. इस आयोजन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार समेत कई विशिष्ट अतिथि शामिल होंगे. यह आयोजन 26 फरवरी को शाम 6 बजे से शुरू होगा और 27 फरवरी को सुबह 6 बजे तक चलेगा. महाशिवरात्रि समारोह में सद्गुरु द्वारा रात 12 बजे ‘महामंत्र (ॐ नमः शिवाय)’ का एक विशेष आकर्षण रहेगा. इसके बाद सद्गुरु ब्रह्म मुहूर्त (3:40 बजे) में शंभो ध्यान का मार्गदर्शन करेंगे. इस अवसर पर, सद्गुरु ‘मिरैकल ऑफ द माइंड’ नामक एक नए मुफ्त ध्यान ऐप का भी उद्घाटन करेंगे.

महाशिवरात्रि समारोह में विभिन्न क्षेत्रीय कलाकारों के आकर्षक प्रदर्शनों का आयोजन किया जाएगा. प्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी अजय-अतुल, गुजरात के प्रसिद्ध लोक गायक मुक्ति दान गढ़वी, लोकप्रिय रैपर पैराडॉक्स और 21 वर्षीय दृष्टिहीन गायिका कैसेंड्रा माई स्पिटमैन, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मानित किया था, इस रात के विशेष आकर्षण होंगे. इसके अलावा, कई अन्य गायक भी अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगे.

महाशिवरात्रि समारोह को भारत के 100 से अधिक स्थानों से लाइव प्रसारित किया जाएगा, जो 250 से अधिक टीवी चैनलों और डिजिटल प्लेटफार्मों पर उपलब्ध होगा. इसे जियो-हॉटस्टार, जियो टीवी और जी5 जैसे प्रमुख ओटीटी प्लेटफार्मों पर भी देखा जा सकेगा. इसके साथ ही, दुनिया भर में 150 से अधिक देशों में ऑनलाइन प्रसारण किया जाएगा, जिससे लाखों दर्शक इस ऐतिहासिक समारोह का हिस्सा बनेंगे.

कौन-कौन होगा शामिल

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

ओडिशा के राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति

पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार

केंद्रीय कानून और संसदीय मामलों के मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन

महाराष्ट्र के मृदा और जल संरक्षण मंत्री संजय राठौड़

तमिलनाडु और कर्नाटक के कई विधायक भी उपस्थित रहेंगे

पशुपतिनाथ मंदिर में पहुंच सकते हैं 10 लाख श्रद्धालु

महाशिवरात्रि के अवसर पर नेपाल और भारत से बुधवार को करीब दस लाख श्रद्धालुओं के यहां पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन करने आने की उम्मीद है. मंदिर का प्रबंधन करने वाले पशुपति क्षेत्र विकास ट्रस्ट के अधिकारियों ने बताया कि करीब 4,000 साधु और हजारों की संख्या में श्रद्धालु बागमती नदी के तट पर स्थित पांचवीं शताब्दी के इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए काठमांडू पहुंच रहे हैं. पशुपति ट्रस्ट की प्रवक्ता रेवती अधिकारी ने बताया कि इस भव्य अवसर के लिए तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. उन्होंने बताया कि इस दिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए कुल 10,000 सुरक्षाकर्मी और 5,000 स्वयंसेवक तैनात किए जाएंगे.

उन्होंने बताया कि पशुपतिनाथ मंदिर महाशिवरात्रि को तड़के दो बज कर 15 मिनट पर खुलेगा और श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के चारों द्वारों से शिवलिंग के दर्शन की व्यवस्था की गई है. इस बीच, काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय ने महाशिवरात्रि के दौरान मंदिर के आसपास शराब, मांस और मछली के उत्पादन, बिक्री, उपभोग और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक नोटिस जारी किया है. नोटिस के अनुसार, पशुपतिनाथ मंदिर क्षेत्र में और उसके आसपास गुरुवार तक शराब, मांस और मछली पर प्रतिबंध रहेगा. नियम का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को दंडित किया जाएगा.

खग्‍गू सराय मंदिर में भी उमड़ सकती है भीड़

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 46 साल बाद खुले खग्गू सराय के प्राचीन श्री कार्तिक महादेव मंदिर और जिले के अन्य मंदिरों में महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ने की संभावना है. इसके मद्देनजर प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए हैं. जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, ‘हमने संभल में मंदिरों का निरीक्षण किया है.’ पिछले साल दिसंबर में 46 वर्ष बाद खुले कार्तिकेय महादेव मंदिर और कांवड़ियों की अपेक्षित आमद के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा भीड़ खग्गू सराय के कार्तिक महादेव मंदिर, वेरानी शिव मंदिर और सादात बड़ी शिव मंदिर में उमड़ने की संभावना है. व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं और टूटी सड़कों से जुड़ी शिकायतों का समाधान कर दिया गया है.

उन्होंने कहा कि सफाई अभियान चलाए गए हैं, ड्यूटी लगाई गई है, सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और गश्त जारी है. आगामी 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन और अगली सुबह मेडिकल टीमें मौके पर तैनात रहेंगी. इसके अलावा, श्रद्धालुओं की किसी भी समस्या के समाधान के लिए एक सामान्य नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है.

क्‍यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि मनाने के दो कारण हैं. इस दिन भगवान शंकर का विवाह हुआ था तो दूसरा (ईशान संहिता के अनुसार) फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी की रात आदिदेव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे. बाद में भक्तों के कल्याण के लिए भगवान ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए. ये 12 ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग शहरों में हैं.

कहां-कहां स्थित हैं 12 ज्‍योतिर्लिंग

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र में समुद्र किनारे स्थित है. माना जाता है कि सोमनाथ मंदिर के क्षेत्र में चंद्रदेव ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तप किया था. जिससे प्रसन्न होकर भगवान यहां प्रकट हुए थे. चंद्रदेव का एक नाम सोम है. इस मंदिर का नाम उन्हीं के नाम पर सोमनाथ पड़ा है. मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है. रोज सुबह महाकालेश्वर मंदिर में भगवान की भस्म आरती की जाती है. यहां पूजा और दर्शन करने से भय दूर होता है. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत बना हुआ है. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां देवी पार्वती के साथ शिव जी ज्योति रूप में विराजमान हैं. कहते हैं यहां दर्शन करने से ही अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. मध्य प्रदेश के इंदौर से करीब 80 किमी दूर नर्मदा नदी के किनारे एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग. पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊंचाई से देखने पर ओम का आकार बना दिखता है और इसी वजह से ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है. केदारनाथ धाम उत्तराखंड के चार धामों में से एक है. रुद्रप्रयाग जिले में गौरीकुंड से करीब 16 किमी दूरी पर मंदिर स्थित है. कहा जाता है- महाभारत के समय भोले नाथ ने पांडवों को बेल रूप में दर्शन दिए थे. वर्तमान मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने 8वीं-9वीं सदी में करवाया थाण्‍ बात भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की जो महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है. इन्हें मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि रावण के भाई कुंभकर्ण के पुत्र भीम ने पिता की मृत्यु से कुपित होकर तप करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और वरदान प्राप्त किया. उत्तरप्रदेश के वाराणसी यानी काशी में स्थित हैं विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग. यहां महादेव के साथ ही देवी पार्वती भी विराजमान हैं. कहते हैं शिवनगरी में देवर्षि नारद के साथ ही अन्य सभी देवी-देवता आते हैं और शिव पूजा करते हैं. कहा जाता है कि जिस व्यक्ति काशी में मृत्यु होती है, उसे मोक्ष मिलता है. महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है त्र्यंबकेश्वर धाम है. ये ब्रह्मगिरि पर्वत पर स्थित है. मान्यतानुसार यहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा एक साथ होती है. गौतम ऋषि के तप से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए थे. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का संबंध त्रेतायुग से है. रावण शिव जी का परम भक्त था.वह हिमालय में शिवलिंग बनाकर तप कर रहा था. तपस्या शिव जी प्रसन्न होकर प्रकट हुए.रावण ने वर में मांगा कि वह ये शिवलिंग लंका में स्थापित करना चाहता है. शिव जी ने ये वरदान तो दे दिया, लेकिन एक शर्त रखी कि रास्ते में तुम ये शिवलिंग जहां रख दोगे, वहीं स्थापित हो जाएगा. रावण मान गया. रावण शिवलिंग उठाकर लंका ले जा रहा था, तभी रास्ते में उसने गलती से शिवलिंग नीचे रख दिया, इसके बाद शिवलिंग वहीं स्थापित हो गया. देवी- देवताओं ने उनकी पूजा की थी. जिससे प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए और सभी की प्रार्थना सुनकर ज्योति रूप में वहीं विराजमान हो गए. प्रसन्न शिव यहां ज्योति स्वरूप में विराजमान हैं. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका में स्थित है. शिवपुराण की रुद्र संहिता में शिव जी का एक नाम नागेश दारुकावने है. शिव जी नागों के देवता हैं और नागेश्वर का अर्थ ही नागों के ईश्वर है. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित है. त्रेतायुग में रावण का वध करने के बाद श्रीराम लंका से लौट रहा था. उस समय श्रीराम दक्षिण भारत में समुद्र किनारे रुके थे. श्रीराम ने समुद्र तट पर बालू से शिवलिंग बनाया और पूजा की थी. मान्यता है कि बाद में ये शिवलिंग वज्र के समान हो गया. श्रीराम के बनाए शिवलिंग को ही रामेश्वरम कहा जाता है. महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास दौलताबाद क्षेत्र में स्थित हैं घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग.मान्यता है कि संतान की अभिलाषा रखने वाले दंपति यहां से खाली हाथ नहीं जाते.कथा ब्राह्मण दंपति सुधर्मा और सुदेहा से जुड़ी है. संतान प्राप्ति के लिए सुदेहा ने अपनी बहन घुश्मा का विवाह पति से कराया. घुश्मा शिवभक्त थी. उसे पुत्र प्राप्ति हुई लेकिन बहन ने ईर्ष्या वश उसे मार दिया. घुश्मा ने शिव आराधना की और प्रसन्न होकर भगवान ने प्रकट हुए और जीवित पुत्र लौटा दिया. तभी से वो यहां विराजमान हैं.

पुराणों के अनुसार, यह भी मान्यता है कि जो इंसान रोजाना प्रात:काल उठकर इन 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम का पाठ करता है, उसके सभी प्रकार के पाप खत्म हो जाते हैं और उसे संपूर्ण सिद्धियों का फल प्राप्त होता है.

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