नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) की जानकारी के मुताबिक भूकंप सुबह 6:10 बजे आया. भूकंप का केंद्र सतह से 91 किलोमीटर नीचे था.
बंगाल की खाड़ी में आज सुबह भूकंप (Bay of Bengal Earthquake) के झटके महसूस किए गए. रिएक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.1 आंकी गई. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के एक अधिकारी के अनुसार मंगलवार सुबह 6.10 बजे बंगाल की खाड़ी में आए भूकंप के झटकों को ओडिशा के पुरी में भी महसूस किए गए. पुरी में भी भूकंप की तीव्रता 5.1 थी. भूकंप का केंद्र बंगाल की खाड़ी में सतह से 91 किलोमीटर नीचे था. अगर इसका केंद्र सतह से इतना नीचे नहीं होता तो इसका असर और ज्यादा देखने को मिलता.
रविवार को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में आया था भूकंप
बीते कुछ दिनों में हिमालय के आसपास और उत्तरी भारत के कई राज्यों समेत बंगाल की खाड़ी में इस तरह के भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. रविवार को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में भी ऐसे ही झटके महसूस किए गए थे. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.8 मापी गई. भूकंप का केंद्र कुपवाड़ा था. भूकंप के झटके महसूस होने के बाद लोगों में दहशत का माहौल देखा गया था और लोग अपने-अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए थे. हालांकि राहत की बात यह है कि भूकंप से किसी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई सूचना नहीं आई. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार, यह भूकंप शाम करीब 8:47 बजे आया और इसकी गहराई 10 किलोमीटर के आसपास थी.
कुछ दिन पहले दिल्ली में भी आया था भूकंप
रविवार को ही यूपी के गाजियाबाद में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. गाजियाबाद में महसूस किए गए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.8 मापी गई थी. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार इस भूकंप का केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई में था. इससे पहले 17 फरवरी को दिल्ली-एनसीआर में जोरदार भूकंप आया था, जिसका केंद्र दिल्ली में धौला कुआं था. दिल्ली-एनसीआर में बीते सोमवार सुबह 5:36 बजे तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. भूकंप के झटके इतने तेज थे कि जो लोग सो रहे थे, उनकी नींद टूट गई, और जो जाग रहे थे, वह दहशत में आ गए. जानकारी के अनुसार, इस भूकंप का केंद्र नई दिल्ली था और इसकी गहराई 5 किलोमीटर थी.
आखिर क्यों आते हैं भूकंप
भूकंप वैज्ञानिकों के अनुसार, हमारी धरती की सतह मुख्य रूप से सात बड़ी और कई छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी हैं. ये प्लेट्स लगातार हरकत करती रहती हैं और अक्सर आपस में टकराती हैं. इस टक्कर के परिणामस्वरूप प्लेट्स के कोने मुड़ सकते हैं और अत्यधिक दबाव के कारण वे टूट भी सकती हैं. ऐसे में, नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर फैलने का रास्ता खोजती है और यही ऊर्जा जब जमीन के अंदर से बाहर आती है, तो भूकंप आता है.
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