November 27, 2024
बच्चे को बिना डांटे धमकाए भी किया जा सकता है अनुशासित, हाथ उठाने की नहीं आएगी नौबत

बच्चे को बिना डांटे-धमकाए भी किया जा सकता है अनुशासित, हाथ उठाने की नहीं आएगी नौबत​

Parenting Tips: माता-पिता अक्सर ही बढ़ते बच्चों को अनुशासित करने के लिए उन्हें डांटने और मारने पर मजबूर हो जाते हैं. लेकिन, ऐसे भी कुछ तरीके हैं जिनसे बच्चे को डिसिप्लिन किया जा सकता है.

Parenting Tips: माता-पिता अक्सर ही बढ़ते बच्चों को अनुशासित करने के लिए उन्हें डांटने और मारने पर मजबूर हो जाते हैं. लेकिन, ऐसे भी कुछ तरीके हैं जिनसे बच्चे को डिसिप्लिन किया जा सकता है.

Parenting Advice: परवरिश आसान नहीं होती है. माता-पिता को बच्चे की हर छोटी-बड़ी आदत का ध्यान रखना पड़ता है, बच्चा क्या खाता-पीता है, उसका व्यवहार कैसा है, वो क्या बोलता है और किस तरह से लोगों के सामने कुछ कहता-सुनता है यह देखना भी माता-पिता की जिम्मेदारी है. ऐसे में कई बार बच्चे अगर बुरी आदतों में पड़ जाएं या कहना मानना और अच्छे से व्यवहार करना बंद कर दें तो पैरेंट्स को उन्हें डांटना पड़ता है या कभी-कभी पिटाई का सहारा भी लेना पड़ता है. लेकिन, इस डांट और पिटाई का बच्चे के मन-मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ सकता है. ऐसे में यहां जानिए कैसे बच्चे को बिना डांटे या पिटाई लगाए भी अनुशासित (Discipline) किया जा सकता है.

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बच्चों को अनुशासित कैसे करें | How To Discipline Children

अच्छे व्यवहार की सराहना करें

बच्चे जब छोटे होते हैं तभी से उन्हें अच्छे और बुरे व्यवहार में फर्क करना सिखाना जरूरी होता है. इसके लिए बच्चों को उनके अच्छे व्यवहार (Good Behavior) पर शाबाशी देना और उनकी अच्छी आदतों की सराहना करना जरूरी है जिससे वे आपकी शाबाशी पाने के लिए ही सही लेकिन अच्छे काम करने के लिए प्रेरित होते रहें.

फैसला लेने का दें मौका

कई बार बच्चों को उनके खुद के फैसले लेने के लिए छोड़ देना जरूरी होता है. बच्चे अगर बुरा व्यवहार कर रहे हैं या किसी चीज की जिद कर रहे हैं जोकि उनके लिए बुरी साबित हो सकती है, तो बच्चे को इन कामों के परिणाम बताकर यह चुनाव करने दें कि उन्हें क्या करना है. ऐसे में आखिरी फैसला उनका अपना होगा. अगर वे असफल होते हैं तो अगली बार यही गलती करने से खुद ही संभल जाएंगे.

जो व्यवहार देखना चाहते हैं वो खुद भी अपनाएं

बच्चों को सिर्फ कहने भर से कि अच्छे काम करो, ऐसे काम करो, यह करो या यह मत करो, काफी नहीं है. बच्चों के व्यवहार को बेहतर बनाने के लिए आपको अपने व्यवहार को भी अच्छा रखना होगा. ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप खुद चिल्लाकर किसी से बात करते हैं और बच्चे से अपेक्षा करते हैं कि वे सादगी भरा लहजा अपनाएं. पैरेंट्स (Parents) बच्चों के पहले गुरु होते हैं और बच्चे पैरेंट्स की देखादेखी जरूर करते हैं.

बच्चे की परेशानियां सुनें

माता-पिता कई बार बच्चे के बुरे व्यवहार और गलतियों को देख लेते हैं लेकिन उनके इस व्यवहार के पीछे की वजह जानने की कोशिश नहीं करते. लेकिन, पैरेंट्स को बच्चों से बैठकर यह पूछ लेना चाहिए कि उनके इस व्यवहार की, गुस्सा करने की या बदतमीजी करने की क्या वजह है. इससे बच्चे अपनी बात खुलकर कह पाते हैं और कोई परेशानी हो तो उसे माता-पिता से साझा कर लेते हैं.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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