ISRO के इस मिशन में दो सैटेलाइट्स हैं. पहले सैटेलाइट का नाम चेसर और दूसरे का टारगेट है. इसरो के अनुसार चेसर सैटेलाइट टारगेट को पकडे़गा और डॉकिंग करेगा.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने डॉकिंग तकनीक का सफल इस्तेमाल कर आज अंतरिक्ष में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है. ISRO SpaDex मिशन के तहत इस डॉकिंग तकनीक का प्रयोग पूरा किया है. कहा जा रहा है कि ISRO तकनीक का अब भविष्य में भी इस्तेमाल करेगा. भारत को इस दिन का लंबे समय से इंतजार था. बताया जा रहा है कि डॉकिंग तकनीक के तहत अंतरिक्ष में भारत के दो सेटेलाइट तीन मीटर करीब तक आए, एक दूसरे को निहारा और फिर दोनों अलग हो गए.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने SpaDex मिशन को लेकर एक बड़ा अपडेट दिया है.ISRO ने इस मिशन को लेकर कहा है कि इसमें शामिल उसके दोनों सैटेलाइट्स सामान्य स्थिति में हैं. ISRO ने ये जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके दी है. इस पोस्ट में ISRO ने लिखा है कि इंटर सैटेलाइट को 230 मीटर की दूरी पर रोक लिया गया है, सभी सेंसर का मूल्यांकन किया जा रहा है. अंतरिक्ष यान पूरी तरह से सुरक्षित है. आपको बता दें कि ISRO अंतरिक्ष में ये मिशन डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करने के उद्देश्य से किया गया है. जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है.
ISRO ने इस मिशन को लेकर बड़ा अपडेट दिया है…
SpaDeX Status Update:
Arrested at Inter Satellite Distance (ISD) of 230 m, all sensors are being evaluated. Spacecraft’s health is normal.#SPADEX #ISRO
— ISRO (@isro) January 11, 2025
‘हम सिर्फ 50 फीट दूर हैं’
ISRO ने दोनों सैटेलाइट्स के और करीब आने को लेकर कहा कि जब ये दोनों सैटेलाइट्स 15 मीटर की दूरी पर होंगे तो हम एक दूसरे को और साफ-साफ देख सकेंगे. हम बस 50 फीट ही दूर हैं. ये रोमांचित करने वाला मिलन अब कुछ समय ही दूर है. बताया जा रहा है कि ग्राउंड स्टेशनों का इंतजार किया जा रहा है ताकि वास्तविक डॉकिंग प्रयोग के लिए सिग्नल प्राप्त किया जा सके. आपको बता दें कि यह प्रयोग पहले 7 जनवरी को तय किया गया था लेकिन किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण इसे 9 जनवरी तक स्थगिद कर दिया गया था.
SpaDex मिशन आखिर है क्या ?
ISRO के इस मिशन में दो सैटेलाइट्स हैं. पहले सैटेलाइट का नाम चेसर और दूसरे का टारगेट है. इसरो के अनुसार चेसर सैटेलाइट टारगेट को पकडे़गा और डॉकिंग करेगा. बताया जा रहा है कि इसके अलावा एक महत्वपूर्ण टेस्ट और हो सकता है. इसरो से मिली जानकारी के अनुसार इस सैटेलाइट से एक रोबोटिक ऑर्म बाहर निकले हुए हैं, जो हुक के जरिए यानी टेथर्ड तरीके से टारगेट को अपनी ओर खींचेगा.इस प्रयोग से भविष्य में इसरो को ऑर्बिट छोड़ अलग दिशा में जा रहे सैटेलाइट को वापस उसकी ही कक्षा में लाने की तकनीक मिल जाएगी.
स्पेस डॉकिंग क्या होती है?
जानकार बताते हैं कि स्पेस डॉकिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो अंतरिक्ष यान या सैटेलाइट एक दूसरे के पहले बहुत करीब आते हैं और फिर एक साथ जुड़ जाते हैं. यह एक जटिल प्रक्रिया होती है. इसे खासतौर पर अंतरिक्ष अभियानों में इस्तेमाल किया जाता है. डॉकिंग कराने के पीछे कुछ अहम उद्देश्य भी होते हैं. ऐसा करके दो उपग्रहों को एक दूसरे से जोड़कर डेटा शेयर किया जा सकता है, पावर सोर्सेज को जोड़ा जा सकता है या किसी विशेष मिशन को अंजाम दिया जा सकता है. स्पेस डॉकिंग के दौरान एक अंतरिक्ष यान को दूसरे यान के पास लाकर उसे बेहद नियंत्रित तरीके का इस्तेमाल कर उन्हें जोड़ना पड़ता है.
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