सोसायटी के लोगों ने इस काम के लिए एक प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी को हायर किया गया है. एजेंसी का कहना है कि फेरीवाले हटाने पर गाली-गलौज पर उतर आते हैं और महिलाओं से बदसलूकी की शिकायतें भी मिली हैं.
मुंबई के पंचशील हाइट्स सोसाइटी में फुटपाथ को फेरीवालों से बचाने के लिए बाउंसर तैनात किए गए हैं. यह कदम स्थानीय निवासियों द्वारा उठाया गया है, जो बीएमसी की कार्रवाई से असंतुष्ट हैं. फुटपाथ पर अतिक्रमण एक आम समस्या है, जिससे लोगों को परेशानी होती है. निवासियों का कहना है कि बीएमसी के कदम नाकाफी साबित हो रहे हैं और उन्हें अपनी सुरक्षा और सुविधा के लिए खुद कदम उठाने पड़ रहे हैं.
पंचशील हाइट्स के चेयरमैन सचिन सरदेसाई ने कहा कि हम पिछले डेढ़ साल से परेशान थे. BMC आती है, फेरीवाले हटते हैं. लेकिन 15 मिनट बाद फिर से लौट आते हैं. कई बार मना करने पर उन्होंने धमकाया, इसलिए अब हमें अपनी और परिवार की सुरक्षा के लिए बाउंसर रखने का फैसला लेना पड़ा.
सोसायटी के लोगों ने इस काम के लिए एक प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी को हायर किया गया है. एजेंसी का कहना है कि फेरीवाले हटाने पर गाली-गलौज पर उतर आते हैं और महिलाओं से बदसलूकी की शिकायतें भी मिली हैं.
सिक्योरिटी एजेंसी के मालिक संदीप ने बताया कि सोसाइटी ने उनसे फुटपाथ पर बढ़ते फेरीवालों की समस्या के बारे में बात की थी. उन्होंने कहा कि जब फेरीवालों को हटाने की कोशिश की जाती है, तो वे बदतमीजी से पेश आते हैं. इस समस्या का समाधान करने के लिए संदीप ने बाउंसर तैनात करने की सलाह दी.
दरअसल ये सिर्फ कांदिवली की कहानी नहीं है. फुटपाथ पर फेरीवालों का अतिक्रमण मुंबई की एक बड़ी समस्या है. मुंबई महानगरपालिका का कहना है कि शहर में लगभग 90,000 फेरीवाले रजिस्टर्ड हैं. लेकिन याचिकाकर्ताओं के अनुसार यह संख्या 2014 में ही 2.5 लाख पार कर चुकी थी. मुंबई हाईकोर्ट ने साफ आदेश दिया है कि स्कूल, कॉलेज, धार्मिक स्थल और अस्पताल के 100 मीटर के दायरे में फेरीवालों को व्यवसाय की अनुमति नहीं दी जा सकती.
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कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि रेलवे स्टेशन और पालिका बाजारों से 150 मीटर के दायरे में फेरीवाले नहीं बैठ सकते. मई 2014 में लागू हुआ फेरीवाला कानून फेरीवालों को कानूनी संरक्षण देता है, लेकिन हॉकर्स असोसिएशन का कहना है कि ये सही से लागू नहीं हो पाया है. बीएमसी के अनुसार अक्टूबर और नवंबर महीने में 19,776 अवैध फेरीवालों के खिलाफ कार्रवाई की गई, जिसमें सबसे ज़्यादा मामले कोलाबा, परेल और मालाड से सामने आए.
नागरिकों और कार्यकर्ताओं का आरोप है कि फेरीवालों के खिलाफ कार्रवाई अस्थायी होती है, क्योंकि हटाए गए फेरीवाले दोबारा लौट आते हैं. बीएमसी के लिए भी भीड़भाड़ वाले इलाकों में फेरीवालों को स्थायी रूप से हटाना एक बड़ी चुनौती बन गया है.
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