यूपी उपचुनाव में उस सीट का जानिए समीकरण जहां अल्पसंख्यक आबादी है बहुसंख्यक​

 UP By Election 2024: कुंदरकी सीट पर माहौल जबर्दस्त बना हुआ है. भाजपा अपनी ओर से सपा के गढ़ को छीनने के लिए पूरा जोर लगाए हुए है. जानिए समीकरण…

UP By Election 2024: यूपी के मुरादाबाद में कुंदरकी विधानसभा सीट देश की उन चुनिंदा सीटों में है, जहां अल्पसंख्यक आबादी बहुसंख्यक है. दरअसल, कुंदरकी (Kundarki) में लगभग 65 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी है. यही वजह है कि बीजेपी (BJP) को छोड़ बाक़ी 11 प्रत्याशी मुस्लिम (Muslim) समाज से हैं. बीजेपी इस समीकरण के भरोसे कुंदरकी जीतने का 31 साल पहले का इतिहास दोहराने की आस लगाए बैठी है. वो मानती है कि मुस्लिम वोट बंटेंगे तो हिंदू वोटों के जुड़ाव से सीट निकाली जा सकती है.

कुंदरकी सीट समाजवादी पार्टी (SP) के विधायक ज़िया-उर-रहमान बर्क के सांसद बनने की वजह से ख़ाली हुई है. इस उप-चुनाव में कुल 12 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें सपा से हाजी रिज़वान, बीजेपी से ठाकुर रामवीर सिंह और बीएसपी (BSP) से रफ़तुल्लाह मैदान में मुख्य मुकाबला माना जा रहा है. इसके अलावा आज़ाद समाज पार्टी और एआईएमआईएम भी क़िस्मत आज़मा रहे हैं.

कुंदरकी का चुनावी माहौल जानने से पहले यहां के सामाजिक समीकरण समझना बेहद ज़रूरी है. कुंदरकी में कुल 3 लाख 83 हज़ार 500 वोटर हैं. ⁠इनमें मुस्लिम वोटरों की संख्या 2,45,000 है. ⁠वहीं हिंदू वोटरों की संख्या तकरीबन 1,38,500 है. ⁠2 लाख 45 हज़ार मुस्लिम वोटरों में अकेले तुर्क वोटर ही लगभग 70 हज़ार हैं.⁠बीजेपी इस सीट को 1993 के बाद कभी जीत नहीं सकी है.⁠बीते 12 सालों में यानी 2012 से 2022 तक लगातार सपा जीतती रही है.

बीजेपी को क्यों उम्मीद?

यहां स्थिति ये है कि अगर मुस्लिम बंटा तभी बीजेपी की किस्मत का ताला खुल सकता है. शायद यही वजह है कि जब सपा, बीएसपी और एमआईएम ने मुस्लिम में भी तुर्क को टिकट दिया है तो ऐसे में बीजेपी हिंदू वोटों के अलावा कुछ मुस्लिम वोट हासिल करने की भी पुरज़ोर कोशिश कर रही है. शायद इसी लिए बीजेपी प्रत्याशी को जालीदार टोपी पहनना पड़ा और लोगों को खुदा की कसम दिलानी पड़ी.

सपा गढ़ बचा पाएगी

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी मुरादाबाद के रहने वाले हैं. ऐसे में बीजेपी ने पूरा ज़ोर लगा रखा है. कुंदरकी की लड़ाई बड़ी है. सपा जहां अपना गढ़ बचाने की जद्दोजहद कर रही है तो वहीं अपने नारे ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ के आधार पर मुस्लिम के साथ साथ हिंदू वोटर को भी साधने में लगी हुई है. फ़िलहाल कौन सा कार्ड चलेगा और कौन सा नहीं, ये जनता ही जाने, लेकिन ये तय है कि कुंदरकी सबके लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गई है.

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