October 21, 2024
वेजिटेरियन ब्लॉगर ने शेयर किया खाने के बाउल की फोटो, तो सोशल मीडिया पर छिड़ गई बहस, कमेंट्स की आई बाढ़...

वेजिटेरियन ब्लॉगर ने शेयर किया खाने के बाउल की फोटो, तो सोशल मीडिया पर छिड़ गई बहस, कमेंट्स की आई बाढ़…​

फूड ब्लॉगर ने अपने कैप्शन में दावा किया कि वेजिटेरियन फूड्स "टियर, क्रूएलिटी और गिल्ट फ्री है" ने सपोर्ट और आलोचना दोनों को आकर्षित किया है.

फूड ब्लॉगर ने अपने कैप्शन में दावा किया कि वेजिटेरियन फूड्स “टियर, क्रूएलिटी और गिल्ट फ्री है” ने सपोर्ट और आलोचना दोनों को आकर्षित किया है.

वेजिटेरियन बनाम नॉन-वेजिटेरियन बहस कोई नई बात नहीं है. दो डाइट प्रेफरेंस के बीच यह तीखी बहस सोशल मीडिया पर फिर से उभरी है, जिसका श्रेय एक फूड ब्लॉगर की मासूमियत भरी पोस्ट को जाता है. दाल और चावल की उनकी साधारण प्लेट, सही मसालों और कटे हुए प्याज से सजी, एक गंभीर चर्चा का केंद्र बन गई. फूड ब्लॉगर ने अपने कैप्शन में दावा किया कि वेजिटेरियन फूड्स “टियर, क्रूएलिटी और गिल्ट फ्री है” ने सपोर्ट और आलोचना दोनों को आकर्षित किया है. एक्स (पहले ट्विटर) पर अपने भोजन की तस्वीर शेयर करते हुए उसने लिखा, “मुझे वेजिटेरियन होने पर गर्व है.”

I’m proud to be a vegetarian. My plate is free from tears, cruelty and guilt. pic.twitter.com/4artksAzwr

— Nalini Unagar (@NalinisKitchen) October 17, 2024

इस पोस्ट को करीब 3.7 मिलियन बार देखा गया है और कमेंट सेक्शन में यूजर्स की बाढ़ आ गई है.

“मुझे समझ में नहीं आता कि इसमें क्रूरता आदि के बारे में क्यों होना चाहिए. हर किसी की अपनी पसंद होती है. क्या आप मांसाहारी से शाकाहारी बनने के लिए कहेंगे? प्रकृति ने हम सभी को एक खास तरीके से बनाया है, आइए इसका सम्मान करें और जीवन में आगे बढ़ें. हम पौधे और मांस दोनों खाने के लिए बने हैं… पौधे भी जीवित चीजें हैं…,” एक यूजर ने कहा.

I don’t understands why it has to be about cruelty Etc. Everyone has their own preference. Would you ask a carnivore animal to be vegetarian? Nature has created all of us in certain way, let’s respect that and move on with life. We are built to consume plants and meat both……

— Sayan Dutta (@sayandutta) October 17, 2024

जवाब में, फ़ूड ब्लॉगर ने बचाव करते हुए कहा, “पौधे बाल श्रम के दर्द से नहीं गुज़रते; जानवर गुजरते हैं. पौधे दर्द से पीड़ित नहीं होते; जानवर पीड़ित होते हैं. पौधों में दिमाग नहीं होता; जानवरों में होता है.”

“इसमें गर्व की क्या बात है??? अपने विचार और विचारधारा अपने पास रखें, कोई समस्या नहीं. दूसरे पक्ष को यह न बताएं कि वह क्रूर है. आपकी मानसिकता मांसाहारी प्लेट पर मौजूद चीजों से भी ज़्यादा क्रूर है. बेहतर है कि आप अपना विचार बदलें या अपनी पोस्ट बदलें. सह-अस्तित्व एक सामाजिक समुदाय में अंतिम लक्ष्य है.” एक यूजर ने कमेंट किया.

What’s proud of that??? Keep ur thoughts and ideology with you no issues. Don’t tell the other side is cruel. Your mentality is more cruel than what’s on a Non-vegetarian plate. Better change ur mind or change ur posts…. Coexistence is the ultimate goal in a social community.

— deepan (@dpanchn) October 18, 2024

एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “क्या उसने यह चावल घर पर उगाया है? अगर जवाब नहीं है, तो वह कैसे दावा कर रही है कि यह गिल्ट फ्री है? क्योंकि सभी जानते हैं कि किसान कीटनाशकों से जानवरों और कीड़ों को मारते हैं और इसी तरह मांसाहारी लोग अपने घर पर जानवरों को नहीं मारते हैं ताकि वे भी ऐसा कह सकें.”

Did she grow this rice at home ??

The answer is no, then how she claims it is guilt free…coz everybody knows farmers kill animals and insects by pesticides ..
And same as this
Non vegetarian people don’t kill animals at their home so they can say the same

— Nitin rathee (@nitin03_98) October 19, 2024

“पौधे भी जीवित प्राणी हैं… लेकिन ज्यादातर लोग कहेंगे कि पौधे बोल नहीं सकते, वगैरह… इसलिए भोजन एक व्यक्तिगत पसंद है, और हमें इसके ज़रिए दूसरों को नीचा नहीं दिखाना चाहिए. यही बात है….” एक अन्य ने कहा.

Even plants are living things… But most will say the plant won’t speak etc… So food is a personal choice we should not degrade others with that. That’s the point….

— deepan (@dpanchn) October 18, 2024

एक और यूजर ने पूछा, “आपको क्या लगता है दूध कैसे निकाला जाता है?” फ़ूड व्लॉगर ने जवाब दिया, “डेयरी उद्योग में, मां गायें अपने बच्चों को उनसे छीनने के बाद कई दिनों तक रोती रहती हैं. अब, कल्पना करें कि अगर इंसान के बच्चों को उनकी मांओं से छीन लिया जाए; यह अवैध होगा, लेकिन उन मूक जानवरों की सुनने वाला कोई नहीं है. ऐसा लगता है कि जानवरों को जीने का कोई अधिकार नहीं है.”

How do you think milk is extracted?

— Manchu (@Manchu__) October 17, 2024

एक यूजर ने चुटकी लेते हुए कहा, “भोजन को विचारधारा के बजाय अपने स्वयं के स्वास्थ्य और कल्याण के दृष्टिकोण से देखना बेहतर है.”

It’s better to approach food from our own health and wellbeing being point of view than as a woke/activist ideology.

— Sanjeeva Reddy Dodlapati (@dodlapati_reddy) October 17, 2024

वेगन फूड ब्लॉगर की पोस्ट के बारे में आप क्या सोचते हैं? हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं.

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