चंपई सोरेन के मामले को हेमंत सोरेन ने राजनीतिक तौर पर बेहद सधे अंदाज़ में निपटने की कोशिश की है.
झारखंड में चंपई सोरेन (Champai Soren) और हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की लड़ाई का पहला राउंड हेमंत सोरेन के पक्ष में जाता दिख रहा है. इसकी तस्वीरें 28 अगस्त को रांची से लेकर सरायरकेला तक नजर आईं, जब बीजेपी में जाने के ऐलान के बाद चंपई दिल्ली से रांची पहुंचे तो कोई बड़ा नेता उनके साथ नहीं दिखा और उधऱ उनके इलाके सरायकेला में हेमंत सोरेन पहुंचे तो कार्यक्रम में चंपई के इलाके का हर विधायक-मंत्री सीएम के साथ नजर आया.
जेएमएम के सभी विधायक हेमंत के साथ
जब चंपई सोरेन रांची पहुंचे तो तकरीबन उसी समय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चंपई सोरेन के ही विधानसभा क्षेत्र सरायकेला में थे. कार्यक्रम तो सरकारी था लेकिन इसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देख गया. मौका था झारखंड मंईया सम्मान योजना के तहत महिलाओं के खाते में पैसा भेजने का. इस कार्यक्रम में सरकारी अमला तो था, लेकिन साथ में थे उस क्षेत्र से आने वाले सभी विधायक और मंत्री. यानि चंपई सोरेन के क्षेत्र से आने वाले सभी मंत्री और विधायक पूरी तरह हेमंत सोरेन के साथ खड़े हैं.
हेमंत ने चंपई को नहीं लेने दिया सहानुभूति
चंपई सोरेन के मामले को हेमंत सोरेन ने राजनीतिक तौर पर बेहद सधे अंदाज़ से निपटने की कोशिश की है. पहले तो खुद चंपई सोरेन के ख़िलाफ़ कुछ नहीं कहा. फिर पार्टी नेताओं को हिदायत दी गई कि वो भी चंपई सोरेन पर कुछ नहीं बोलेंगे. यही नहीं, खुलेआम बगावत करने के बावजूद चंपई सोरेन सरकार में तबतक मंत्री बने रहे. जबतक उन्होंने ख़ुद इस्तीफ़ा नहीं दिया. ज़ाहिर है चंपई सोरेन को बर्खास्त कर हेमंत सोरेन किसी तरह की सहानुभूति नहीं देना चाहते थे.
गौरतलब है कि 30 अगस्त को चंपई सोरेन रांची में एक समारोह में अपने बेटे के साथ बीजेपी में शामिल हो जाएंगे. 28 अगस्त को दिल्ली से रांची पहुंचने के बाद चंपई सोरेन ने हेमंत सोरेन सरकार के मंत्री के साथ साथ जेएमएम की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया.
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