संभल में अदालत के आदेश पर 19 नवंबर को जामा मस्जिद के पहली बार किये गये सर्वेक्षण के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है. अदालत ने यह आदेश जिस याचिका पर दिया उसमें दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है वहां पहले कभी हरिहर मंदिर था.
उत्तर प्रदेश के संभल में विवादित जामा मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण के दौरान भड़की हिंसा पर जमकर सियासत हो रही है. समाजवादी पार्टी का 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आज संभल जाना चाह रहा है, लेकिन प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी है. संभल में डीएम के आदेश पर धारा-163 लगा दी गई है. कई सपा नेताओं के घरों के बाहर पुलिस के जवान तैनात कर दिये गए हैं. इस पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर यूपी में प्रशासन के मुद्दे पर नाकाम रहने का आरोप लगाया है. अखिलेश ने एक सोशल मीडिया पोस्ट कर यूपी प्रशासन पर हमला बोला है.
सपा नेताओं के सामने पुलिस की ‘दीवार’
सपा नेता और यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे अपनी गाड़ी में संभल जाने के लिए बैठे थे, लेकिन उनकी गाड़ी को रोकने के लिए पुलिस ने दोनों तरफ़ पुलिस की गाड़ियां लगा कर सड़क को बंद कर दिया. प्रशासन के अधिकारी माता प्रसाद पांडे को समझाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन नेता प्रतिपक्ष अपने घर से निकलने की कोशिश में लगे हुए हैं. माता प्रसाद पांडे ने एनडीटीवी से कहा कि निषेधाज्ञा संभल में है, तो उन्हें लखनऊ में क्यों रोका जा रहा है? उन्होंने प्रशासन पर डरने का आरोप लगाया है. माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि तीन दिन पहले डीजीपी ने उन्हें संभल ना जाने को कहा था, लेकिन अब तीन दिन बाद फिर उन्हें रोका जा रहा है.
अखिलेश यादव का यूपी प्रशासन पर आरोप
अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, ‘प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है. ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फ़साद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता. भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देते हैं, वैसे ही संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साज़िशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए, सच्ची कार्रवाइ करके बर्ख़ास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुक़दमा भी चलना चाहिए.
प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फ़साद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता।
भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ… pic.twitter.com/7ouboVnQu4
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 30, 2024
कांग्रेस भी विवाद में कूदी
बता दें कि सपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने शुक्रवार को बताया कि पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के निर्देश पर पार्टी का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को संभल जाएगा और वहां हुई हिंसा की विस्तृत जानकारी लेकर रिपोर्ट पार्टी प्रमुख को सौंपेगा. वहीं कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय ने बताया कि दो दिसंबर को संभल मामले की जानकारी हासिल करने के लिए कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल वहां जाएगा.
संभल हिंसा में 4 लोगों की हुई मौत
संभल में अदालत के आदेश पर 19 नवंबर को जामा मस्जिद के पहली बार किये गये सर्वेक्षण के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है. अदालत ने यह आदेश जिस याचिका पर दिया उसमें दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है वहां पहले कभी हरिहर मंदिर था. पिछले 24 नवंबर को मस्जिद का दोबारा सर्वेक्षण किये जाने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में चार लोगों की मौत हो गयी थी तथा 25 अन्य जख्मी हो गये थे.
ये है सपा का प्रतिनिधिमंडल…
समाजवादी पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष पाल के पत्र को ‘एक्स’ पर साझा किया है, जिसमें कहा गया है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव के निर्देश पर एक प्रतिनिधिमंडल 30 नवंबर को संभल जाएगा और हिंसा की घटना की विस्तृत जानकारी लेकर रिपोर्ट उन्हें सौंपेगा. इस प्रतिनिधिमंडल में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव, सपा प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल, सांसदगण हरेंद्र मलिक, रुचि वीरा, इकरा हसन, जियाउर्रहमान बर्क और नीरज मौर्य को शामिल किया गया है.
सपा नेता जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ FIR दर्ज
संभल हिंसा मामले में जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ भड़काऊ कार्य करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. इनके अलावा प्रतिनिधिमंडल में विधायकगण कमाल अख्तर, रविदास मेहरोत्रा, नवाब इकबाल महमूद और पिंकी सिंह यादव समेत सपा के कुल 15 लोगों को शामिल किया गया है. इसके पहले उत्तर प्रदेश के संभल में विवादित जामा मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण के दौरान भड़की हिंसा मामले की निष्पक्ष जांच का पुलिस महानिदेशक से आश्वासन मिलने पर सपा ने अपने प्रतिनिधिमंडल का प्रस्तावित दौरा स्थगित कर दिया था. संभल जिला प्रशासन ने जिले में निषेधाज्ञा लागू कर रखी है और 30 नवंबर तक वहां बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक है.
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